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उज्जैन दशहरे से पहले रावण दहन पर बहस तेज, क्या सच में समाप्त होगा?
ASANIMESH SINGH
Sept 18, 2025 06:47:43
Ujjain, Madhya Pradesh
उज्जैन में इस बार दशहरे से पहले ही रावण दहन को लेकर विवाद तेज हो गया है। अखिल भारतीय पुजारी महासंघ और महाकाल सेना ने रावण दहन का खुलकर विरोध किया है। जगह-जगह पोस्टर लगाए जा रहे हैं और संस्थाओं से सवाल पूछे जा रहे हैं कि आखिर किस शास्त्र में रावण दहन का उल्लेख है। विरोध करने वालों का कहना है कि यह परंपरा अब सिर्फ मनोरंजन और राजनीति का साधन बन चुकी है।
2 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा, लेकिन उससे पहले ही उज्जैन में रावण दहन का विरोध तेज हो गया है। रामघाट, गुदरी चौराहा और महाकाल घाटी के पास अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने पोस्टर लगाए हैं, जिनमें सवाल उठाए गए हैं कि आखिर रावण का दहन क्यों किया जाए और क्यों न इस परंपरा को बंद कर दिया जाए।
महाकाल सेना और अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने मिलकर रावण दहन के खिलाफ अभियान शुरू किया है। संगठनों का कहना है कि रावण दहन शास्त्रोक्त नहीं है और इसे अब तुरंत बंद किया जाना चाहिए।
उज्जैन में मंगलवार को परशुराम मंदिर में अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज की बैठक हुई। बैठक में यह फैसला लिया गया कि देशभर में रावण दहन का विरोध किया जाएगा। महाकाल सेना ने खासतौर पर ब्राह्मण समाज से अपील की है कि वे ऐसे आयोजनों में हिस्सा ही न लें।
महाकाल सेना के संरक्षक और अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के अध्यक्ष महेश पुजारी ने साफ कहा है कि इतिहास और रामायण में कहीं भी रावण दहन का उल्लेख नहीं है। उनका कहना है कि यह परंपरा अब केवल मनोरंजन और राजनीति का साधन बन चुकी है।
महेश पुजारी ने कहा की-
“रावण भगवान शिव का परम भक्त था और त्रिकालदर्शी था। वह जय-विजय का अवतार था, जिसका उद्धार राम के हाथों होना था। ऐसे में उसे अपराधी बताना गलत है। इतिहास या रामायण में कहीं भी रावण दहन का उल्लेख नहीं मिलता। यह परंपरा अब सिर्फ राजनीति और मनोरंजन का साधन है। हमने समितियों से तीन सवाल पूछे हैं, जिनका उत्तर नहीं मिलने पर रावण दहन बंद होना चाहिए। और सरकार को भी कहना चाहते हैं कि ब्राह्मण समाज का अपमान अब और न हो।”
महेश पुजारी के सवाल
रावण कौन था और उसने समाज के लिए क्या किया?
यदि कोई आपकी बहन, बेटी, मां या पत्नी के नाक-कान काटे तो क्या आप चुप रहेंगे या बदला लेंगे?
रावण को एक गलती के लिए हजारों साल से जलाया जा रहा है, लेकिन उस रजक (धोबी) का क्या जिसने माता सीता के सतीत्व पर प्रश्न उठाया और जिसके कारण राम ने माया सीता का त्याग किया?
महासंघ और महाकाल सेना ने कहा है कि यदि समितियां इन सवालों का शास्त्रोक्त उत्तर नहीं दे पातीं तो उन्हें रावण दहन तुरंत बंद करना चाहिए।
कुल मिलाकर, दशहरे से पहले उज्जैन में रावण दहन का विरोध बड़ा मुद्दा बन गया है। एक ओर समितियां परंपरा निभाने की तैयारी कर रही हैं, तो दूसरी ओर पुजारी महासंघ और महाकाल सेना इसका विरोध करते हुए सरकार से प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं।
तो दशहरे से पहले उज्जैन में परंपरा बनाम आस्था की यह जंग शुरू हो गई है। अब देखना होगा कि रावण दहन करने वाली समितियां इन सवालों का क्या जवाब देती हैं
बाइट - महेश शर्मा अध्यक्ष अखिल भारतीय पुजारी महासंघ
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