Become a News Creator

Your local stories, Your voice

Follow us on
Download App fromplay-storeapp-store
Advertisement
Back
Kabirdham491995

27 वर्षों से झोपड़ी में चल रहा स्कूल, कबीरधाम की दर्दनाक हकीकत!

STSATISH TAMBOLI
Jul 13, 2025 07:33:46
Kawardha, Chhattisgarh
कवर्धा दिनांक 13 जून स्लग झोपड़ी स्कूल रिपोर्ट सतीश तंबोली -------- 27 वर्षों से झोपड़ी में चल रहा स्कूल, कबीरधाम के दूरस्थ वनांचल बैगा आदिवासी ग्राम बदनाचुआ गाँव की दर्दनाक हकीकत -------- एंकर सरकार भले ही शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और "सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा" का नारा बुलंद कर रही हो, लेकिन जमीनी सच्चाई उससे कोसों दूर है। पंडरिया विकासखंड के बैगा आदिवासी बहुल वनांचल क्षेत्र ग्राम बदनाचुआ का शासकीय प्राथमिक विद्यालय आज भी 1997 से एक झोपड़ी नुमा संरचना में संचालित हो रहा है। यह स्कूल न केवल शिक्षा विभाग की योजनाओं पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह दर्शाता है कि आदिवासी अंचलों में बच्चों की शिक्षा को लेकर सरकारी तंत्र कितना संवेदनहीन है। वियो- इस प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई का नाम मात्र ही रह गया है। स्कूल जिस झोपड़ी में चल रहा है, उसकी छत कभी भी गिर सकती है, दीवारें मिट्टी और बांस से बनी हुई हैं और अंदर जाने के लिए सिर झुकाना पड़ता है, वरना चोटिल होना तय है। बरसात के मौसम में जमीन गीली होने से पढ़ाई लगभग ठप हो जाती है और स्कूल अक्सर बंद हो जाता है। वियो- सरकारी कागजों में सब कुछ बेहतर बताया जाता है लेकिन हकीकत में कोई सुविधा नजर नहीं आती। शिक्षा विभाग के अधिकारी और जनप्रतिनिधि इस स्थिति से अवगत होने के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठा सके हैं। बदनाचुआ गांव की यह हालत बताती है कि बजट और विकास की घोषणाएं सिर्फ शहरी इलाकों तक सीमित हैं। विद्यालय में दो शिक्षक पदस्थ हैं, लेकिन दोनों एक साथ कभी नजर नहीं आते। किसी दिन एक आता है तो किसी दिन दूसरा। वहीं स्कूल की रसोईया, जो वर्षों से बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन बना रही है, उसका कहना है कि वह सालों से इस उम्मीद में है कि एक दिन स्कूल की बिल्डिंग बनेगी — लेकिन अब उसे भी सरकार से भरोसा उठ गया है। यह स्कूल छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की सीमा से सटे इलाके में स्थित है। यहां न तो कोई जनप्रतिनिधि आता है, न ही जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी। मीडिया की नजर इस हालात पर पहली बार पड़ी है और अब उम्मीद है कि सरकार इस संवेदनशील मुद्दे पर ध्यान देगी। वैसे इस मुद्दे पर हमने शिक्षा विभाग से भी बात की लेकिन उनका भी हमेशा की तरह शिक्षकों का बचाव और हमेशा की तरह आश्वासन भरा जवाब मिला सवाल- जब सरकारें आदिवासी क्षेत्रों के विकास की बात करती हैं, तो क्या इन इलाकों की शिक्षा व्यवस्था को नजरअंदाज करना विकास कहलाएगा? क्या बदनाचुआ जैसे गांवों के बच्चों को भी शिक्षा का अधिकार नहीं है? क्लोजिंग- सरकार और शिक्षा विभाग को चाहिए कि वे बदनाचुआ गांव के इस प्राथमिक विद्यालय की स्थिति का संज्ञान लें और जल्द से जल्द पक्की बिल्डिंग का निर्माण कराएं। शिक्षा की असली तस्वीर तब ही बदलेगी जब ऐसी झोपड़ियों को स्कूल नहीं, बल्कि एक शिक्षा मंदिर के रूप में बदला जाएगा wt सतीश तंबोली ज़ी मीडिया कवर्धा बॉइट- रामकली रसोईया बाइट- सुख राम शिक्षक बॉइट- एम के गुप्ता,सहायक संचालक शिक्षा विभाग
1
Report

हमें फेसबुक पर लाइक करें, ट्विटर पर फॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब्ड करें ताकि आप ताजा खबरें और लाइव अपडेट्स प्राप्त कर सकें| और यदि आप विस्तार से पढ़ना चाहते हैं तो https://pinewz.com/hindi से जुड़े और पाए अपने इलाके की हर छोटी सी छोटी खबर|

Advertisement
Advertisement
Back to top