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प्रयागराज में रावण शोभायात्रा: डीजे-बैंड के साथ रंग जमाया
MGMohd Gufran
Sept 18, 2025 01:30:23
Prayagraj, Uttar Pradesh
संगम नगरी प्रयागराज में भव्यता के साथ निकली रावण शोभायात्रा,
डीजे और बैंड बाजे के साथ महर्षि भरद्वाज आश्रम से निकली रावण शोभायात्रा,
लंकाधिपति रावण की शोभायात्रा देखने के लिए सड़कों पर उमड़ा हुजूम।
एंकर --
देशभर में विजयादशमी यानी दशहरा के मौके पर रावण दहन की परंपरा तो आपने सुनी होगी, पर रावण की शोभायात्रा या फिर रावण की बारात निकालने की परम्परा आपने नहीं सुनी होगी। लेकिन संगम नगरी प्रयागराज में रावण की शोभायात्रा डीजे, बैंड के साथ पूरी भव्यता से निकाली जाती है। यहां पर रावण को दहन नहीं किया जाता बल्कि उसकी विद्वत्ता के चलते उसकी पूजा की जाती है। यह अपने आपमें अनूठी परम्परा है जो प्राचीन काल से चली आ रही है। बुधवार की देर शाम कटरा रामलीला कमेटी द्वारा परंपरागत तरीके से महर्षि भरद्वाज आश्रम से शाही अंदाज में लंकाधिपति रावण की शोभायात्रा निकाली गई। जिसे देखने के लिए शहर के कोने कोने से लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। गजेबाजे के साथ शाही अंदाज में निकली रावण की शोभायात्रा को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित था। क्योंकि आमतौर पर रावण दहन लोगों ने देखा है, लेकिन रावण की पूजा अर्चना और उसकी शोभायात्रा निकाले जाने की परम्परा देश के किसी भी हिस्से में नहीं है।
महर्षि भरद्वाज आश्रम से निकली शोभायात्रा में रावण आर्टिफिशियल हांथी पर रखे चांदी के हौदे पर सवार होकर शहरियों को दर्शन के लिए निकले तो यह तस्वीर हर कोई अपने फोन में कैप्चर करने के लिए लालायित दिखा। यह अद्भुत नजारा देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग भी शोभायात्रा का हिस्सा बने। लंकाधिपति रावण की शोभायात्रा में आकर्षक लाइट और बैंड के साथ लोगों का हुजूम चलता हुआ दिखाई दिया। यह नजारा ऐसा था कि मानो दशानन रावण कलयुग में भी तीनों लोकों को जीतकर लंका वापस लौट रहें हों। कटरा रामलीला कमेटी के रावण शोभायात्रा के साथ ही संगम नगरी प्रयागराज में दशहरा का उत्सव भी शुरू हो जाता है।
संगम नगरी प्रयागराज के कटरा रामलीला कमेटी सैकड़ों वर्ष पुरानी है। यहां हर वर्ष दशहरे का उत्सव तो मनाया जाता है। लेकिन रावण दहन नहीं किया जाता है। बल्कि यहां रावण की पूजा की जाती है, राम का नाम लेना यहां अपराध माना जाता है, अगर किसी ने भूल से भी राम का नाम ले लिया तो लंकाधिपति रावण प्रतीकात्मक रूप से उसका कान काटकर शीशा भरने का नारा यहां पर प्रचलित है। खुद रावण भी जब अपनी शोभायात्रा पर निकलता है तो वह अपनी विद्वता के चलते अपनी पूजा करवाता है।
टीटी... बृजेश कुमार, रावण कैरेक्टर
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