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बगहा के पहाड़ी मझौआ स्कूल: 19 वर्षों से खुले आसमान, भवन कब बनेगा?
IAImran Ajij
Sept 27, 2025 10:03:27
Bagaha, Bihar
BIHAR DESK...
LOCATION- BAGAHA
REPORT- IMRAN AZIZ
FORMAT- PKG/VISUAL BYTE PIC
UNIQUE SCHOOL IN BAGAHA WITHOUT LAND AND BUILDING
CM AND DEPUTY CM FILE AT VALMIKINAGAR ON 23/09/25
2709ZBJ_BAGA_SCHOOL_R
ANCHOR- बिहार में शिक्षा विभाग रोज़ नए प्रयोग कर शिक्षा की गुणवत्ता समेत स्तर सुधारने में जुटा है और सरकारी स्तर पर स्कूलों समेत शिक्षकों औऱ छात्रों के कायाकल्प के दावे किये जाते हैं लेकिन जमींनी स्तर पर हकीकत आज भी कुछ औऱ हीं बयां कर रही है। स्कूली बच्चे कह रहें हैं की साहब,धूप में सर जलता है, बरसात में कॉपी, किताब गीली होती है, फिर भी हम रोज स्कूल आते हैं।
यह बगहा के मासूमों की आवाज है... ज़ी हाँ खुले आसमान तले पेड़ की छाँव में प्राइमरी स्कूल के बच्चों कों देख कर अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है की शिक्षा विभाग आज भी कितना उदासीन है।
पूरा मामला पश्चिम चम्पारण ज़िला के बगहा एक प्रखंड अंतर्गत पहाड़ी मझौआ प्राथमिक विद्यालय का है जहाँ के छात्रों समेत शिक्षकों की हालत इन दिनों बेहद ख़राब हैं। क्योंकि मौसम की मार के बीच कभी धूप कभी उमस औऱ रूक रूक कर हो रही वर्षा मानों इनको कृत्रिम तौर पर परेशान कर रही है। हम ऐसा इस लिए कह रहें हैं की यहाँ खुले आसमान औऱ पेड़ तले पढ़ने पढ़ाने की शौक नहीं बल्कि विभाग ने मजबूर कर रखा है लिहाजा एक ओर शिक्षक बुनियादी शिक्षा की अलख जगा रहें हैं तों दूसरी ओर बच्चे अपने भविष्य स्वारने कों मजबूर हैं।
दरअसल 2006 में सृजित इस पहाड़ी मझौआ प्राथमिक विद्यालय के बच्चों कों विभाग द्वारा पुस्तकें तो मिल गईं हैं लेकिन क्लासरूम औऱ विद्यालय भवन, छत तो दूर, चाहरदीवारी तक नसीब नहीं हुई। आलम यह है की न भूमि आवंटित हुईं है औऱ ना हीं विद्यालय भवन नसीब हुआ है लिहाजा संसाधनों के अभाव में यहाँ 19 वर्षों से बुनियादी औऱ प्राथमिक शिक्षा दम तोड़ रही है ।
बताया जा रहा है की इस प्राइमरी स्कूल के मासूम बच्चे आज भी खुले आसमान के नीचे पेड़ की छांव तले पढ़ाई करने को मजबूर हैं । विद्यालय में कक्षा 1 से 5 तक कुल करीब 155 बच्चे नामांकित हैं और सात शिक्षक भी तैनात किये गए हैं। मगर पढ़ाई के लिए न तों कोई क्लासरूम है, न ब्लैकबोर्ड की स्थायी व्यवस्था औऱ ना हीं भवन औऱ बाउंड्री वाल की बात करना बेमानी है । यहीं वज़ह है की गर्मी में तपती धूप बच्चों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ती है। कई बार बच्चे बेहोश तक हो जाते हैं। बरसात में हालात और भी बिगड़ जाती है, तब पढ़ाई करना लगभग नामुमकिन हो जाता है। मजबूरी में प्रधानाध्यापक या तो बच्चों को घर भेज देते हैं या कुछ दूरी पर फूस से बने छोटी सी टूटी आंगनबाड़ी केंद्र में शरण लेने के लिए सभी मजबूर होते हैं।
इस बीच सबसे बड़े खतरा की संभावना यह होती है की अगर अचानक तेज़ आंधी-तूफान आये या बिजली गिरे तो किसी अनहोनी का जिम्मेदारी कौन लेगा...?
शिक्षा का यह मंदिर हर रोज बच्चों की जान से खेलने को मजबूर है ।
इस सम्बन्ध में हेड मास्टर बैरिस्टर राम बताते हैं कि सृजन के बाद वर्ष 2008 में विद्यालय भवन निर्माण के लिए विभाग से राशि आई थी। मगर ज़मीनी विवाद और अतिक्रमण के कारण भवन निर्माण शुरू नहीं हो सका । लिहाजा पैसा विभाग कों वापस चला गया और तब से अब तक स्थिति जस की तस है ।
इधर छात्रों का कहना है कि इस चलन्त विद्यालय में शौचालय की भी कोई व्यवस्था नहीं है। मजबूरन उन्हें खुले में शौच करना पड़ता है। यह न केवल असुरक्षा की स्थिति पैदा करता है बल्कि खासकर छात्राओं के लिए भय और शर्मिंदगी का कारण भी बना है । वहीं छात्रों के अभिभावकों का कहना है कि वे वर्षों से केवल आश्वासन हीं सुनते आ रहे हैं। हर बार नेता और अधिकारी कहते हैं कि जल्द ही विद्यालय का भवन बनेगा, इस बार प्रशासन को अपना वादा निभाना हीं होगा। क्योंकि यह सिर्फ विद्यालय भवन का सवाल नहीं है, बल्कि सैकड़ों बच्चों के भविष्य औऱ उनकी जिंदगी के साथ सलामती का सवाल है...!
वहीं इस मामले में बगहा एक प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पुरन शर्मा बताते हैं कि यह विद्यालय “भूमिहीन और भवनहीन” दोनों है। उन्होंने बताया कि भूमि विवाद के कारण भवन का निर्माण अब तक नहीं हो पाया है । इस संबंध में अंचलाधिकारी बगहा 1 नर्मदा श्रीवास्तव को पत्र लिखा गया है जल्द हीं प्रशासन की कार्रवाई के बाद विभाग वहाँ विद्यालय भवन निर्माण कार्य शुरू करवाएगा ।
लेकिन अब सवाल यह है कि कब तक बच्चे खुले आसमान के नीचे पेड़ की छाँव में पढ़ाई करेंगे...? आखिर 19 वर्षों में अंचल प्रशासन ने जमींन अधिग्रहण क्यों नहीं करवाया ...! भूमि औऱ भवन नहीं मिल सका तों इस कागजी विद्यालय कों किसी पास के विद्यालय में शिफ्ट कर पठन-पाठन की वैकल्पिक व्यवस्था तों कीजिये सरकार... क्योंकि Zee मीडिया भी शिक्षा विभाग औऱ प्रशासन से सवाल कर रहा है जिसका ज़वाब मिलना अभी बाक़ी है...
बाइट- पीड़ित स्कूली छात्र औऱ छात्राएं
बाइट- बैरिस्टर राम, प्रधान शिक्षक, राजकीय प्राथमिक विद्यालय पहाड़ी मझौआ बगहा
बाइट- पूरन शर्मा, शिक्षा पदाधिकारी, बगहा 1, पश्चिम चम्पारण, चश्मा पहने
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