Back
प्रतापगढ़ में मानसून ने बांधों में भर दिया जीवन का संचार!
HUHITESH UPADHYAY
FollowJul 17, 2025 08:08:36
Pratapgarh, Rajasthan
Slug : 1707ZRJ_PRTP_BARISH_R
जिला : प्रतापगढ़
विधानसभा : प्रतापगढ़
खबर की लोकेशन : प्रतापगढ़
जिला संवादाता : हितेष उपाध्याय, 9079154796
हेडर/हेडलाईन : समय पर मानसून की दस्तक से बांधों में जीवन का संचार, बारिश ने जिले को दी राहत की सौगात
एंकर/इंट्रो : प्रतापगढ़ जिले में इस बार मानसून ने समय पर और प्रभावशाली आगमन किया है। बारिश ने जहां ग्रामीण इलाकों की सूखती उम्मीदों को फिर से सींचा है, वहीं बांधों, नदियों और जल स्रोतों में बहाव ने जिले को जल संकट से उबारने की दिशा में महत्वपूर्ण राहत दी है। इस मानसूनी मेहरबानी ने जल भंडारण, सिंचाई और पेयजल के मोर्चे पर उम्मीद की नई किरणें जगाई हैं।
गौरतलब है कि जून के अंतिम सप्ताह से शुरू हुई रुक-रुक कर बारिश ने प्रतापगढ़ जिले में जुलाई के पहले पखवाड़े तक लगातार असर दिखाया है। चार दौर की अच्छी बारिश के चलते बांधों में जलस्तर तेजी से बढ़ा है और कई जल स्रोतों में उल्लेखनीय आवक दर्ज की गई है। जल संसाधन विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई मध्य तक जिले के 16 प्रमुख बांधों में से 6 बांध 60 प्रतिशत से अधिक भर चुके हैं। पिछले सालों की बात करें तो वर्ष 2022 में मानसून के इस स्तर तक पहुंचने पर 11 बांधों में जल संग्रह हुआ था, 2023 में यह संख्या 7 रही और 2024 में महज 3 बांधों में उल्लेखनीय आवक हुई थी। वहीं 2025 में अब तक 6 बांध 60 प्रतिशत से अधिक भर चुके हैं, और यदि वर्षा इसी तरह जारी रही तो शेष बांध भी जल्दी ही अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच सकते हैं।
वहीं जिले का सबसे बड़ा जाखम बांध, जो गर्मियों में सूखकर 14.80 मीटर पर पहुंच गया था, अब 16.20 मीटर की ऊंचाई तक भर चुका है। यह जल स्तर जिले की पेयजल और सिंचाई व्यवस्था के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। इसी तरह बोरिया बांध पूरी क्षमता 9.20 मीटर तक भर चुका है। मेल बांध की कुल क्षमता 10.50 मीटर है, जिसमें फिलहाल 8.70 मीटर पानी दर्ज किया गया है। भंवरसेमला बांध में 5.20 मीटर तक जल भराव हो चुका है, जिसकी पूरी क्षमता 14.70 मीटर है। इसके अलावा बख्तोड़ और वोरि वाणगढ़ी जैसे अन्य बांधों में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। जिला मुख्यालय पर अब तक 329 मिमी बारिश रिकॉर्ड की जा चुकी है, जो पिछले साल की तुलना में लगभग दोगुनी और सामान्य औसत से 33 प्रतिशत अधिक है। यह पानी सिर्फ शहरी सड़कों और खेतों में नहीं बहा, बल्कि इससे नदियों, नालों और जलप्रपातों में भी बहाव लौटा है। जाखम नदी, सीतामाता अभयारण्य के झरने और घाटों में फिर से जीवन का संचार हुआ है, जिससे पर्यावरणीय संतुलन और पारिस्थितिकी को भी ऊर्जा मिली है। यदि वर्ष 2019 की तुलना करें, तो उस वर्ष जुलाई में 8 बांध 70 प्रतिशत से अधिक भर चुके थे, लेकिन उसके बाद लगातार वर्षों में यह संख्या घटती रही। 2025 में मानसून की निरंतरता और तीव्रता ने एक बार फिर उम्मीद जगाई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जुलाई के शेष दिनों में भी इसी तरह वर्षा होती रही, तो जिले के लगभग सभी बांधों में पूर्ण जल भराव संभव है।
बाईट- प्रतीक राठौर, एईएन, जल संसाधन विभाग
7
Report
हमें फेसबुक पर लाइक करें, ट्विटर पर फॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब्ड करें ताकि आप ताजा खबरें और लाइव अपडेट्स प्राप्त कर सकें| और यदि आप विस्तार से पढ़ना चाहते हैं तो https://pinewz.com/hindi से जुड़े और पाए अपने इलाके की हर छोटी सी छोटी खबर|
Advertisement