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सारंडा में लैंडमाइन विस्फोट: तीन हाथी घायल, गांव में शोक!
APAnand Priyadarshi
FollowJul 09, 2025 16:03:32
Chaibasa, Jharkhand
सारंडा में तीन हाथी कथित लैंडमाइंस विस्फोट में हैं घायल, एक हाथिनी के ईलाज में जुटा वन विभाग, बाकी दो की तलाश जारी
पहले दिन सिमित मात्रा में घायल हथिनी को दी गयी दवा, मौके पर मौजूद हैं डीएफओ और पशु चिकित्सा कर्मी
हाथियों के घायल होने से शोक में डूबा सारंडा का गाँव, ग्रामीणों ने नहीं जलाया घर का चूल्हा
ANCHOR READ:- सारंडा के घने जंगलों में एक बार फिर नक्सल हिंसा का काला साया मंडरा उठा है — इस बार शिकार बने हैं मासूम और बेजुबान हाथी। अभी एक हाथी की लैंडमाइंस विस्फोट की चपेट में आने के बाद, इलाज के दौरान हुई मौत को एक दिन भी नहीं गुजरे थे, कि कथित लैंडमाइन विस्फोट की चपेट में आकर सारंडा के तिरिलपोषी में अब और तीन हाथी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। इनमें एक हथिनी को वन विभाग ने ट्रेस कर इलाज शुरू कर दिया है, जबकि दो अन्य हाथियों की तलाश अब भी जारी है। इस हृदय विदारक घटना से पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है। गांवों में चूल्हे नहीं जले, महिलाओं की आंखें नम हैं और हर कोई घायल हथिनी की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा है।
जिंदगी और मौत की जद्दोजहद में हथिनी!
घायल हथिनी की देखभाल के लिए झारखंड वन विभाग ने सारंडा डीएफओ अभिरूप सिन्हा के नेतृत्व में ओडिशा के राउरकेला और क्योंझर वन विभाग के साथ संयुक्त अभियान शुरू किया है। ओडिशा से पहुंचे पशु चिकित्सा विशेषज्ञ और मनोहरपुर के डॉक्टरों की टीम ने घायल हथिनी के इलाज के लिए सुबह से ही मोर्चा संभाल लिया। पहले दिन इलाज को लेकर एहतियात बरतते हुए उसे सीमित मात्रा में दवा दी गई। दवा को कटहल में मिलाकर हथिनी को दी गई, जिसे कड़ी मशक्कत के बाद उसने खा लिया।
हथिनी की हालत बेहद नाजुक है — वह अपने तीन पैर पर पूरा शरीर संभालने को मजबूर है। दूसरी ओर, ज़मीन पर बैठना उसके लिए असंभव सा हो गया है। चलने के लिए वह बार-बार कोशिश कर रही है, लेकिन हर कदम उठाना उसे असहनीय दर्द दे देता है।
गांव में मातम, भावुक ग्रामीण!
हथिनी की करुणा ने इंसानों का दिल भी दहला दिया है। ग्रामीणों ने खाना बनाना बंद कर दिया है, घर-घर में शोक की स्थिति है। तिरिलपोषी और आसपास के इलाकों में सन्नाटा पसरा हुआ है। विशेष रूप से महिलाएं अत्यधिक भावुक हैं. वे हर वक्त हथिनी की ओर देखकर प्रार्थना कर रही हैं कि वह जल्द से जल्द ठीक हो जाए और अपने झुंड में लौट जाए।
वन विभाग के कर्मचारियों ने भी हथिनी की स्थिति पर गहरा दुख प्रकट किया है। डीएफओ अभिरूप सिन्हा ने कहा, “हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि हथिनी को फिर से पहले जैसी हालत में लाया जा सके। इलाज जारी है, हमें उम्मीद है कि वह जल्द ठीक होगी।”
दूसरे दो घायल हाथी अब भी लापता!
स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक, जंगल में दो अन्य हाथी भी इसी तरह घायल हैं, जिनमें एक दंतैल शामिल है। ग्रामीणों ने बताया कि एक हाथी का अगला पैर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है और दोनों ही हाथी लंगड़ाकर चल रहे हैं। अभी तक उनका कोई ठोस उपचार नहीं हो सका है क्योंकि उन दोनों हाथियों को ट्रेस नहीं किया जा सका है।
लैंडमाइन का खौफ और वन्यजीवों की त्रासदी!
जानकारी मिल रही है कि ये सभी हादसे लैंडमाइन विस्फोट के कारण हुए हैं। पिछले 15 दिनों में एक हाथी की मौत पहले ही हो चुकी है और अब, तीन हाथी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। हालांकि अधिकारी खुले तौर पर लैंडमाइन को हादसे का कारण मानने से बच रहे हैं, लेकिन गांववालों का कहना है कि नक्सली इलाकों में बिछे विस्फोटक अब वन्यजीवों के लिए भी घातक साबित हो रहे हैं।
प्रशासन से बड़ी पहल की मांग!
यह घटना वन्यजीव संरक्षण और आदिवासी जनजीवन दोनों के लिए एक गंभीर चेतावनी और खतरे की घंटी है। पहले जहां लैंडमाइन ग्रामीणों और सुरक्षाबलों को निशाना बनाते थे, अब जानवर भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। यदि प्रशासन समय रहते कोई ठोस कार्रवाई नहीं करता तो आने वाले दिनों में और भी मासूम बेजुबान जानवर लैंडमाइन की चपेट में आकर मौत के काल के गाल में समा सकते हैं।
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