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बिलासपुर एंबुलेंस घोटाले में लाखों की चोरी, क्या है सच्चाई?
Bilaspur, Chhattisgarh
बिलासपुर। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) कार्यालय में एंबुलेंस की मरम्मत के नाम पर लाखों रुपए का घोटाला सामने आया है। रिकॉर्ड के मुताबिक फ्री सर्विसिंग होने के बाद भी नई एंबुलेंस को मरम्मत के लिए गैरेज में भेजा गया, जहां तीन महीने में 3.35 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए गए, फिर भी गाड़ी ठीक से नहीं चल रही थी। जब उसे जांच के लिए दूसरे मैकेनिक के पास ले जाया गया, तो हैरान कर देने वाला खुलासा हुआ। गाड़ी के इंजन से उसका महंगा कैटालिटिक कन्वर्टर ही गायब था। उसे काटकर निकाला गया था। इस पार्ट की कीमत 1.80 लाख से 2.50 लाख रुपए के बीच बताई जा रही है। मामले में तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. प्रमोद तिवारी ने व्यापार विहार के गैराज संचालक को नोटिस जारी कर कार्रवाई की चेतावनी दी थी, लेकिन उनके रिटायरमेंट के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अब सवाल यह उठता है कि आखिर इतनी बड़ी चोरी कैसे हुई और इतने सारे मरम्मत बिल बिना जांच-पड़ताल के कैसे पास हो गए? सूत्रों की मानें तो यह गड़बड़ी गैराज संचालक और सीएमएचओ कार्यालय के कर्मचारियों की मिलीभगत से हुई है। एंबुलेंस की मरम्मत के नाम पर 14 मई 2024 को दो बिल पेश किए गए, जिसमें एक 58,500 रुपए का और दूसरा 72 हजार रुपए का था। इसके बाद 18 अगस्त 2024 को फिर से 5 हजार रुपए का मरम्मत बिल पेश किया गया। यानी महज तीन महीने में एक नए वाहन की मरम्मत पर 1.35 लाख रुपए का खर्च दिखाया गया। विभागीय दस्तावेजों से पता चलता है कि यह फोर्स कंपनी की नई एंबुलेंस थी और उसकी फ्री सर्विसिंग अवधि भी समाप्त नहीं हुई थी। और इस पर अभी तक नंबर भी नहीं लिया गया था इसके बावजूद मरम्मत का बिल बनाकर राशि निकाली जाती रही। हैरानी की बात यह है कि जिस महंगे पार्ट को वाहन से काटकर निकाला गया, उसकी चोरी की जानकारी तक किसी अधिकारी को नहीं थी।जब मामला सामने आया और तकनीकी जांच में पार्ट्स की चोरी की पुष्टि हुई, तो सीएमएचओ कार्यालय में हड़कंप मच गया। अब विभागीय अधिकारी यह सोचने पर मजबूर हैं कि आखिर एकदम नई एंबुलेंस में इतनी जल्दी मरम्मत की जरूरत क्यों पड़ी और इतने भारी खर्च के बावजूद गाड़ी सही क्यों नहीं हो पाई। सूत्रों के अनुसार, मरम्मत के नाम पर जो बिल पास किए गए हैं, वे बिना तकनीकी जांच और निरीक्षण के सीधे क्लियर कर दिए गए। इससे जाहिर होता है कि वाहन शाखा में गहरी लापरवाही बरती गई है या जानबूझकर गड़बड़ी की गई है। यह मामला अब विभागीय जांच के दायरे में आ गया है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जब इस मामले की जांच होगी,तो इसमें कई विभागीय अधिकारी-कर्मचारी भी फंसेंगे। नई एंबुलेंस को एजेंसी में देने मैकेनिक को दिखाया गया।माना जा रहा है कि मैकेनिक और स्थानीय कर्मचारियों की मिलीभगत से ही यह खेल के बजाय स्थानीय गैराज में हुआ है। सीएमएचओ कार्यालय में कोई जवाबदार नहीं सीएमएचओ डॉ. प्रमोद तिवारी रिटायर हो चुके हैं। जेडी हेल्थ सुरेश तिवारी को सीएमएचओ का प्रभार दिया गया है। जब उनसे इस मामले में बात की गई, तो उन्होंने इस संबंध में जानकारी होने से इनकार कर दिया वहीं इस मामले में जब बिलासपुर के कलेक्टर संजय अग्रवाल से बात की गई तो कलेक्टर ने साफ तौर पर कहा कि नई सीएमएचओ ने जॉइनिंग कर ली है और मैंने साफ निर्देश दिया है कि जो भी इस तरह के आसामाजिक तत्व हो चाहे वह ऑफिस के हो या बाहर की हो उनके ऊपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
रिपोर्टर शैलेंद्र सिंह ठाकुर 121 विथ संजय अग्रवाल कलेक्टर बिलासपुर
रिपोर्टर शैलेंद्र सिंह ठाकुर वॉकथ्रू एम्बुलेंस घोटाला मामला।
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