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क्या ऑनलाइन नमाज इस्लाम में सही है? जानें सहारनपुर के मौलाना का जवाब!
Saharanpur, Uttar Pradesh
ये नेशनल का इनपुट है
slug.....2806ZUP_SRN_NEWS_INP_R
Date....28.6.2025
Name.... Neena jain
location... saharanpur
anchor.....*Need Input*
1. नमाज की ऑनलाइन स्ट्रीम वाली एप्लिकेशन पर *सहारनपुर* और *बरेली* से *1- * * * * * *1 मौलाना साहब* की बाइट करवा दें कि * * * * * * *“नमाज की ऑनलाइन स्ट्रिमिंग इस्लाम के हिसाब से सही है?”* या इसकी मनाही है?”* ...रिपोर्टर असाइन करने के बाद उनका नाम और नंबर शेयर कर दें
2. नमाज की ऑनलाइन स्ट्रिमिंग पर * * * * * * *कुछ हिंदू धर्मगुरूओं की बाइट* के लिए रिपोर्टर्स असाइन कर दीजिए और नाम और नंबर शेयर कर दीजिए
मस्जिदों में लाउडस्पीकर के उपयोग को लेकर चल रही विवादों के बीच, मुंबई की माहिम जुमा मस्जिद ने एक अभिनव समाधान प्रस्तुत किया है। इस मस्जिद ने एक विशेष मोबाइल ऐप लॉन्च किया है, जो अज़ान को लाइव स्ट्रीम करता है, जिससे नमाज़ी बिना किसी कानूनी पाबंदी के वास्तविक समय में अज़ान सुन सकते हैं।
माहिम जुमा मस्जिद ट्रस्ट के अनुसार, मुंबई के कई शहरी इलाकों में लाउडस्पीकर के उपयोग पर प्रतिबंध के चलते, उन्होंने यह ऐप विकसित किया है। यह ऐप तमिलनाडु की एक तकनीकी टीम के सहयोग से बनाया गया है। ऐप का नाम "ऑनलाइन अज़ान ऐप" है, जिसे अब तक 600 से अधिक यूजर्स ने डाउनलोड किया है। इस ऐप के जरिए मस्जिद का पंजीकरण होता है और यूजर्स अपनी पसंद की मस्जिद से जुड़कर अज़ान सुन सकते हैं। अज़ान के समय से पहले ऐप यूजर्स को नमाज़ शुरू होने की सूचना भी प्रदान करता है।
जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक करी इश्हाक गोरा का कहना है क कि ऑनलाइन नमाज पढ़ी जा सकती है या नहीं इसको ऐसे समझिए कहीं दूर दराज नमाज अदा की जा रही है आप मिसाल समझिए कि मुजफ्फरनगर में नमाज हो रही है और सहारनपुर में यहां कोई अदा करना चाहता है तो यह शरण में जायज है या नहीं इस बारे में मैं बताना चाहूंगा ज्यादातर उलेमा इस बात पर इख्तियार रखते हैं यह नमाज जायज नहीं होगी हर चीज को बाकायदा से दारुल इफ्ता अपने मिसाइल जो शरीयत के नियम होते हैं उसके बारे में पूछा जाता है कि बिहाप पर बनाया गया है। इन उलेमा ने किसकी इजाजत दी है क्या इसके बारे में दारुल इफ्ता से मालूमात की है। क्या इसके कारण रहे हैं मुझे जानकारी नहीं है अगर यह मुफ्ती से पूछ कर नहीं बनाया है वैसे ही बना दिया गया तो तो मैं समझता हूं यह बिल्कुल गलत है यह एक किस्म खितना भी हो सकता है। यह जब तक दारुल इफ्ता के यानी इकराम कोई डिसीजन ना ले शरीयत की कोई भी चीजों को हम सही नहीं बता सकते
बाइट...कारी इश्हाक गोरा संरक्षक जमीयत दावतुल मुस्लिमीन
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