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भारतीय नौसेना ने प्रोजेक्ट 17A के तहत शामिल किए नए स्टील्थ युद्धपोत!
NJNitish Jha
FollowJul 10, 2025 05:05:56
Mumbai, Maharashtra
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Commodore Johnson Odakkal, Indian Navy (Retd)
भारतीय नौसेना ने हाल ही में प्रोजेक्ट 17A स्टील्थ फ्रिगेट्स (जैसे INS उदयगिरि, तारागिरि, महेंद्रगिरि आदि) को शामिल करके हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति और सामरिक क्षमता को मजबूत किया है। इन युद्धपोतों की सबसे बड़ी खासियत है कि ये 75% स्वदेशी तकनीक से बने हैं, अत्याधुनिक हथियारों और सेंसरों से लैस हैं, और पारंपरिक एवं गैर-पारंपरिक दोनों तरह के समुद्री खतरों से निपटने में सक्षम हैं।
प्रमुख बिंदु:
INS उदयगिरि, प्रोजेक्ट 17A के तहत बना दूसरा स्टील्थ युद्धपोत, जुलाई 2025 में नौसेना को सौंपा गया। इसे बनाने में केवल 37 महीने लगे, जो एक रिकॉर्ड है।
प्रोजेक्ट 17A के तहत कुल 7 युद्धपोत बन रहे हैं, जिनमें से दो (INS नीलगिरि और INS उदयगिरि) नौसेना को मिल चुके हैं, बाकी 2026 तक शामिल हो जाएंगे।
इन युद्धपोतों में सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, मीडियम रेंज की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, 76 मिमी गन और तेज़ फायरिंग क्लोज-इन वेपन सिस्टम लगे हैं।
हर फ्रिगेट का विस्थापन लगभग 6,670 टन है, लंबाई 149 मीटर, अधिकतम गति 28 समुद्री मील और 225 कर्मियों की क्षमता है।
रणनीतिक महत्व:
हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य और नौसैनिक मौजूदगी भारत के लिए चुनौती है। चीन के पास लगभग 600 युद्धपोत हैं, जिसमें तीन एयरक्राफ्ट कैरियर और 50 सबमरीन (15 न्यूक्लियर) शामिल हैं, जबकि भारत के पास लगभग 145 युद्धपोत हैं।
चीन "स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स" रणनीति के तहत हिंद महासागर के आसपास के देशों में बंदरगाह और सैन्य आधार बना रहा है, जिससे उसकी क्षेत्रीय पकड़ मजबूत हो रही है।
भारत का 95% समुद्री व्यापार इसी क्षेत्र से होकर गुजरता है, इसलिए नौसेना की ताकत बढ़ाना देश की सुरक्षा और व्यापार के लिए जरूरी है।
आत्मनिर्भरता और रक्षा उत्पादन:
इन युद्धपोतों के निर्माण में देश की 200 से अधिक MSME कंपनियों ने भागीदारी की, जिससे रक्षा उत्पादन में भारत की स्थिति और मजबूत हुई है।
यह तेज़ स्वदेशीकरण और 2047 तक पूरी तरह आत्मनिर्भर नौसेना की दिशा में बड़ा कदम है। फिलहाल भारतीय शिपयार्डों में लगभग 60 युद्धपोत निर्माणाधीन हैं।
निष्कर्ष:
प्रोजेक्ट 17A के ये युद्धपोत न केवल भारतीय नौसेना की तकनीकी और सामरिक क्षमता को बढ़ाते हैं, बल्कि हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी का प्रभावी जवाब भी हैं। इससे भारत की समुद्री सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और क्षेत्रीय संतुलन को मजबूती मिलती है।
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