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उत्तराखंड में हाथियों की बढ़ती संख्या, मानव वन्यजीव संघर्ष की चिंता!
Haldwani, Uttarakhand
एंकर: उत्तराखंड में हाथियों की लगातार बढ़ती संख्या वन विभाग के लिए भी चुनौती बन रही है. मानव वन्यजीव संघर्ष की घटना में जहां इंसानों की जान जा रही है तो वही ट्रेन और सड़क हादसों में कई हाथियों की जान भी जा चुकी है. हाथियों के पुश्तैनी रास्ते हाथी कॉरिडोर बंद हो चुके हैं जिसके चलते हाथी अपने मूल रास्ते से भटक कर ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में पहुंच रहे हैं जिसके चलते मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ रही है, इसी को देखते हुए उत्तराखंड वन विभाग के तराई पूर्वी वन प्रभाग और WWF ने संयुक्त पहल करते हुए एलीफैंट कोरिडोर के सर्वे का काम शुरू किया है....
VO: तराई पूर्वी वन प्रभाग के गौला नदी के किनारे करीब 2.5 से 3 किमी लम्बा एलीफैंट कॉरिडोर है. मानव वन्यजीव संघर्ष की घटना और ट्रेन हादसों में हाथियों की हो रही मौत को देखते हुए हाथी कॉरिडोर संभावित क्षेत्रों को WWF की मदद से हाथियों के बिचरण वाले रास्तों को कैमरा ट्रैप के माध्यम से निगरानी की जा रही है. इसके अलावा हाथियों की कॉरिडोर पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से हाथियों की मूवमेंट की जानकारी और उसका डेटा इकट्ठा किया जा रहा है. डेटा के माध्यम से जानकारी जुटाई जा रही है कि हाथी कॉरिडोर क्षेत्र में साल के कौन से मौसम में हाथियों का अधिक आना-जाना होता है. डाटा कलेक्शन करने के बाद वन विभाग द्वारा प्लानिंग की जाएगी की हाथियों के कॉरिडोर को किस तरह से बचाया जा सके. जिससे कि मानव वन्यजीव की संघर्ष की घटना के साथ-साथ हादसों में हाथियों की हो रही मौत को रोका जा सके...
बाइट: हिमांशु बागड़ी, DFO तराई पूर्वी वन प्रभाग
VO : हाथी कॉरिडोर का सर्वे, हाथियों के प्राकृतिक आवास और उनके विचरण मार्गों को बचाने के प्लान यह किया जा रहा है. यह सर्वे यह सुनिश्चित करने के लिए है कि हाथियों के लिए सुरक्षित रास्ते उपलब्ध हों और उनके आवासों को बचाया जा सके, हाथी कॉरिडोर का मुख्य उद्देश्य हाथियों को सुरक्षित रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए रास्ते प्रदान करना है जिससे मानव-हाथी संघर्ष को कम किया जा सके.....
बाइट: हिमांशु बागड़ी, DFO तराई पूर्वी वन प्रभाग
हाथी कॉरिडोर क्या है.....
उत्तराखंड में एलीफैंट कॉरिडोर बहुत महत्वपूर्ण हैँ क्योंकि यह हाथी कॉरिडोर क्षेत्र राजाजी राष्ट्रीय उद्यान और कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के साथ-साथ शिवालिक क्षेत्र के जंगलो तक फैला है जहां हाथियों का विचरण होता है. मानव अतिक्रमण के चलते जगह-जगह हाथी कॉरिडोर बाधित हो चुके हैं,
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