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जीएसटी ने पारदर्शिता बढ़ाई, कलेक्शन तीन गुना तक पहुंचा
RBRAKESH BHAYANA
Sept 27, 2025 13:46:19
Panipat, Haryana
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LOCATION C APP PANIPAT
STORY BY RAKESH BHAYANA
टैक्स व्यवस्था में सुधार से बढ़ी पारदर्शिता, जीएसटी कलेक्शन तीन गुना तक पहुंचा
सरकार का काम उद्योगपतियों को सुरक्षित रखना और जनता को राहत देना
किसानों की मदद से लेकर पावर सेक्टर तक—सरकार की उपलब्धियों का ब्योरा
देश की टैक्स व्यवस्था को सरल और पारदर्शी बनाने के प्रयासों के परिणाम अब सामने आने लगे हैं। प्रधानमंत्री और पार्टी नेतृत्व के स्तर पर लिए गए निर्णयों के चलते टैक्सेशन प्रणाली में व्यापक सुधार किए गए हैं।
जन सामान्य टैक्स भरने से पीछे नहीं हटता, बल्कि टैक्स प्रणाली की जटिलताओं से कतराता है। इसी दृष्टि से सरकार ने टैक्स प्रक्रिया को आसान करने पर जोर दिया है।
नेक्स्ट जन जीएसटी: नया युग शुरू
सरकार ने नेक्स्ट जन जीएसटी को एक बड़े सुधार के रूप में प्रस्तुत किया है। इसके तहत अधिकतर वस्तुओं को छोटे टैक्स स्लैब या जीरो टैक्स श्रेणी में रखा गया है, जबकि उच्च दर के टैक्स वाले उत्पादों की संख्या कम कर दी गई है। इसका सीधा लाभ आम आदमी को मिल रहा है।
कलेक्शन में ऐतिहासिक बढ़ोतरी
2017 में जीएसटी लागू होने के बाद पहले महीने का कलेक्शन 80 हज़ार करोड़ रुपये रहा था। वहीं इस साल कुछ महीनों में यह आंकड़ा 2 लाख करोड़ रुपये से भी ऊपर पहुंच गया। एक महीने का सर्वाधिक कलेक्शन 2 लाख 40 हज़ार करोड़ रुपये दर्ज किया गया। इस प्रकार 2017 से 2025 के बीच टैक्स कलेक्शन में तीन गुना वृद्धि हुई है।
आर्थिक विकास और रोज़गार में इजाफा
सरकार का मानना है कि टैक्स दरों में कमी से वस्तुएं सस्ती होंगी, जिससे लोगों की खरीद क्षमता बढ़ेगी। इसके चलते व्यापार, उत्पादन और रोजगार में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। अनुमान है कि टैक्स कलेक्शन कम रेट पर भी बढ़ेगा और साल के अंत तक 58 हज़ार करोड़ रुपये की पूर्ति आसानी से हो जाएगी।
संकटग्रस्त उद्योगों को राहत
सरकार का दावा है कि बढ़ती मांग और खपत के चलते वे उद्योग भी दोबारा गति पकड़ेंगे जो एनपीए (NPA) की स्थिति तक पहुंच चुके थे। नई मांग से निवेश और उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
करदाता आधार में विस्तार
जीएसटी व्यवस्था के अंतर्गत अब तक 1 करोड़ 51 लाख से अधिक करदाता पंजीकृत हो चुके हैं। इससे देश का टैक्स बेस लगातार मजबूत हो रहा है और राजस्व संग्रह में स्थिरता आ रही है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि सरकार का काम उद्योगपतियों को सुरक्षित रखना और जनता को राहत देना है। उन्होंने बताया कि टेक्सटाइल सेक्टर में दरें घटाई गई हैं। अगर एक्सपोर्ट में दिक्कत आएगी तो घरेलू खपत बढ़ेगी।
खट्टर ने कहा कि 2017 में जीएसटी से 80 हज़ार करोड़ रुपये का राजस्व आता था, जो अब बढ़कर 2.40 लाख करोड़ हो गया है। पिछले साल कुल 22.5 लाख करोड़ रुपये का राजस्व सरकार को मिला।
उन्होंने कहा कि जब आमदनी बढ़ती है, तभी दरें घटाकर जनता को राहत दी जा सकती है।
रैपिड ट्रेन पर बोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से जल्द ही एक बड़ा प्रोजेक्ट पीआईबी (पब्लिक इंवेस्टमेंट बोर्ड) के पास भेजा जाएगा। संबंधित डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार हो चुकी है। इसके बाद यह फाइनेंस विभाग और फिर कैबिनेट की मंजूरी से गुज़रेगा। अनुमान है कि आने वाले दो-एक महीने में सारी औपचारिकताएं पूरी हो जाएंगी और प्रोजेक्ट आगे बढ़ेगा।
नेता ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का तरीका शुरू से ही जनता से जुड़े रहने का रहा है। चाहे सत्ता में हो या विपक्ष में, पार्टी हमेशा जनता के बीच सक्रिय रही है। उन्होंने कहा, “हम विपक्ष में रहते हुए सत्ता पक्ष की गलतियां जनता तक पहुंचाते थे और सत्ता में रहते हुए अपनी उपलब्धियां बताते हैं। जनता से जुड़ना ही हमारा उद्देश्य है, न कि केवल हवाबाजी करना।”
किसानों के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने बताया कि बीते 11 वर्षों के कार्यकाल में किसानों की समस्याओं को अपनी समस्याओं की तरह माना गया है। तुलना करते हुए कहा गया कि वर्ष 2005 से 2014 के बीच पिछली सरकार ने मात्र ₹1,100 करोड़ किसानों के लिए खर्च किए, जिसमें से ₹250 करोड़ का भुगतान मौजूदा सरकार ने किया। जबकि भाजपा सरकार ने अब तक लगभग ₹14-15 हज़ार करोड़ रुपये किसानों को दिए हैं। केवल पिछले 10 सालों में 11-12 हज़ार करोड़ रुपये वितरित किए गए, और हालिया नुकसान की भरपाई के लिए भी 2-2.5 हज़ार करोड़ रुपये की स्कीमें तैयार हो चुकी हैं। किसानों से सीधे पोर्टल पर नुकसान दर्ज कराने की व्यवस्था की गई है।
ऊर्जा क्षेत्र की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2013-14 में देश में 4.5% बिजली की कमी थी और भारत को पावर डेफिशिएंट देश माना जाता था। लेकिन आज स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। वर्ष 2024 में 250 गीगावाट की पीक डिमांड के मुकाबले सप्लाई पूरी की गई। इस बार बारिश अधिक होने के कारण डिमांड 242 गीगावाट तक ही रही। आज भारत पावर सरप्लस की स्थिति में है और बिजली को एक्सपोर्ट करने की संभावना पर काम चल रहा है।
लाइन लॉस पर आंकड़े साझा करते हुए उन्होंने कहा कि जहां कभी 33% लाइन लॉस हुआ करता था, वहीं आज यह घटकर 11% पर आ गया है। इस तरह कुल 22% की कमी दर्ज की गई है। हरियाणा और गुजरात की पावर कंपनियां आज ग्रेड A1 और ए-प्लस श्रेणी में आ चुकी हैं और मुनाफे में चल रही हैं। हालांकि, कुछ राज्य अभी भी नुकसान में हैं।
बाइट मनोहर लाल केन्द्रीय मंत्री
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