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महाकाल महालोक में दिव्यांग कलाकारों ने किया मौनिया नृत्य का जादू!

ASANIMESH SINGH
Jul 17, 2025 18:00:21
Ujjain, Madhya Pradesh
महाकाल महालोक में श्रावण-भादौ मास के दौरान चल रही महाकालेश्वर सांस्कृतिक संध्या की चतुर्थ संध्या में एक विशेष प्रस्तुति देखने को मिली। मध्यप्रदेश के सागर जिले से आए वसुन्धरा लोककला कृषक शिक्षण संस्थान, रहली के दिव्यांग कलाकारों ने मौनिया लोकनृत्य की प्रभावशाली प्रस्तुति दी, जिसने दर्शकों का मन मोह लिया। संस्थान के संयोजक डॉ. उमेश वैद्य के निर्देशन में प्रस्तुत इस मौनिया नृत्य में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और महाभारत की कथाओं को बुंदेली शैली में जीवंत रूप से मंचित किया गया। भगवान शिव के गोपी रूप नृत्य, कालिया मर्दन जैसे प्रसंगों ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। इस लोकनृत्य की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी उल्लेखनीय रही — बताया गया कि इस नृत्य का सृजन स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने लगभग 5200 वर्ष पूर्व गोवंश की रक्षा और सामाजिक जागरूकता के उद्देश्य से किया था। नृत्य में श्रीमद् भागवत गीता के संदेश भी समाहित थे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई, जिसमें मुख्य अतिथि युवराज स्वामी माधव प्रपन्नाचार्य जी (पीठाधीश्वर, रामानुजकोट आश्रम) और पं. लोकेन्द्र व्यास (अध्यक्ष, पुरोहित समिति महाकालेश्वर मंदिर) उपस्थित रहे। कार्यक्रम में डिप्टी कलेक्टर एवं उप प्रशासक एस.एन. सोनी और सिम्मी यादव द्वारा सभी अतिथियों एवं कलाकारों को दुपट्टा, प्रसाद और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। मंच संचालन डॉ. रमेश शुक्ल ने किया। दिव्यांग कलाकारों की यह प्रस्तुति न केवल सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध थी, बल्कि सामाजिक समरसता और आत्मबल का भी प्रतीक बनी।
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