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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: नपुंसकता का बिना सबूत आरोप मानसिक क्रूरता!

SSSHAILENDAR SINGH THAKUR
Jul 17, 2025 09:35:21
Bilaspur, Chhattisgarh
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि पति पर बिना किसी मेडिकल जांच के नपुंसकता का आरोप लगाना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। कोर्ट ने इस आधार पर फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए पति को तलाक की मंजूरी दे दी है। यह मामला जांजगीर-चांपा जिले के युवक और बलरामपुर की युवती के बीच 2013 में हुई शादी से जुड़ा है। शादी के बाद जब संतान नहीं हुई, तो दोनों के बीच लगातार विवाद होने लगे और वे अलग-अलग रहने लगे।इसके बाद पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए याचिका दाखिल की। सुनवाई के दौरान पत्नी ने पति पर यौन संबंध बनाने में अक्षम होने का आरोप लगाया, लेकिन उसके दावे के समर्थन में कोई मेडिकल प्रमाण पेश नहीं किया गया। पति ने इस आधार पर हाईकोर्ट में अपील दाखिल की और कहा कि बिना मेडिकल जांच के इस तरह का आरोप लगाना उसकी प्रतिष्ठा और मानसिक स्थिति पर गहरा असर डालता है। हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए यह स्पष्ट किया कि ऐसे आरोप क्रूरता के अंतर्गत आते हैं और यह वैवाहिक संबंध को असहनीय बना देते हैं।अंततःकोर्ट ने पति की अपील स्वीकार करते हुए तलाक की अनुमति दे दी और फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया। यह फैसला उन मामलों के लिए नज़ीर बन सकता है, जहां झूठे आरोपों के चलते रिश्ते टूटने की कगार पर पहुंच जाते हैं। कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि बिना सबूत लगाए गए आरोप न सिर्फ गैर-जिम्मेदाराना हैं, बल्कि न्यायिक दृष्टि से क्रूरता के दायरे में आते हैं।
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