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भीलवाड़ा के गुरुजी ने बच्चों को वर्ल्ड रिकॉर्डधारी बना दिया!
MKMohammad Khan
FollowJul 10, 2025 05:30:27
Bhilwara, Rajasthan
LOCATION - BHILWARA
REPORT - DILSHAD KHAN
9784859773
भीलवाड़ा। वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर इदवी डाड, पार्थ सोनी, काशवी सोडानी, शिवांश काबरा, अश्विका माहेश्वरी को सब जानते है जिन्होंने संगीत क्षेत्र में रिकॉर्ड बनाए हैं। लेकिन इन्हें तैयार करने वाले गुरुजी का नाम मुश्किल से ही किसी को याद होगा। आज हम बताते है कि इन नन्हें मुन्नों को वर्ल्ड रिकॉर्डधारी बनाने वाले गुरुजी नवीन राव की कहानी। संगीत में प्रभाकर और विशारद की उपाधि ले चुके नवीन राव आज म्यूजिक टीचर हैं। वे बच्चों से लेकर प्रशासनिक अधिकारी, प्रोफेसर, डॉक्टर्स को म्यूजिक सिखाते हैं। वे प्रोफेशनल एंकर हैं। स्ट्रिंग एंड कोर्ड्स नाम से म्यूजिक एकेडमी चलाते हैं। आज की उपलब्धि जितनी शानदार दिखती है उतना ही इनका बचपन संघर्ष और बदहाली से भरपूर रहा है।
फैक्ट्री के कांच साफ किए, सब्जी मंडी से फेंकी सब्जियां बीनकर लाकर पेट भरा
मां- बाप होने के बावजूद बचपन इनके बिना गुजारना पड़ा। मामा और मौसी की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वे नवीन को ज्यादा पढ़ा सकते थे। 5वीं तक पढ़ाने के बाद उन्होंने हाथ खड़े कर दिए। लेकिन नवीन की किस्मत उन्हें सितारा बनाने की ठान चुकी थी। ऐसे में उन्हें वक्त के थपेड़ों का सामना करने के साथ ही आग की लपटों में तपना था। छठी कक्षा से ही उन्हें फैक्ट्री में काम शुरू कर दिया क्योंकि पैसा नहीं होता तो आगे की पढ़ाई नहीं हो पाती। पैसे के इंतजाम के लिए बैंडबाजे में काम किया। जिस उम्र में स्कूल में कॉपी पेन पकड़ना था उस उम्र में वे फैक्ट्री के कांच साफ कर रहे थे। छठी कक्षा से ही उन्हें अलग कमरा लेकर रहना पड़ा। गरीबी का हाल ये था कि सब्जी मंडी में जो खराब समझकर सब्जियां फेंकी जाती उसे बीनकर नवीन घर लाते और सब्जी बनाकर अपना पेट भरते।
फैक्ट्री वालों ने निकाल दिया तो पैसे के लिए ढोलक बजाने लगे
एक समय वो आया जब फैक्ट्री वालों ने भी निकाल दिया और कहा कि कुछ और व्यवस्था देख लो। बैंडबाजे की टीम में काम करने के दौरान ढोल, ढोलक आदि सीख लिया। फिर किस्मत पलटना शुरू हुई। जागरण में भजन गाने लगे। फिर महसूस हुआ कि क्यों नहीं संगीत के क्षेत्र में ही करिअर बनाया जाए। इस दौरान विद्याशंकर कनेरिया गुरू के रूप में मिले। जिन्होंने बिना पैसे लिए उन्हें संगीत में पारंगत किया। इधर, नवीन ने मुंबई के कॉलेज से संगीत में बीए किया। फिर इलाहाबाद से प्रभाकर और लखनऊ से विशारद की उपाधि ली। गुरु विद्याशंकर कनेरिया को आदर्श मानते हुए नवीन राव भी 10 बच्चों को निशुल्क संगीत की शिक्षा देते हैं। कुछ बच्चों की स्कूल फीस भी भरते हैं। उनका कहना है कि मेरी मदद करने के साथ ही कनेरिया सर ने मुझे राह दिखाई तब जाकर यह मुकाम हासिल कर सका। मेरी छोटी सी मदद से किसी का बचपन संवर जाए इससे बड़ी बात मेरे लिए और क्या हो सकती है।
2013 में बदली किस्मत, जी टैलेंट हंट से मिला मौका
पढ़ाई हो चुकी थी लेकिन किस्मत चमकना बाकी था। इस बीच 2013 में जी टैलेंट हंट आया। उनकी प्रतिभा को मंच मिला। लोगों ने जानना शुरू किया। फिर एक डांस एकेडमी के साथ काम शुरू किया। इससे आमदनी अच्छी होने लगी। फिर अपनी स्ट्रिंग एंड कोर्ड्स नाम से म्यूजिक एकेडमी खोली और बच्चों को सिखाने लगे। फिर तो इनके सिखाए नन्हें मुन्हों ने रिकॉर्ड बनाना शुरू किया। इनकी एकेडमी में ढाई साल की बच्ची से लेकर 56 साल की स्टूडेंट तक संगीत सीखने आती है। नवीन बताते हैं कि संगीत में अच्छा करिअर हैं। आज वे सवा लाख रुपए कमा रहे हैं। संगीत में नेट कर रखा है। मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी से पीएचडी के लिए एनरोल भी हो गए थे लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते उन्हें छोड़ना पड़ा। अगले साल फिर पीएचडी के लिए एग्जाम देंगे।
टॉफी देकर, लुकाछिपी खेलकर सिखाते हैं संगीत
नवीन राव बताते हैं कि बड़ों को सिखाना आसान है लेकिन बच्चों को सिखाना नामुमकिन जैसा है। कभी उनका मन नहीं होता है। कभी मन है तो मेहनत नहीं करनी है। कभी मेहनत है लेकिन बोलना नहीं है। बच्चों के वीडियो रिकॉर्ड करने में 10-12 दिन निकल जाते है। इदवी डाड नाम की बच्ची को लुकाछिपी खेलकर संगीत सिखाया है। उनकी मम्मी ने सोते समय इदवी से शिव स्तुति सुनी और रिकॉर्ड कर लिया। वही फिर आगे भेजा तो वर्ल्ड रिकॉर्ड बन गया।
बाइट - नवीन राव, गुरु
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