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कुशीनगर में पशु आश्रय स्थल: भ्रष्टाचार का बड़ा मामला!
Kushinagar, Uttar Pradesh
प्रमोद कुमार
ज़ी मीडिया
कुशीनगर
News - Script
Slug - निराश्रित पशु आश्रय स्थल या लूट का अड्डा!
एंकर - "निराश्रित पशुओं के नाम पर किस तरह से घोटाला! कुशीनगर में किया जा रहा हैं इसका ताजा उदाहरण खड्डा क्षेत्र के कोप जंगल में बने वृहद पशु आश्रय स्थल में देखने को मिला,जहां भ्रष्टाचार की ऐसी दास्तां सामने आई जो यूपी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल खड़े करता हैं की क्या पशुओं की संख्या का फर्जीवाड़ा कर लाखों रुपये की बंदरबांट की जा रही है? और आखिर इस खेल में कौन कौन है शामिल, ग्राम प्रधान या उनके रिश्तेदार और या फिर कुछ अधिकारी?
देखिए ये खास विशेष रिपोर्ट..."
वीओ - यूपी के कुशीनगर जिले के खड्डा ब्लॉक के कोप जंगल गांव में बने बृहद गो आश्रय में पशुओं के संख्या ,चारा और मजदूरों की संख्या में हेरा फेरी कर सरकारी धन का बंदरबाट का मामला सामने आया। जहां उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2020 में एक करोड़ बीस लाख रुपये की लागत से वृहद निराश्रित पशु आश्रय स्थल बनवाया। उद्देश्य था – सड़कों और खेतों में घूमने वाले बेसहारा गोवंश को सुरक्षित स्थान देना।"लेकिन अब यही आश्रय स्थल सवालों के घेरे में है।स्थानीय ग्राम प्रधान के सगे भाई और चचेरे भाई ने ही इस आश्रय स्थल में फर्जीवाड़े के गंभीर आरोप लगाए हैं।"
बाइट - हेमन्त कुशवाहा शिकायत कर्ता
बाइट - राजेश कुशवाहा (ग्राम प्रधान के भाई): शिकायत कर्ता
विओ- "शिकायत के बाद जांच करने पहुँचे जिम्मेदारों ने मौके पर सरकारी रजिस्टर में फेज 1 और फेज 2 में 1094 पशु दिखाए जा रहे थे, जबकि दोनों फेज में मौके पर 565 मिले। इस प्रकार 529 पशुओं का अंतर मिला...साथ ही फर्जी मजदूर, फर्जी बिल... सबकुछ कागजों पर।" ही दिखा "शिकायतें केवल परिवार तक सीमित नहीं रहीं। मामला पहले जिलाधिकारी और फिर मंडलायुक्त गोरखपुर तक पहुंचा। लेकिन कार्रवाई? अभी भी अधूरी है।""इस आश्रय स्थल में पशुओं की टैगिंग, चारे की खरीद, मजदूरों की भर्ती – सब कुछ सवालों के घेरे में है। एनजीओ के हटने के बाद जिम्मेदारी सीधे ग्राम प्रधान, सचिव और जिला पशु चिकित्सा अधिकारी पर आ गई। लेकिन घोटाले की शिकायतें अबतक सिर्फ कागजों तक सीमित हैं।" “कौन है जिम्मेदार?” – ग्राम प्रधान | सचिव | सीवीओ
बाइट – डॉ रविन्द्र प्रसाद पशु चिकित्सा अधिकारी
विओ- " पशु चिकित्सा अधिकारी ग्राम प्रधान पर गंभीर आरोप हैं – लेकिन कार्रवाई के नाम पर अब तक केवल जांच की फाइलें घूम रही हैं।
पशुओं की संख्या में हेरा फेरी कर सरकारी धन का खुलेआम लूट हुआ...इस मामले पर ग्राम प्रधान से बात की गई तो ग्राम प्रधान ने गांव की साजिश बताया
बाइट - यशवंत कुशवाहा ग्राम प्रधान
विओ- ऐसे में सवाल उठता है – क्या गोवंश संरक्षण के नाम पर बना ये केंद्र वास्तव में संरक्षण कर रहा है या फिर किसी के लिए ‘कमाई का अड्डा’ बन गया है?"
"तो क्या ये महज़ संयोग है कि एक ही परिवार के लोग इस भ्रष्टाचार की परतें खोल रहे हैं? या फिर अंदर कुछ बहुत गहरी साजिश छुपी है? सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति की असली परीक्षा अब शुरू होती है।
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