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Pratapgarh312605

प्रतापगढ़ की अदिति ने वैराग्य की ओर बढ़ाया कदम, भावुक विदाई!

HUHITESH UPADHYAY
Jul 09, 2025 09:40:36
Pratapgarh, Rajasthan
Slug : 0907ZRJ_PRTP_AAYOJAN_R जिला : प्रतापगढ़ विधानसभा : प्रतापगढ़ खबर की लोकेशन : प्रतापगढ़ जिला संवादाता : हितेष उपाध्याय, 9079154796 हेडर/हेडलाईन : वैराग्य लेने वाली परिवार की चौथी सदस्य • अदिति की अद्वितीय यात्रा : सबको में गुड़ बाय कहकर चली… में तो अपने गुरुवर के द्वार चली रे एंकर/इंट्रो : प्रतापगढ़ की अदिति चिप्पड़ ने सांसारिक जीवन से विदा लेकर संयम और साधना का मार्ग चुन लिया है। आधुनिक सुख-सुविधाओं के बीच पली-बढ़ी अदिति अब जीवन के उस मोड़ पर हैं, जहां दुनिया के आकर्षणों से मुंह मोड़कर वैराग्य को गले लगाया जा रहा है। अदिति ने बीसीए की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी, क्योंकि उनके भीतर आत्मानुभूति और आत्मशोधन की ललक जाग चुकी थी। जैन स्थानकवासी परंपरा के अंतर्गत वे अब दीक्षा ले रही हैं। आज प्रतापगढ़ शहर के सालमपुरा स्थित निवास से दोपहर 1:15 बजे णमोकार मंत्र के जाप के साथ विदाई ली गई। ढोल-नगाड़ों की गूंज के बीच वे बोहरा गली, महल दरवाजा, धमोतर दरवाजा होते हुए नई आबादी के रास्ते समता भवन तक पैदल चलीं। विदाई का वह क्षण अत्यंत भावुक कर देने वाला था। जब अदिति ने दोनों हाथ जोड़कर कहा “सबको में गुड़ बाय कहकर चली… में तो अपने गुरुवर के द्वार चली रे तो माता अनिता, पिता आशीष सहित हर एक की आंखें नम हो गईं। प्रतापगढ़ ही नहीं, आसपास के कई शहरों से बड़ी संख्या में लोग इस विदाई यात्रा में शामिल हुए। अदिति अब बीकानेर के देशनोक जा रही हैं, जहां 11 जुलाई को भव्यातिभव्य वरघोड़ा और चोबीसी का आयोजन होगा, और 12 जुलाई को आचार्य 1008 रामलाल म.सा. के सान्निध्य में वे संयम जीवन को अंगीकार करते हुए दीक्षा लेंगी। अदिति का परिवार प्रतापगढ़ का पहला ऐसा जैन परिवार है, जहां पहले ही तीन सदस्य दीक्षा ग्रहण कर चुके हैं। चाचा हर्षित, बुआ पूर्वी और मेघना पहले ही संयम मार्ग पर चल चुके हैं, और अब चौथी दीक्षा के रूप में अदिति की यात्रा इस विरासत को और भी गौरवपूर्ण बना रही है। 14 दिसंबर 2005 को जन्मी अदिति ने बीसीए प्रथम वर्ष की परीक्षा हाल ही में दी थी, लेकिन अगस्त 2023 में नीमच में आचार्य रामलाल के संपर्क में आने के बाद उनके जीवन की दिशा पूरी तरह बदल गई। वही सेवा, वही सान्निध्य उन्हें वैराग्य की ओर ले गया। यही वह गुरु हैं, जिनके चरणों में एक दशक पहले 31 अक्टूबर 2011 को उनके चाचा हर्षित और बुआ पूर्वी ने चेन्नई में दीक्षा ली थी। अब अदिति भी उसी पथ पर अग्रसर हैं, और 12 जुलाई को दीक्षा लेकर संयम, तपस्या और मौन का जीवन शुरू करेंगी। आचार्य रामलालजी म.सा. के सान्निध्य में अब तक 500 से अधिक दीक्षाएं हो चुकी हैं और अदिति अब इस पुण्य शृंखला की एक और प्रेरणादायी कड़ी बनने जा रही हैं।
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