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भाट पचलाना का चना पेड़: असलियत क्या है?
CSChandrashekhar Solanki
Nov 23, 2025 02:00:49
Ratlam, Madhya Pradesh
चने के झाड़ पर चढ़ाना, ये कहावत तो सभी ने सुनी हैँ लेकीन क्या सच मे किसी को चने के पेड़ पर चढ़ाया जा सकता है? क्या चने क़ा पेड़ हो सकता हैँ?...... हां.....जी सही सुना आपने चने क़ा पेड़,
एमपी मे. महाँकाल की नगरी उज्जैन जिले क़ा गाँव भाट पचलाना, यह गाँव चने के पेड़ को लेकर प्राचीलित हैँ, सालो से इस गाँव को इसी नाम की पहचान मिली हैँ भाट पचलाना यानी चने के पेड वाला गाँव,
महाँकाल नगरी उज्जैन वैसे ही देश की आस्था क़ा बड़ा केंद्र हैँ और इसी उज्जैन जिले मे हैँ चने क़ा पेड, उज्जैन मुख्यालय से करीब 78 किलोमीटर दूर रतलाम जिले की सीमा से लगा हैँ गाँव भाट पचलाना, जहा सालो से चने क़ा पेड होने की होने जा दवा किया जाता रहा, और इस जानकारी को सुनने वाले दूर दूर से इस चने के पेड को देखने भाट पचलाना आने लगे,
जी मीडिया आपको आज वही चने का पेड़ न सिर्फ दिखायेगा, बल्कि इसका पूरा सच भी सामने लाएंगे, की आखिर क्या यही वाकई मे चने का पेड हैँ, और वो क्या कारण रहे जिसकी वजह से चने का पेड कहा जाता हैँ, क्या वाकई इस पेड पर चने लगते हैँ? जी मीडिया आज न सर्फ़ इस चने के पेड को दिखायेगा बल्कि इसका पूरा सच सामने लाएगा,
भाट पचलाना पंचायती क्षेत्र के गाँव की कहानी की शुरुआत में स्थानीय रहवासी नितिन, घनश्याम राठोर, कमल चौधरी आदि के बयानों के साथ गाँव के बुजुर्ग आदि से जुड़ी जानकारी सामने आती है, जिन्होंने बताया कि यह पेड पुराने लोग करीब 500 वर्षो पुराना बताते हैँ, क्यों की इसे तो वह बचपन से देख रहे हैँ। कुछ लोग इसे दुर्लभ पेड कहते हैँ और चने के बीज मिलने की बात भी वहाँ सुनी जाती है, लेकिन पुख्ता जानकारी किसी के पास नहीं है,
रहवासियो से बातचीत के दौरान 100 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग ने भी कहा कि इसे चने का पेड़ कहते आये हैँ, पहले से चने की तरह बीज गिरते थे, पर पुराने होने के कारण वे अधिक बात नहीं कर पाते, और गाँव की पहचान बनाने वाला यह पेड़ अब भी लोगो के लिए अनोखी उत्सुकता का केंद्र बना हुआ है,
पंचायत सचिव राजाराम धानक ने बताया कि भाट पचलाना का यह पेड़ चने के पेड़ के नाम से पुरानी पहचान बना चुका है और दूर-दूर से लोग इसे देखने आते हैं, हालांकि पेड़ की सच्चाई यानी इसकी प्रजाति के बारे में किसान विकास अधिकारी उदय अग्निहोत्री ने स्पष्ट किया कि यह चने के पेड़ से नहीं जुड़ा है या चने की खेती से संबंधित जानकारी नहीं है, बल्कि यह किसी दुर्लभ प्रजाति का पेड़ हो सकता है जो विदेशी बीज द्वारा यहाँ आकर विकसित हुआ होगा,
कृषि विकास अधिकारी ने बताया कि चने के पेड़ के नाम से प्रसिद्ध यह पेड़ चने का नहीं है, पर बीज चने जैसा दिख सकता है; असल जाति की पुष्टि के लिए अभी जानकारी संकलित की जा रही है, ताकि पूरी सच्चाई सामने आ सके। तब तक यह गाँव की पहचान बना रहेगा और इसे चने का झाड़-यानी पेड़ कहा जाता रहेगा, बर्ताव के अनुसार पेड़ की सच्चाई और प्रजाति स्पष्ट होने तक यह भ्रम बना रहेगा।
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