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छठ घाट पर डूबे तीन में एक की मौत, दो लापता, प्रशासन सवालों के घेरे
RKRANJEET Kumar OJHA
Oct 28, 2025 04:53:24
Jamshedpur, Jharkhand
सरायकेला जिले के चांडिल अनुमंडल के स्वर्णरेखा नदी के शहरबेड़ा छठ घाट पर एक ही परिवार के तीन लोग नदी में डूब गए हैं. इनमें 14 वर्षीय आर्यन यादव की मौत हो गई है, जबकि 45 वर्षीय संजय सिंह और 19 वर्षीय प्रतीक कुमार की तलाश जारी है.घटना के वक्त घाट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ थी. संध्या अर्घ्य के दौरान कई बच्चे नदी में नहा रहे थे, तभी यह हादसा हुआ. देखते ही देखते घाट पर अफरा-तफरी मच गई. स्थानीय लोगों और गोताखोरों की मदद से तत्काल खोजबीन शुरू की गई. परिजनों का रो- रोकर बुरा हाल है. लापता लोगों में संजय यादव और प्रतीक यादव आदित्यपुर के रहनेवाले बताये जा रहे हैं. जबकि मृत बालक डिमना का रहनेवाला है.
सूचना मिलते ही उपायुक्त नीतीश कुमार सिंह एवं पुलिस अधीक्षक मुकेश कुमार लुणायत मौके पर पहुंचे और पूरे मामले की जानकारी ली. डीसी नीतीश कुमार सिंह ने घटना पर गहरी संवेदना जताई. उन्होंने कहा कि प्रशासनिक टीम गोताखोरों की मदद से लापता हुए लोगों की तलाश कर रही है. उपायुक्त ने बताया कि जिस जगह घटना हुई है वहां पूर्व से ही डेंजर जोन घोषित किया गया था फिर भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां पहुंचे जिस कारण यह हादसा हुआ है. फिलहाल हमारी प्राथमिकता लापता लोगों को ढूंढना है.स्थानीय लोगों का मानना है कि यह घटना अनुमंडल प्रशासन की लापरवाही की पोल खोलती है. स्थानीय लोगों का कहना है कि छठ पर्व से पहले न तो घाटों का निरीक्षण किया गया, न ही सुरक्षा के पर्याप्त इंतज़ाम किए गए. डेंजर जोन घोषित कर महज खानापूरी कर दी गई. बैरिकेडिंग, रोशनी और गोताखोरों की तैनाती जैसी मूलभूत व्यवस्थाएं नदारद थीं.
उपायुक्त नीतीश कुमार सिंह ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिया था कि प्रत्येक घाट की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. लेकिन चांडिल अनुमंडल पदाधिकारी और संबंधित अधिकारियों की निष्क्रियता सामने आई है. लोगों का कहना है कि अगर समय पर निरीक्षण और सतर्कता बरती जाती, तो यह त्रासदी टाली जा सकती थी.बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब शहरबेड़ा घाट पर हादसा हुआ हो. पहले भी यहां ऐसे हादसे हो चुके हैं, बावजूद इसके प्रशासन ने इससे कोई सबक नहीं लिया. अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर चांडिल अनुमंडल क्षेत्र को जिला प्रशासन की प्राथमिकता में क्यों नहीं रखा जाता.
विशेषज्ञों का कहना है कि त्योहारों के मौके पर केवल कागज़ी तैयारियां नहीं, बल्कि ज़मीनी कार्रवाई ज़रूरी है. प्रशासन को चाहिए कि वह दोषियों की ज़िम्मेदारी तय करे और भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए ठोस कदम उठाए. श्रद्धा के इस पर्व को शोक में बदलने वाली ऐसी घटनाएं समाज और शासन दोनों के लिए चेतावनी हैं.
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