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CRISP-2025: भारत की क्रिटिकल मिनरल्स में आत्मनिर्भरता के लिए नई पहल
NMNitesh Mishra
Oct 13, 2025 11:46:13
Dhanbad, Jharkhand
आईआईटी (आईएसएम) में सोमवार से नेशनल कॉन्फ्रिकल मेटल्स, रीसायक्लिंग, इनोवेशन, सेपरेशन एंड प्रोसेसिंग (CRISP-2025) का शुभारंभ हुआ। यह तीन दिवसीय सम्मेलन (13 से 15 अक्टूबर 2025) गोल्डन जुबली लेक्चर थिएटर में आयोजित किया जा रहा है। जिसमें देश-विदेश के वैज्ञानिक, नीति निर्माता और उद्योग विशेषज्ञ शामिल हुए। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य क्रिटिकल मिनरल्स के सतत दोहन, प्रोसेसिंग और रीसाइक्लिंग के लिए नई रणनीतियों और तकनीकों पर चर्चा करना है। इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य सह पद्म भूषण डॉ. वी. के. सारस्वत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि भारत को क्रिटिकल मिनरल्स जैसे लिथियम, कोबाल्ट, निकल और रेयर अर्थ एलिमेंट्स की खुद की खोज, पुनर्प्राप्ति और रीसाइक्लिंग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना बेहद जरूरी है, ताकि देश की स्वच्छ ऊर्जा और हाई-टेक इंडस्ट्री की जरूरतें पूरी हो सकें। डॉ. सारस्वत ने सेकेंडरी रिसोर्स वैलोराइजेशन, एडवांस्ड सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन, बायो-लीचिंग और एआई आधारित प्रोसेस मॉनिटरिंग सिस्टम्स को अपनाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आईआईटी (आइएसएम) धनबाद में क्रिटिकल मिनरल्स के लिए समर्पित पायलट प्लांट स्थापित किए जाने चाहिए और इस विषय को अकादमिक पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि इस क्षेत्र में कुशल मानव संसाधन तैयार हो सके। उन्होंने आगे कहा कि इंडस्ट्री और एकेडमिक्स के सहयोग से लैब में विकसित तकनीकों को इंडस्ट्रियल स्तर पर लागू करना होगा, जिससे भारत में सर्कुलर इकॉनमी को बढ़ावा मिल सके। डॉ. सारस्वत ने बताया कि लिथियम और संबंधित धातुओं का वैश्विक बाजार 400 अरब डॉलर से अधिक का है, और भारत को समय रहते तकनीकी नवाचार और बहु-विषयक शोध के माध्यम से इस क्षेत्र में वैश्विक हब के रूप में उभरना होगा। इस अवसर पर आईआईटी (आइएसएम) धनबाद के निदेशक प्रो. सुकुमार मिश्रा ने कहा कि क्रिटिकल मिनरल्स भविष्य की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने बताया कि आईआईटी (आइएसएम) को हाल ही में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन क्रिटिकल मिनरलिसशन के रूप में मान्यता मिली है और इंडिया–यूके क्रिटिकल मिनरल्स ऑब्जर्वेटरी, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री ने हाल ही में की है, आईआईटी (आइएसएम) धनबाद में स्थापित की जाएगी। प्रो. मिश्रा ने कहा कि जैसे इंजीनियरिंग में नियंत्रण प्रणाली से संचालन होता है, वैसे ही क्रिटिकल मिनरल्स प्रबंधन के लिए भी डेटा आधारित, एनालिटिकल और अनुकूल फ्रेमवर्क की जरूरत है, ताकि देश की स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाए जा सकें। उन्होंने शोधकर्ताओं से नवाचार, सहयोग और दृढ़ता के साथ इस दिशा में काम करने का आह्वान किया।
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