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सारंगढ़ के गढ़ विच्छेदन दशहरे में रावण दहन से पहले वीरता का प्रदर्शन
GBGovindram Bareth
Oct 02, 2025 06:45:32
Saiki, Bihar
छत्तीसगढ़ का सबसे अनोखा दशहरा, 200 साल पुरानी इस राजसी परंपरा की क्या है खासियत।
छत्तीसगढ़ राज्य के नए जिले सारंगढ़ में 200 साल से अधिक समय से गढ़ विच्छेदन की परंपरा है. सारंगढ़ राजपरिवार ने इसकी शुरुआत की थी जो आज भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. मिट्टी के गढ़ में युवा चढ़ाई करते हैं. गढ़ विच्छेदन सुनने में आसान लग रहा है उतना आसान नहीं है क्योंकि गढ़वीर वही बनता है जो मिट्टी के Kिले के ऊपर तैनात सैनिक की तरह गढ़ रक्षा कर रहे वॉलेंटियर के डंडे की मार सहने की क्षमता रखता हो. इसके अलावा गढ़ पर चढ़ने के लिए एक साथ कई युवा प्रतिभागी कोशिश करते हैं।
गढ़ विच्छेद क्या है.?
सारंगढ़ के खेलभांटा मैदान में गढ़ के साथ रावण का पुतला बनाया जाता है जिसकी ऊंचाई 30 फीट से 40 फीट तक रहती है. पहले गढ़ विच्छेदन प्रतियोगिता का आयोजन होता है. इसके बाद ही रावण के पुतले का दहन किया जाता है. इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ती है. इसके अलावा सारंगढ़ राजपरिवार के सदस्य भी मौके पर पहुँचते हैं. कहा जाता है कि सारंगढ़ रियासत में ऐसे विजयी बहादुर को सेना में भर्ती किया जाता था.
कैसे बनता है मिट्टी का गढ़
गढ़ को मिट्टी और गोबर के लेप से एकदम चिकना कर दिया जाता था. गढ़ के ऊपरी हिस्से को राजमहल के गढ़ की तरह रूप देकर सुसज्जित किया जाता था. प्रतिभागी कांटानुमा लोहे के पंजा को उस गढ़नुमा टीले में गड़ा देता था और गीली मिट्टी के कारण फिसलते-सम्हलते चढ़ता है. गढ़ के ऊपर कुछ व्यक्ति पहले से चढ़े रहते थे जो डंडे से किले के ऊपर चढ़ने वाले को प्रहार करते थे लेकिन सबसे पहले पहुंचकर युवक ऊपर चढ़कर मिट्टी के बने गढ़ को तोड़ देता था.
ऐतिहासिक है सारंगढ़ दशहरा
गौरतलब है कि सारंगढ़ रियासत में तत्कालीन राजा जवाहिर सिंह के कार्यकाल में लगभग 200 साल पहले से सारंगढ़ का दशहरा-उत्सव बस्तर-दशहरा की तरह बहुत प्रसिद्व है जिसमें रावण दहन के अतिरिक्त मिट्टी के गढ़ में आम नागरिकों के मध्य सार्वजनिक स्थल खुले मैदान में शौर्य का प्रदर्शन किया जाता था. गढ़ विजेता को राजा साहब नकद राशि और शील्ड देकर पुरस्कृत करते थे.
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