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SC से जमानत मिलते ही महेश जोशी जेल से बाहर
ACAshish Chauhan
Dec 03, 2025 11:11:53
Jaipur, Rajasthan
पूर्व मंत्री महेश जोशी को जल जीवन मिशन घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। जयपुर सेंट्रल जेल में बंद जोशी करीब 7 महीने बाद बाहर आएंगे. कोर्ट ने 21 नवंबर को हुई सुनवाई में उनकी जमानत पर फैसला सुरक्षित रखा, जिसके बाद आज उन्हें जमानत मिली. 7 महीने बाद जेल से रिहाई होगी- कांग्रेस सरकार में जलदाय मंत्री रहे महेश जोशी को आज सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई. 900 करोड़ के घोटाले में आरोपी महेश जोशी 7 महीने बाद जेल से बाहर आएंगे. जोशी को जल जीवन मिशन घोटाले में 24 अप्रैल को गिरफ्तार किया था. कांग्रेस नेता के वकीलों ने कहा कि पैसा जोशी के बेटे की फर्म के लिए लिया था. लेकिन लौटा दिया था. वहीं, ईडी ने जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि- पैसा लौटाने से अपराध की गंभीरता कम नहीं होती है. राजस्था़न हाईकोर्ट ने 26 अगस्त को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी. जिसके बाद जोशी ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी. अभी तक मामले में ट्रायल शुरू नहीं हुआ—वकील महेश जोशी की के वकील सिद्धार्थ लूथरा और विवेक जैन ने कोर्ट में कहा कि महेश जोशी पिछले 7 महीने से जेल में हैं. अभी तक मामले में ट्रायल भी शुरू नहीं हुआ हैं. ईडी ने जो रिकॉर्ड पेश किए हैं. उनसे रिश्वत के आरोपों की पुष्टि नहीं होती है. ईडी के अनुसार महेश जोशी ने अपने बेटे की फर्म को लोन देने के नाम पर 55 लाख रुपए की रिश्वत ली थी. लेकिन यह पूरी राशि संबंधित फर्म को लौटाई जा चुकी है. अगर यह रिश्वत की राशि होती तो इसे वापस क्यों किया गया.इसका ईडी के पास कोई जवाब नहीं है. ऐसे में ट्रायल पूरी होने तक आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए. ईडी ने याचिका के विरोध में क्या कहा? जमानत का विरोध करते हुए ईडी की ओर से कहा गया था कि प्रकरण में एसीबी की ओर से दर्ज अन्य एफआईआर में भी महेश जोशी की भूमिका को बताया गया है.जोशी के बेटे की फर्म में 55 लाख रुपए का लेन-देन किया गया है. याचिकाकर्ता की ओर से इस राशि को लौटाना भी बताया जा रहा है तो राशि लौटाने से अपराध की गंभीरता कम नहीं होती है. याचिकाकर्ता ने विभाग की टेंडर प्रक्रिया में रिश्वत ली है. यदि आरोपी को जमानत दी गई तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है. इसलिए उसकी जमानत याचिका को खारिज किया जाए। ऐसे हुआ घोटाला- ग्रामीण पेयजल योजना के तहत सभी ग्रामीण इलाकों में पेयजल की व्यवस्था होनी थी. जिस पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार को 50-50 प्रतिशत खर्च करना था. इस योजना के तहत डीआई डक्टर आयरन पाइपलाइन डाली जानी थी. इसकी जगह पर HDPE की पाइपलाइन डाली गई. पुरानी पाइपलाइन को नया बता कर पैसा लिया गया, जबकि पाइपलाइन डाली ही नहीं गई है. कई किलोमीटर तक आज भी पानी की पाइपलाइन डाली ही नहीं गई है, लेकिन ठेकेदारों ने जलदाय विभाग के अधिकारियों से मिल कर उसका पैसा उठा लिया. ठेकेदार पदमचंद जैन हरियाणा से चोरी के पाइप लेकर आया और उन्हें नए पाइप बता कर बिछा दिया. सरकार से करोड़ों रुपए ले लिए. ठेकेदार पदमचंद जैन ने फर्जी कंपनी के सर्टिफिकेट लगाकर टेंडर लिया. जिसकी अधिकारियों को जानकारी थी. इसके बाद भी उसे टेंडर दिया गया, क्योंकि वह एक राजनेता का दोस्त था.
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