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जयपुर में बदलाव की कहानी: भीख मांगते लोग अब परिवार संभाल रहे हैं
ACAshish Chauhan
Sept 21, 2025 13:30:44
Jaipur, Rajasthan
\\Bपॉजिटिव स्टोरी - चेयरमैन सर के शो के लिए \\B\\B\\B
\\Bहैडिंग-बदलाव जिंदगी का:-कभी सड़कों पर भीख मांगते थे,अब सक्षम बनकर संभाल रहे पूरा परिवार\\B
\\Bसब हेडिंग-मदद की गुहार लगाते हुए पिता को खोया,अब भिखारियों को सक्षम बनाकर सोच बदल रही\\B
\\B\\B
\\Bआशीष चौहान,\\B
\\Bजयपुर-\\Bबदलाव जिंदगी का...जो लोग कभी सड़कों पर भीख मांगते थे,वो अब सक्षम बनकर पूरा परिवार संभाल रहे है.जयपुर की एक महिला ने सड़क पर भीख मांग रहे सैकड़ों लोगों की जिंदगी में ऐसा बदलाव लाई,मानों उन्हें नया जीवन ही मिल गया हो.देखिए जयपुर में जिंदगी के नए बदलाव की कहानी...उन्ही की जुबानी...!
\\Bबदलाव की शुरुआत,छोटी सी सोच के साथ-\\B
कहते है ना बदलाव की शुरुआत एक छोटी सी सोच और कोशिश के साथ ही शुरू होती है.जयपुर की ईवादीप सक्सेना भी कुछ इसी तरह की सोच और बदलाव का जीता जागता उदाहरण है.जिन्होंने सड़क पर भीख मांगने वाले सैकड़ों की जिंदगी बदल दी.अब वे पुनर्वास भी हो रहे,समक्ष भी बन रहे.और तो और अब इनका आत्मविश्वास भी सातवें आसमान पर है.इतना ही नहीं भीख मांगने वाले वहीं लोग अब सक्षम बनकर पूरा परिवार संभाल रहे है.ईवदीप सक्सेना 3 साल से सक्षम संस्थान के जरिए सड़क पर भीख मांगने वालों की जिंदगी बदल रही है.
\\Bबाइट-ईवादीप सक्सेना,संचालक,सक्षम संस्थान (ग्रीन सूट में)\\B
\\Bवॉक्थू-सक्षम संस्थान से \\B
\\Bकेस स्टडी 1-नशे में तोल नहीं पाए अपनी जिंदगी,अब बदली जिंदगी \\B
किराने की दुकान पर सामान तोल रहे मनोज चौधरी अपनी जिंदगी को ठीक तरह से तोल नहीं पाए थे.बिहार से परिवार का साथ छूटने के बाद एक समय ऐसा था जब मनोज जयपुर की सड़कों पर भीख मांगने लगे.भीख के पैसों से वे नशे के इतने आदी हो गए कि उन्हें अपनी हालत का अंदाजा नहीं था.परिवार का साथ मनोज की जिंदगी से भले ही छूट गया हो,लेकिन सक्षम संस्थान ने उनका हाथ थाम लिया.क्योंकि एक दिन ऐसा आया जब सडक पर भीख मांग रहे मनोज को सक्षम संस्थान लाया गया.पुनर्वास केंद्र में रहकर मानसिक और शारीरिक रूप से मनोज में परिवर्तन किया.जो मनोज जयपुर की सड़कों पर भीख मांगते थे,अब वहीं मनोज जयपुर में किराने की दुकान पर काम तो कर ही रहे है साथ ही नशे की लत भी छूट गई.दुकान मालिक नितिन जैन भी उन्हें 10 हजार रूपए सैलरी के साथ साथ खाना-पीना और रहने की सुविधा मुफ्त में उपलब्ध करवा रहे है.
\\B\\B
\\Bबाइट-मनोज चौधरी (सफेद शर्ट में)\\B
\\Bबाइट-नितिन जैन,दुकान मालिक (आसमानी टी शर्ट में)\\B
\\Bकेस स्टडी 2-मिठाई की दुकान से जीवन में आई मिठास \\B
ये है सीकर,रींगस के सोहनलाल वर्मा,जो मिठाई की दुकान पर काम करते आपको दिखाई दे रहे है.लेकिन इस मिठाई की दुकान से उनकी जिंदगी में नई मिठास आ गई....वजह इस काम से पहले वे भीख मांगकर नशा करते थे.लेकिन अब उनकी जिंदगी में मिठास बनकर आया सक्षम संस्थान.सोहनलाल ने एक साल तक जयपुर की सड़कों पर भीख मांगकर नशा किया.लेकिन एक दिन सक्षम संस्थान उन्हें रेस्क्यू कर पुनर्वास केंद्र लेकर आई,यही से उनकी जिंदगी में मिठास आ गई.अब सोहनलाल ना ही भीख मांगते है और ना ही नशा करते है.बल्कि अब पूरी मेहनत और ईमानदारी से काम करते है.उन्हें हर महीने 10 हजार रुपए का वेतन मिल रहा है.
\\Bबाइट-सोहनलाल वर्मा (हॉफ पिंक शर्ट में)\\B
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\\Bकेस स्टडी 3-मानसिक रूप से असक्षम हुए,फिर सक्षम ने संभाला \\B
कहने है ना दुख दर्द के बीच ही अपनों का पता लगता है.लेकिन शाहपुरा के रहने वाले नानूराम के तो अपनों ने भी साथ छोड दिया.एक हादसे में उनका पूरा हाथ जल गया.उनकी नौकरी चली गई.मानसिक पीडा इतनी कि वे शराब के आदी हो गए.इसके लिए सड़कों पर भीख मांगने लगे.लेकिन ईवादीप सक्सेना की सक्षम संस्थान ने उनकी जिंदगी बदल दी.अब वे ग्रेनाइट फैक्ट्री में काम कर रहे है,जहां उन्हें महीने का वेतन 30 हजार रुपए मिल रहा है.लेकिन कुछ दिन बाद ही उनके एक्सीडेंट हुआ तो वे फिर से सक्षम संस्थान में आ गए.वही उनका इलाज करवाया.वे ठीक होकर फिर अपने पैरों पर खडे होंगे.
\\Bबाइट-नानूराम (फुल सफेद शर्ट में) \\B
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\\Bठोकर ने बदली सोच...तब से मसीहा बनी\\B
ईवादीप जब 15 साल की थी तब पिता का एक्सीडेंट हुआ था,उस समय ईवादीप ने बहुत से लोगों से मदद मांगी,लेकिन किसी से मदद ना मिलने के कारण उनके पिता की देहांत हो गया.तभी से ईवादीप की सोच बदल गई.उन्होंने ठाना ही वे जीवन भर लोगों की मदद करेगी.3 साल से ईवादीप ने लोगों की सोच और जिंदगी बदल रही.महज दो कमरों में चलने वाला सक्षम संस्थान अब तक 1300 भिखारियों को रेस्क्यू किया,जिसमें से 600 की मानसिक स्थिति ठीक हुई तो अपने परिवार के पास भेजा.250 लोग खुद के पैरों पर खडा होकर सम्मान के साथ जीवन यापन कर रहे.
\\Bबाइट-ईवादीप सक्सेना,संचालक,सक्षम संस्थान (ग्रीन सूट में)\\B
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\\B\\B
\\Bकैसे बदलते है सोच-\\B
भीख मांगने वाले अधिकतर मानसिक रूप से असक्षम होते है.कुछ गृह क्लेश के कारण परेशान रहते है.समक्ष संस्थान में उन्हें जीवन बदलने के लिए मोटिवेट किया जाता है.उनके काम में बिजी रखा जाता है.पीडित कितना भी गुस्सा क्यों ना करे,लेकिन उससे पलटकर गुस्सा नहीं किया जाता है,बल्कि प्यार से उनके गुस्से को शांत किया जाता है.कई बार तो रेस्क्यू के दौरान हमले हुए.लेकिन संस्थान में आकर वक्त के साथ साथ उनकी मानसिक पीडा और सोच बदल गई.
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\\Bबाइट-बलराम मीणा,केयरटेकर (सफेद चेक शर्ट में)\\B
\\Bबाइट-हरीश मीणा,केयरटेकर (ब्लैक चेक शर्ट में)\\B
\\Bफाइनल पीटीसी-बदलाव जिंदगी का.....सक्षम संस्थान से \\B
इस खबर की फीड ओएफसी से \\BDND_ZN_JPR_BEGGARS_R \\Bस्लग से भेजी गई है।
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