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हरियाणा पुलिस की नई व्यवस्था: साइबर ठगी के पीड़ितों को लोक अदालत से तुरंत रिफंड
VRVIJAY RANA
Nov 15, 2025 03:48:17
Chandigarh, Chandigarh
हरियाणा पुलिस के निवेदन पर हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने लोक अदालतों को जारी किये गए निर्देश। बैंक खातों में 'ब्लॉक' (Freezed) की गई राशि अब बिना किसी लंबी कानूनी प्रक्रिया के मिलेगी पीड़ितों को। 15 नवंबर, 2025 (पंचकूला) हरियाणा पुलिस ने राज्य में साइबर ठगी के शिकार हुए नागरिकों को तत्काल और आसान न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल की है। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओ पी सिंह के नेतृत्व में प्रदेश पुलिस ने कानूनी सेवाओं प्राधिकरणों (Legal Services Authorities) के साथ मिलकर एक नई व्यवस्था लागू करवाई है, जिसके तहत ठगी की गई और बैंक खातों में 'ब्लॉक' (Freezed) की गई राशि अब बिना किसी लंबी कानूनी प्रक्रिया या वकील की आवश्यकता के, सीधे लोक अदालत के माध्यम से पीड़ितों को वापस दिलाई जाएगी। उक्त व्यवस्था विशेष रूप से उन मामलों के लिए लागू की गई है, जहाँ ठगी के तुरंत बाद शिकायत दर्ज कराकर ठगों के खाते में पैसा ब्लॉक करवा दिया गया है, लेकिन पुलिस द्वारा अभी तक FIR दर्ज नहीं हुई है। साइबर ठगी पीड़ितों को बड़ी राहत: डीजीपी ओ.पी. सिंह का मानव-केंद्रित मॉडल सफल हरियाणा पुलिस के महानिदेशक ओ पी सिंह ने कहा, “साइबर अपराधों में सबसे बड़ी समस्या यही सामने आती थी कि पीड़ित का पैसा ब्लॉक होने के बावजूद, उसे वापस पाने के लिए उसे कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने पड़ते थे। हरियाणा पुलिस ने इस मानवीय पहलू को समझते हुए, सरकार और न्यायपालिका के समक्ष यह सरल और प्रभावी मॉडल पेश किया। अब हरियाणा में साइबर ठगी का शिकार हुआ कोई भी व्यक्ति अपने पैसे और हक को सिर्फ किस्मत समझकर नहीं छोड़ेगा। हमने मिलकर यह सुनिश्चित किया है कि पीड़ितों को जल्द से जल्द राहत और न्याय मिले।” पुलिस महानिदेशक ने बताया कि हम सभी नागरिकों से अपील करते है कि ठगी होने पर बिना किसी देरी के 'गोल्डन ऑवर' में 1930 पर शिकायत दर्ज कराएँ, ताकि पुलिस आपकी मेहनत के रुपयों को बचा सके। हरियाणा पुलिस की पहल पर हुए निर्देश, हरियाणा सरकार ने जारी की अधिसूचना यह व्यवस्था को लागू करवाने में हरियाणा पुलिस की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। पुलिस ने राज्य सरकार और हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (HALSA) से अनुरोध किया था कि साइबर अपराधों से संबंधित 'पैसे जारी करने/डी-फ्रीज' करने के आवेदनों को स्थायी लोक अदालतों की सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं (Public Utility Services) की सूची में शामिल किया जाए। इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए, हरियाणा सरकार के न्याय प्रशासन विभाग ने एक आधिकारिक अधिसूचना औपचारिक रूप से जारी की जिसने उन साइबर आवेदनों को स्थायी लोक अदालत के दायरे में ला दिया, जिनमें FIR दर्ज नहीं हुई है। इस कदम से अब इन मामलों को 'मुकदमे से पहले के मामले' (Pre-Litigation Cases - PLCs) के रूप में देखा जाएगा, जिससे न्यायिक प्रक्रिया की गति कई गुना बढ़ जाएगी। पीड़ितों के लिए सरल और समयबद्ध रिफंड प्रक्रिया हरियाणा पुलिस ने डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के साथ मिलकर एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) भी तैयार की है, जो पीड़ितों को बिना किसी परेशानी के पैसा वापस पाने में मदद करेगी। रिफंड की प्रक्रिया चार आसान चरणों में पूरी होगी। सबसे पहले, शिकायत दर्ज करनी होगी—पीड़ित को तुरंत हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करके या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करानी होगी, जिस पर पुलिस त्वरित कार्रवाई करके ठग के खाते को तुरंत ब्लॉक (फ्रीज) कराएगी। इसके बाद, DLSA में आवेदन करना होगा, जहाँ शिकायतकर्ता/पीड़ित अपने जिले की डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी में एक सरल फॉर्म भरकर रिफंड की माँग कर सकता है। इस चरण में पुलिस का अनुसंधान अधिकारी (IO) पीड़ित को आवश्यक दस्तावेज़ और बैंक रिपोर्ट तैयार करने में सहायता करेगा। आवेदन की जांच के बाद, लोक अदालत सुनवाई होगी, जिसके तहत DLSA आवेदन को लोक अदालत/स्थायी लोक अदालत में भेजेगी। लोक अदालत सभी पक्षों को सुनने के बाद, एक सप्ताह के भीतर सुलह की कार्यवाही पूरी करेगी और रिफंड का आदेश पारित करेगी। अंत में, रिफंड की प्रक्रिया होगी, जहाँ अदालत का आदेश मिलते ही संबंधित बैंक ब्लॉक की गई राशि तुरंत पीड़ित के खाते में जारी कर देगा। पुलिस व DLSA यह सुनिश्चित करेंगे कि आदेश तुरंत बैंक और पीड़ित तक इलेक्ट्रॉनिक रूप से पहुँचे। विदित है कि इस पूरी प्रक्रिया में अब पीड़ित को वकील रखने की कोई ज़रूरत नहीं है। वह स्वयं DLSA के सहयोग से अपना आवेदन जमा कर सकता है। विदेशी नौकरी ठगी से सावधान: हरियाणा पुलिस की नागरिकों को महत्वपूर्ण सलाह हरियाणा पुलिस की महत्वपूर्ण सलाह: थाईलैंड में साइबर ठगी ऑपरेशनों में फँसे भारतीयों की लगातार वापसी जारी है, जिनमें हरियाणा के कई नागरिक भी शामिल हैं। सभी हरियाणा निवासी अपने विदेश में कार्यरत परिजनों, विशेषकर दक्षिण-पूर्व एशिया में, से संपर्क कर यह सुनिश्चित करें कि वे किसी साइबर जॉब स्कैम या साइबर स्लेवरी में फँसे न हों। विदेश में नौकरी स्वीकार करने से पहले किसी भी ऑफर, कंपनी और भर्ती एजेंट की पूरी तरह से जांच और सत्यापन अवश्य करें। ध्यान रखें कि भारतीय पासपोर्ट धारकों के लिए थाईलैंड का वीज़ा-फ़्री प्रवेश केवल पर्यटन और छोटे व्यापारिक दौरे के लिए है, नौकरी के लिए नहीं। गलत उपयोग की स्थिति में हिरासत या कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। सतर्क रहें और अपने प्रियजनों को धोखाधड़ी व शोषण से सुरक्षित रखें.
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