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सुल्तानपुर लोधी: छठ महापर्व में श्रद्धालुओं ने Kali Bei में आस्था की डुबकी
VSVARUN SHARMA
Oct 27, 2025 13:45:31
Kapurthala, Punjab
सुल्तानपुर लोधी : छठ महापर्व पर श्रद्धालुओं ने लगाई पवित्र काली बेई में आस्था की डुबकी
सोमवार को श्रद्धाभाव से ओतप्रोत सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने सुहावन लोक गीतों और पारंपरिक प्रसाद की खुशबू के बीच सूर्य भगवान को समर्पित छठ महापर्व के अवसर पर पवित्र काली बेई में आस्था की डुबकी लगाई। छठ पर्व को लेकर माहौल भक्तिमय हो उठा। छठी मइया के कर्णप्रिय और पारंपरिक गीत की गूंज सुनाई दे रही थी। भक्तजन पूजा के लिए बाजारों में नारियल, गागल, सूखा नारियल, गन्ना और नए कपड़ों के साथ-साथ पुरानी आकृति के मिटटी-बर्तन, फूल, मेवों इत्यादि की खरीददारी करते हुए नजर आये। पर्व के बारे जानकारी देते हुए श्रद्धालुओं ने बताया कि पर्व के पहले दिन को नहाय-खाय के रूप में मनाया जाता है जिसमें व्रती लोग स्नान के बाद पारंपरिक पकवान तैयार करते हैं। दूसरे दिन को खरना कहा जाता है, जब श्रद्धालु दिन भर उपवास रखते हैं, जो सूर्य अस्त होने के साथ ही समाप्त हो जाता है। उसके बाद वे मिट्टी के बने चूल्हे पर खीर और रोटी बनाते है, जिसे बाद में प्रसाद के तौर पर वितरित किया जाता है। पर्व के तीसरे दिन छठ व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देते हैं और चौथे व अंतिम दिन को जिसे पारन कहा जाता है, उस दिन व्रती सूप में ठेकुआ, साठौरा जैसे कई पारंपरिक पकवान के साथ ही केला, गन्ना सहित विभिन्न प्रकार के फल रखकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं जिसके बाद इस पर्व का समापन हो जाता है। उल्लेखनीय है कि दुनिया भर में जहां भी पूर्वांचल के लोग रहते हैं, वे व्रत और पूजा के रूप में सर्वाधिक मान्यता प्राप्त छठ पर्व को जरूर मनाते हैं। छठ पूजा भारत में भगवान सूर्य की उपासना का सबसे प्रसिद्ध हिंदू त्योहार है। इस त्योहार को षष्ठी तिथि पर मनाया जाता है, जिस कारण इसे सूर्य षष्ठी व्रत या छठ कहा गया है। यह त्योहार एक साल में दो बार मनाया जाता है पहली बार चैत्र महीने में और दूसरी बार कार्तिक महीने में। हिन्दू पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्लपक्ष की षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ त्योहार को चैती छठ कहा जाता है जबकि कार्तिक शुक्लपक्ष की षष्ठी पर मनाए जाने वाले इस त्योहार को कार्तिक छठ कहा जाता है। बिहार और उत्तर प्रदेश में यह त्योहार काफी लोकप्रिय पर्व है। इस त्यौहार को यहां पर पारिवारिक सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल-प्राप्ति के लिए मनाया जाता है।
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