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पराली जलाने पर 5–30 हजार का दंड, यूपी के मथुरा में प्रशासन सख्त
KLKANHAIYA LAL SHARMA
Oct 08, 2025 15:46:51
Mathura, Uttar Pradesh
मथुरा। उत्तर प्रदेश में पराली (फसल अवशेष) जलाने की सर्वाधिक घटनाएं जनपद मथुरा में दर्ज होने के बाद जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है। जिलाधिकारी (डीएम) श्री चंद्र प्रकाश सिंह ने मंगलवार को पराली जलाने के संबंध में एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें उन्होंने अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से सख़्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए। डीएम ने स्पष्ट किया कि पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सभी अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में निरंतर भ्रमणशील रहें। पराली ख़रीदकर गौशाला और CBG प्लांट भेजने की योजना डीएम ने इस समस्या का समाधान किसानों पर दंडात्मक कार्रवाई के साथ-साथ रचनात्मक तरीके से करने पर जोर दिया। उन्होंने निर्देश दिए: * खरीद और संवाद: सभी सचिव, ग्राम प्रधान, और लेखपाल अपने-अपने क्षेत्रों के किसानों से संवाद स्थापित करें और उनसे पराली ख़रीदकर गौशालाओं में पहुँचाएँ। * CBG प्लांट उपयोग: पराली को विभिन्न स्थानों से क्रय (खरीद) करके सी.बी.जी. (कंप्रेस्ड बायोगैस) प्लांट में भी भेजा जाए, जिससे उसका सदुपयोग हो सके। * ट्रैक्टर से उठान: जिला पंचायत राज अधिकारी को निर्देश दिए गए हैं कि ट्रैक्टर के माध्यम से किसानों की पराली को उनके मूल स्थान से उठाकर गौशालाओं तक पहुँचाया जाए। इस कार्य में उप कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी और खंड विकास अधिकारियों को भी सहयोग करने के निर्देश दिए गए हैं। दंडनीय अपराध है पराली जलाना: 5 से 30 हज़ार तक जुर्माना डीएम ने जनपद के सभी किसान भाइयों को आगाह किया है कि माननीय उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) द्वारा फसल अवशेष जलाना दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। उन्होंने बताया कि पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है, भूमि के पोषक तत्वों की हानि होती है और मित्र कीट जलकर मर जाते हैं, जिससे फसल का उत्पादन कम हो जाता है। पराली जलाने पर लगने वाला पर्यावरण कम्पेन्सेशन (अर्थदण्ड): * 2 एकड़ से कम क्षेत्र: ₹5,000 प्रति घटना। * 2 से 5 एकड़ क्षेत्र: ₹10,000 प्रति घटना। * 5 एकड़ से अधिक क्षेत्र: ₹30,000 प्रति घटना। पुनरावृत्ति पर अर्थदण्ड के साथ कारावास का भी प्रावधान है। रात में जलाने पर भी बचेंगे नहीं किसान डीएम ने किसानों के बीच फैले इस भ्रम को दूर किया कि रात में या सुबह 2-3 बजे पराली जलाने पर पता नहीं चलेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि पराली जलाने की सूचना उपग्रह (सैटेलाइट) द्वारा 24 घंटे रियल टाइम फोटो के साथ जिला प्रशासन को प्राप्त होती है, जिसमें घटना का सटीक स्थान (अक्षांश/देशांतर) दर्ज होता है। उन्होंने चेतावनी दी कि जिन कम्बाइन हार्वेस्टर में सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (SMS) नहीं होगा, उन्हें तत्काल सीज कर दिया जाएगा और मालिक के खर्च पर सिस्टम लगवाने के बाद ही छोड़ा जाएगा। जिलाधिकारी ने सभी किसानों से अनुरोध किया है कि वे फसल अवशेष को खेतों में न जलाएँ, बल्कि उसे मृदा में मिलाएँ/सड़ाएँ ताकि मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की वृद्धि हो सके।
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