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कोटा के भोजपुरा चामुण्डा मंदिर: अष्टमी पर मेला है हजारों श्रद्धालु
RSRajendra sharma
Sept 30, 2025 02:30:25
Kota, Rajasthan
कोटा
भोजपुरा चामुण्डा माता की महिमा अपार,
यहा पर अष्ठमी के दिन मंदिर से घर आते समय पीछे मुडकऱ देखना मना है,
करीब 1709 वर्ष पुराना है चामुण्डा माता का मंदिर,
एंकर- मोईकलां बारापाटी वन क्षेत्र की तलहटी में विराजित चामुण्डा माता की महिमा अपरंपार है। यहा पर मां चामुण्डा सहित सातों बहने विराजमान है। नवरात्र के दिनों में माता के दरबार में अमावस्या के दिन से अष्ठमी तक यानि नौ दिन तक भव्य मेला लगता है। करीब 1709 वर्ष प्राचीन भोजपुरा चामुण्डा माता के मंदिर पर नवरात्र के दिनों में सुबह से शाम तक सैकड़ो श्रद्वालु दर्शन व पूजन को आते-जाते रहते है। राजस्थान ही नही समीप के राज्यों से भी श्रद्वालु नवरात्र के मौके पर विशेष तौर पर अष्ठमी के दिन माता के दर्शन व पूजन को आते है। यहा पर छटे नवरात्र की रात्रि को माता कई लोगो की पीड़ा दूर करती है। मोईकलां कस्बे से 3 किमी दूर वन क्षेत्र की तलहटी में स्थित माता के मंदिर के आसपास भले ही पक्की धर्मशाला, पार्क, रसोई घर, गार्डन, स्नान घर आदि का निर्माण हो चुका हो, परन्तु माता के मुख्य मंदिर का उपरी हिस्सा अभी भी कवेलु पोश ही है। कुछ वर्ष पूर्व एक बार माता के मंदिर के उपरी भाग पर पक्का निर्माण कार्य कराने का प्रयास किया था। तब ऐसा कुछ घटित हुआ कि निर्माण कार्य पूर्ण नही कराया जा सका। तब से आज तक माता के मंदिर का उपरी हिस्सा कवेलु पोश ही है। सदियों से यहा पर ऐसी मान्यता है कि अष्ठमी के दिन माता के ज्वारा तोडऩे के बाद कोई भी श्रद्वालु घर जाते समय पीछे मुडकऱ नही देखता और ना ही आज तक कोई श्रद्वालु अष्ठमी की रात्रि को माता के मंदिर पर रात को रुका है। यहा मान्यता है कि सच्चे मन से माता के समाने शीश झुकाने वाले की हर मुराद पूरी होती है। अष्ठमी के दिन यहा पर हजारों श्रद्वालु माता के दर्शन व पूजन को आते है। यहा पर शारदीय नवरात्र के दिनों में माता को किसी पकवान का नही बल्कि गेहूं के आटे से बने मीठे पुए का भोग लगाया जाता है। भक्तों व श्रद्वालुओं के सहयोग से अभी भी माता के मंदिर के बाहर काफी समस से धर्मशाला का निर्माण कार्य चल रहा है।
भर देती है माता सूनी गोद- माता के द्वार आने वाली कई महिलाओं की वर्षो से सूनी गोद भर चुकी है। बताया जाता है कि नवरात्र के दौरान अष्ठमी के दिन माता का वरदान स्वरूप दिया नारीयल बिन औलाद महिलाओं के लिए वरदान साबित होता है। कई महिलाओं की सूनी गोद माता के आशीर्वाद से भर चुकी है। बताया जाता है कि माता के द्वार शीश झुकानें वाले को कभी निराशा हाथ नही लगी।
माता की पुजाई है पीठ- भोजपुरा स्थित चामुण्डा माता मंदिर के बारे में पुराने लोग बताते है कि यहा पर माता की पीठ पुजाई है। अमावस्या के मौके पर माता के मंदिर पर बताया गया कि छटे नवरात्र के मौके पर माता का श्रंगार बदला जाता है। जिसके बाद अष्ठमी के दिन माता का विशेष श्रंगार किया जाता है। और ज्वारा तोडऩे के साथ ही नौ दिवसीय मेले का समापन मान लिया जाता है।
बाइट भक्त माता रानी
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