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क्या यमुना किनारे की पत्थर की पेचिंग बाढ़ से बचा पाएगी किसानों की फसल?
Yamuna Nagar, Haryana
एंकर -- आने वाले समय में संभावित बाढ़ और बरसाती पानी के खतरे को देखते हुए सिंचाई विभाग की ओर से यमुना नदी के किनारों पर करोड़ों रुपये की लागत से पत्थरों की पेचिंग का कार्य किया जा रहा है। यह कार्य ostensibly गांवों की सुरक्षा और खेतों को पानी से बचाने के उद्देश्य से हो रहा है, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।
वीओ -- किसानों का कहना है कि यमुना नदी के किनारे पर पत्थर लगाने का काम किया तो जा रहा है, मगर इसमें कई खामियां हैं। किसानों का आरोप है कि यदि यह पत्थर सही मापदंड और तकनीक से लगाए जाएं, तो यह बरसात में नदी के तेज बहाव को झेल सकते हैं और वर्षों तक टिके रह सकते हैं। इससे न सिर्फ गांवों में बाढ़ का खतरा टलेगा, बल्कि फसलों को भी नुकसान नहीं होगा। मगर, अफसोस की बात यह है कि सिंचाई विभाग हर साल एक जैसी लापरवाही और भ्रष्टाचार का प्रदर्शन करता आ रहा है। जिन ठेकेदारों को यह कार्य सौंपा जाता है, वह विभाग के चहेते होते हैं और उन्हें काम का ठेका ठीक उसी समय दिया जाता है जब बरसात सिर पर आ चुकी होती है। इससे काम में जल्दबाज़ी होती है और गुणवत्ता में समझौता किया जाता है।
वीओ -- किसानों का यह भी कहना है कि यदि समय रहते, यानी बारिश से महीनों पहले, उचित प्रक्रिया और पारदर्शिता के साथ यह काम किया जाए तो नदी के किनारे हर साल टूटने से बच सकते हैं। मगर विभाग की कार्यप्रणाली पर उठते सवाल इस बात की ओर इशारा करते हैं कि यह कार्य सिर्फ खानापूर्ति और बजट ख़र्च करने के उद्देश्य से किए जाते हैं। क्योंकि पत्थरों का साइज बड़ा होने से पत्थर एक जगह टिके रहते हैं लेकिन नदी के किनारे पर छोटे-छोटे पत्थर लगा दिए जाते हैं जो पानी के भाव से आगे बह जाते हैं और किनारे टूट कर नदी में गिर जाते हैं जिससे बाढ़ का खतरा किसानो की फसल को भुगतना पड़ता है ।
बाइट --- पृथ्वी सिंह, किसान
अब देखने वाली बात यह होगी कि इस बार यमुना नदी के किनारों पर लगाए गए ये पत्थर तेज बारिश और नदी के बहाव को रोक पाएंगे या फिर हर साल की तरह बहकर आगे निकल जाएंगे, और ग्रामीण फिर एक बार उसी त्रासदी का सामना करेंगे, क्योंकि इस पूरे प्रकरण में विभाग की भ्रष्टाचारी शामिल होगी
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