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सिल्ली के मारदू गांव में बाघ घुसने से मची अफरा तफरी!
Ranchi, Jharkhand
रांची के सिल्ली विधानसभा क्षेत्र स्थित मारदू गांव में उसे वक्त अफरा तफरी मच गई जब स्थानीय निवासी फुरेंद्र महतो और उनकी बेटी मोनिका महतो ने अहले सुबह एक बाघ देखा। दरअसल जब सोनिका महतो सवेरे बकरियों को चराने के लिए सुबह घर से बाहर निकल रही थी तो अचानक उसकी बकरियां भागने लगी और जैसे ही उसने देखा कि एक बाघ उसके आंगन में आ पहुंचा है मानो उसके होश उड़ गए।और 12 घंटे से ज्यादा चले रेस्क्यू ऑपरेशन में आखिरकार बाघ का सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया वहीं अच्छी खबर एक और यह रही की कोई भी जान माल का नुकसान नहीं हुआ।
ग्राफिक्स....
#सिल्ली के मारदू गाँव के घर मे घुसा बाघ
#स्थानीय फुरेन्द्र महतो ने अपनी बेटियों के साथ दिखाई बहादुरी
#बाघ को कमरे में बंद कर बड़ी अनहोनी को होने से रोका
#पलामू टाइगर रिजर्व की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद बाघ का किया रेस्क्यू
# स्थानीय लोगों सहित आजसू प्रमुख ने साहसिक कार्य के लिए बहादुरी पुरुस्कार देने की मांग की
पलामू टाइगर रिजर्व की टीम ने वन विभाग और स्थानीय प्रसाशन के सहयोग से घर मे बंद बाघ का रेस्क्यू कर लिया। लेकिन न तो ये रेस्क्यू ऑपरेशन आसान था न ही फुरेन्द्र महतो और उनकी बेटियों द्वारा दिखाई गई बहादुरी। पुरंदर बताते हैं कि मौत को उन्होंने बेहद करीब से देखा है लेकिन उन्होंने अपनी बेटियों की हिफाजत करने की ठानी थी और भगवान ने उनके साथ दिया। बाघ के साथ उसे खौफनाक मंजर की कहानी बताते हुए परिवार ने बताया कि कैसे बाघ उनके घर के अंदर घुस गया था और कैसे जान हथेली में लेकर तीनों ने न सिर्फ अपनी जान बचाई बल्कि बाघ को कमरे में कैद कर एक बड़े अनहोनी से रोक लिया।
121 फुरेन्द्र महतो
घर में बाघ घुसने की जब स्थानीय लोगों को जानकारी मिली तो पूरा गांव बाघ को देखने के लिए वहां पर पहुंच गया। ग्रामीणों की पहुंचने के बाद हो रहे शोर शराब के बीच रेस्क्यू ऑपरेशन और भी चुनौती पूर्ण हो रहा था इसी बीच ग्रामीण एसपी ने भी मौके पर पहुंचकर व्यवस्था को संभाला। इस दौरान बाघ की दहाड़ भी सुनाई पड़ रही थी।
बाइट... प्रवीन पुष्कर ग्रामीण एसपी
वन विभाग की टीम जब मौके पर पहुंची तो बाघ कमरे के अंदर बंद था अब कमरे से बाहर केज में निकलना एक बड़ी चुनौती थी जिसके लिए विभाग की तरफ से एक जाल बिछाया गया दरअसल केज में एक बकरी रखी गई जिसे देखकर बाघ जैसे ही केज के अंदर घुसा टीम ने सतर्कता दिखाते हुए दरवाजा बाहर से बंद कर दिया। इस दौरान विभाग के डॉक्टर की तरफ से बाघ को दांत के जरिए इंजेक्शन देकर बेहोश भी किया गया। लगातार दहाड़ते हुए बाग को एक खास वेपन
ट्रंकुलाइज़र गन से इंजेक्शन दिया गया।
बाइट....पीसीएफ प्रमुख,रेन कोर्ट के अंदर लाइट ब्लू शर्ट
बाइट....डॉ फरहत जब्बार,डॉक्टर बेतला( धारीदार शर्ट टोपी लगाए व्यक्ति)
बाइट....वन विभाग की टीम, खाकी टोपी और खाकी बन्दी
बाइट...वन विभाग के डॉक्टर
बाइट...गन चलाने वाले वनकर्मी,ब्लू टीशर्ट,हाथ मे गन
घंटे तक चल रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद आखिरकार बिना किसी नुकसान के बाघ को रेस्क्यू कर लिया गया वहीं सुरेंद्र सहित उनकी दोनों बेटियों के बहादुरी के लिए शाबाशी देने के लिए ग्रामीणों की भीड़ लगी है और उनकी बहादुरी के लिए ग्रामीण सरकार से उन्हें सम्मानित करने की मांग कर रहे हैं।
WKt ग्रामीण
बहरहाल एक लंबी कोशिश के बाद आखिरकार बाघ को रेस्क्यू कर वन विभाग की टीम अपने साथ ले गई ।इस पूरे ऑपरेशन के दौरान अच्छी चीज भी सामने आई जैसे की कोई भी जान माल का नुकसान नहीं हुआ और एक परिवार ने बहादुरी का भी परिचय दिया। वही जंगल से भटका हुआ बाघ वापस अपने जंगल की तरफ ले जाया गया
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