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राजस्थान में खनिज नियमों का विरोध: खनन पट्टाधारियों का प्रदर्शन!
SKSwadesh Kapil
Aug 08, 2025 13:46:26
Alwar, Rajasthan
एंकर ,विजुअल, बाइट
अलवर माइंस एंड क्रेशर ऑनर्स एसोसिएशन अलवर ने आज खनिज मैसनरी स्टोन के खनन पट्टों, स्टोन क्रैशर संचालकों के समक्ष वर्तमान में खान विभाग द्वारा निर्धारित नये नियमों/परिपत्रों से उत्पन्न समस्याओं के निराकरण की मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. और मुख्यमंत्री के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने बताया कि राजस्थान में संचालित मैरनरी स्टोन की माइनिंग लीज एवं स्टोन क्रेशर उद्योगों के समक्ष खान विभाग के नये नियमों/परिपत्रों से अनेक नई कठिनाइयां उत्पन्न हो गई है. जिनका निराकरण किया जाना अत्यंत आवश्यक है.
ड्रोन सर्वे खान विभाग द्वारा भविष्य में माइनिंग लीजों का ड्रोन से सर्वे कराकर खनिज के उत्पादन का आंकलन किया जाकर मांग राशि कायम करना न्यायिक नहीं है. क्योंकि राज्य सरकार द्वारा पूर्व में माइनिंग लीज स्वीकृत करने से पूर्व किसी भी लीज के लिए न तो ड्रोन से सर्वे कराकर लीज स्वीकृत की गर्द है .तथा न ही किसी भी माइनिंग लीज का प्रारंभिक लेवल (Initial Lavel) लेकर लीज आवेदन अथवा नीलामी द्वारा स्वीकृत की गई है.
पूर्व में जब माइनिंग लीज आवेदन के द्वारा स्वीकृत की जाती रही है .तब अनेक लीज धारकों द्वारा लीज सरेंडर कर दिए जाने के कारण अन्य लीज धारक के पक्ष में स्वीकृत की हुई है. जिससे यह आंकलन किया जाना कठिन है कि लीज में खनिज का अवैध रूप से उत्पादन एवं निर्गमन किस अवधि में किया गया है. आज के नियमों के अनुसार वर्तमान लीज धारक के विरुद्ध विभाग द्वारा अवैध माइनिंग के पंचनामा बनाकर अनुचित मांग राशि कायम कर दी जाती है. जिसके कारण लीज घारक एवं विभाग के मध्य अनावश्यक कानूनी कार्यवाही बढ़ जाती है. अतः ड्रोन बिंदु से सर्वे को खान विभाग को पुनः विचार कर ही इसे लागू किया जाना उचित होगा.
वर्तमान में खान विभाग द्वारा सभी खनिजों की रायल्टी की दरों में अप्रत्याशित वृद्धि कर दी गई है तथा राजस्थान के अन्य जिलों की अपेक्षा अलवर, भरतपुर, सीकर, झुन्झुनूं आदि में रायल्टी की दर अधिक रखी जाती रही है. जिसे व्यावहारिक नहीं होने के कारण वापस लिया जाना उचित होगा.
हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों द्वारा राजस्थान से भेजे जाने वाले खनिज पर एन्ट्री टैक्स लगाया जा रहा है. जो किसी भी रूप में उचित नहीं है. हमारी एसोसिएशन उसका विरोध करती है. एक तरफ तो हमें राज्य में ही रायल्टी का अधिक भुगतान देना पड़ रहा है. दूसरी ओर पडोसी राज्यों के द्वारा एन्ट्री टैक्स लगा देने से राजस्थान के खनिज को बाहर भेजने पर लागत बढ़ जाएगी. जिसके कारण लीज धारक एवं राज्य सरकार की आय पर विपरीत प्रभाव डालेगा .अतः दोनों राज्य सरकारों से वार्ता कर इस आदेश को वापिस कराया जाना उचित होगा.
परिवहन विभाग की साईट से खान विभाग की साईट को डिलिंक किया जावें. इस कारण से ई-रवाना/ट्रांजिट पास संबंधित अनेक विसंगतियां हो रही है. इसे समाप्त किया जाना चाहिए. यूनियन ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर गैरानरी स्टोन, रोडी, गिट्टी, डस्ट इत्यादि का परिवहन ट्रेक्टरों के द्वारा किया जाता है. जिनके ऑन लाईन रवन्ना/ ट्रांजिट पास नहीं बन पाते हैं. जिसके कारण राज्य सरकार को रायल्टी की आय से वंचित होना पड़ रहा है.
बिना फील्ड ट्रायल के ई-रवना व ईटीपी सिस्टम आनन -फानन में लागू किये गये है. जिसके कारण बहुत विसंगतियां हुई है.जिसको लेकर खनन पट्टेधारियों को नोटिस जारी किये जा रहे है. जबकि सभी मामलों में ईआरसीसी ठेके के माध्यम से एक्सेस रायल्टी का भुगतान किया गया है. इस तरह के नोटिसों पर आगामी कार्यवाही निरस्त की जाए..
नॉन वर्किंग के नाम पर खनन पट्टों को खण्डित किया जा रहा है. जबकि अभी तक अनेक लीज धारकों को गाईनिंग प्लान, एन्चायमेंट क्लीरेंस वन विभाग की एन.ओ.सी इत्यादि के मिलने में अनेकों वर्ष निकल जाते हैं. जिनके कारण खनन कार्य चालू नहीं हो पाता है. इस प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाए.
एन्वायरमेंट क्लीरेंस एवं लीज स्वीकृति के लिए वन विभाग की भूमि से पूर्व में 25 मीटर की दूरी निर्धारित थी, जिसे State Level Environment Impact Assessment Authority, Rajasthan (SEIAA) जयपुर ने 50 मीटर लागू किया हुआ है. इसे पुन 25 मीटर किया जाना उचित है. जिससे अधिक खनन पट्टे स्वीकृत किए जा सकेंगे. तथा राज्य सरकार की आय में वृद्धि हो सकेगी. जिला स्तरीय एन्वायरमेंट कमेटी के द्वारा स्वीकृत एन्वायमेंट क्लीरेंस के ऑन लाईन आवेदन SEIAA में प्रस्तुत करने के लिए आवेदन की तिथि बढाई जाना खान विभाग के हित में हैं,इसे तुरंत बढ़ाया जाना उचित होगा. खनन पट्टों के हस्तांतरण एवं अवधि वृद्धि (15 वर्ष) के लिए ली जा रही प्रीमियम राशि के शुल्क में कमी की जाए. उन्होंने नियमों को तर्क संगत बनाकर सरलीकरण किया जायें. उक्त कार्य में जिला स्तर पर कार्यरत एसोसिएशन के प्रतिनिधियों को भी सम्मिलित किये जाने से धरातल पर आ रही समस्याओं के समाधान हो सकेगा.
बाइट__सुजीत नेहरा ,माइंस ऑनर
(पर्पल शर्ट में)
बाइट__ओमप्रकाश भट्टे वाले और कुलदीप यादव
(क्रेशर मालिक और खनन पट्टे धारी)
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