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भोपाल में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाला: 972 फर्जी छात्रों का खुलासा!
Gwalior, Bhopal, Madhya Pradesh
एंकर...अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संचालित अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना में बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। मंत्रालय ने भोपाल के 83 स्कूलों को संदिग्ध माना है। इनमें 40 स्कूलों के खिलाफ क्राइम ब्रांच ने एफआईआर दर्ज कर ली है। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि शिक्षण संस्थाओं, संस्था मालिक, इंस्टिट्यूट नोडल ऑफिसर, हेड ऑफ इंस्टिट्यूट ने वर्ष 2021-2022 में कुल 972 अपात्र विद्यार्थियों के कूटरचित तरीके से नेशनल स्कालरशिप पोर्टल पर पंजीकृत करते हुए 57 लाख 78 हजार 300 रुपए की छात्रवृत्ति का गलत तरीके से भुगतान हासिल किया है। एफआईआर सहायक संचालक, पिछड़ा वर्ग-अल्पसंख्यक कल्याण, भोपाल योगेन्द्र राज ने दर्ज कराई है।
PTC
स्कूलों में छात्रवृत्ति घोटाला
स्कूल संचालकों ने 972 अपात्र विद्यार्थियों का पोर्टल में भरा नाम
57 लाख हड़पे स्कूल संचालकों की
भोपाल की 83 शिक्षण संस्थाओं को संदिग्ध माना
40 संस्थानों पर FIR हुई दर्ज
VO...पुलिस के मुताबिक, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, भारत सरकार ने प्री-मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक, मेरिट कम मीन्स, अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति में भोपाल जिले की 83 शिक्षण संस्थाओं को (विद्यालयों) को रेड फ्लैग चिन्हित किया। इसके बाद इनका भौतिक निरीक्षण कराया गया। जांच में आया कि नेशनल स्कालरशिप पोर्टल पर पंजीकृति इन स्कूलों की 8वीं कक्षा तक ही मान्यता प्राप्त थी। लेकिन, छात्रवृत्ति हड़पने के लिए स्कूल संचालकों ने कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों को भी पोर्टल पर पंजीकृत विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति का लाभ दिलाया। बतादें, अल्पसंख्यक प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में कक्षा 1 से 10 वीं तक नियमित रूप से अध्ययनरत अल्पसंख्यक वर्ग के विद्यार्थी ही पात्र होते हैं। अल्पसंख्यक वर्ग में मुस्लिम, जैन, बौद्ध, सिख, इसाई एवं पारसी समुदाय के विद्यार्थी आते हैं। वही मामले में पुलिस यह भी जांच कर रही है की कहानी बच्चे तो फर्जी नहीं है और स्कॉलरशिप फर्जी निकालने के तथ्य की पुष्टि हो चुकी है यदि विद्यार्थी दूसरे पाए जाते हैं तो उन पर पुलिस कार्यवाही नहीं करेगी जिम्मेदारों पर ही कार्यवाही पुलिस करेगी..
बाइट... शैलेंद्र सिंह चौहान... एडिशनल डीसीपी क्राइम
जांच में आया कि भोपाल की 44 संस्थाओं की कक्षा से पहली से आठवीं तक मान्यता है। जब जांच हुई तो जिन बच्चों के नाम से स्कॉलरशिप निकाली गई वह दूसरी स्कूलों में 9वीं एवं 12 वीं में अध्ययनरत मिले। इन स्कूलों की न तो मान्यता थी, न ही 9वीं से 12वीं तक की कक्षाएं संचालित हो रही थीं।
भोपाल से दीपक द्विवेदी की रिपोर्ट
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