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Pratapgarh312605

प्रतापगढ़ के जंगलों पर खतरा: अतिक्रमण और कटाई का भयानक सच!

HUHITESH UPADHYAY
Jul 15, 2025 06:04:03
Pratapgarh, Rajasthan
Slug : 1507ZRJ_PRTP_VAN_R जिला : प्रतापगढ़ विधानसभा : प्रतापगढ़ खबर की लोकेशन : प्रतापगढ़ जिला संवादाता : हितेष उपाध्याय, 9079154796 हेडर/हेडलाईन : वन क्षेत्र में अतिक्रमण और पेड़ों की कटाई से बर्बादी की कगार पर जंगल, वन विभाग बेबस एंकर/इंट्रो : प्रतापगढ़ जिले के जंगल अब खतरे में हैं। लगातार हो रही पेड़ों की कटाई और अतिक्रमण से वन क्षेत्र सिकुड़ता जा रहा है। हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि वन विभाग की कार्रवाइयों के बावजूद भी अतिक्रमण पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। हर बार कब्जा हटाने के कुछ ही दिन बाद दूसरी जगह फिर से पेड़ों को काटकर खेत बनाए जा रहे हैं। गौरतलब है कि प्रतापगढ़ जिले के देवगढ़ रेंज के अंतर्गत आने वाले चिकलाड़ वन नाका क्षेत्र में अतिक्रमण की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। हालात यह हैं कि वन विभाग द्वारा एक स्थान से कब्जा हटाने के बाद कुछ ही दिनों में दूसरे स्थान पर दोबारा अतिक्रमण कर लिया जाता है। इससे जंगलों का अस्तित्व खतरे में पड़ता जा रहा है। हाल ही में चिकलाड़ वन नाके के अंतर्गत आने वाले आडावेला गांव के पश्चिम दिशा में महुडीखेड़ा रास्ते पर एनिकट के पास नई जगह पर अतिक्रमण कर खेती की शुरुआत कर दी गई है। हैरानी की बात यह है कि इस नए कब्जे के लिए एक सप्ताह में ही अतिक्रमणकारियों ने दर्जनों पेड़ों की कटाई कर दी। इस अवैध गतिविधि की जानकारी पर्यावरण प्रेमियों ने वन विभाग को दी, लेकिन विभागीय स्तर पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। इससे अतिक्रमणकारियों के हौसले और बुलंद होते जा रहे हैं। वन क्षेत्र में हो रही लगातार कटाई और कब्जों से जहां प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है, वहीं वन्यजीवों का आवास भी प्रभावित हो रहा है। यह स्थिति आने वाले समय में गंभीर पर्यावरणीय संकट को जन्म दे सकती है। स्थानीय ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि यदि समय रहते इन घटनाओं पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो क्षेत्र के हरे-भरे जंगल पूरी तरह उजड़ जाएंगे। वन विभाग के सूत्रों के अनुसार, अतिक्रमण करने वाले कई बार संगठित रूप से आते हैं और रात्रि में ही पेड़ काटकर भूमि को समतल कर लेते हैं। कई बार तो विभागीय कर्मचारियों को भी विरोध का सामना करना पड़ता है। जनता और पर्यावरण कार्यकर्ता मांग कर रहे हैं कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग को स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर सख्त कदम उठाने चाहिए, ताकि जंगलों को बचाया जा सके और अतिक्रमण पर स्थायी रोक लग सके। बाईट - लक्ष्मसिंह चिकलाड़, पर्यावरण प्रेमी
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