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70 फुट रावण: जलेबी मूंछों के साथ सिरसा दशहरे की आवाज
VKVIJAY KUMAR
Sept 28, 2025 15:19:19
Sirsa, Haryana
एंकर रीड सिरसा में इस बार दशहरा पर्व कुछ खास होने वाला है। यहाँ तैयार हो रहा है एक अनोखा रावण का पुतला, जिसकी सबसे बड़ी खासियत है उसकी जलेबी मूंछें। जी हाँ, करीब 40 फुट लंबी जलेबी जैसी घुमावदार मूंछों वाला यह रावण का पुतला इस समय आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस भव्य आयोजन के पीछे हैं दिल्ली के जाने-माने कारीगर बाबा भगत, जो पिछले 40 सालों से रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले बनाने का काम कर रहे हैं। बाबा भगत का कहना है कि उन्होंने अब तक दिल्ली और सिरसा में मिलाकर हजारों पुतले बनाए हैं। सिरसा में ही पिछले 20 सालों में उन्होंने करीब 4000 छोटे रावण के पुतले तैयार किए हैं जो छोटे बच्चों को काफी पंसद आए है। छोटे बच्चे दशहरा का पर्व मनाने के बाद अपने घरों , गलियों और मोहल्ले में छोटे रावण , कुंभकर्ण के पुतले जलाते है। यही नहीं, बड़े पुतलों की बात करें तो वे अब तक करीब 500 से ज्यादा विशालकाय रावण और कुंभकर्ण बना चुके हैं।
वोल 1 मीडिया से बातचीत करते हुए कारीगर बाबा भगत जी का कहना है कि छोटे पुतलों की माँग पूरे साल बनी रहती है। लोग इन्हें दशहरे के अलावा सजावट और त्योहारों के लिए भी खरीदते हैं। वे हर साल करीब 100 से ज्यादा छोटे रावण के पुतले तैयार करते हैं। वहीं बड़े पुतले खास तौर पर रामलीला कमेटियों और दशहरा आयोजनों से ऑर्डर मिलने के बाद ही बनाए जाते हैं। इस बार सिरसा में जो रावण का पुतला तैयार हो रहा है, वह करीब 70 फुट ऊँचा होगा। इसकी सबसे बड़ी खूबी होगी इसकी 40 फुट लंबी जलेबी मूंछें, जो इसे बिल्कुल अलग और आकर्षक रूप देंगी। इतना ही नहीं, साथ में कुंभकर्ण और मेघनाथ के भी विशाल पुतले बनाए जा रहे हैं, जो सिरसा के दशहरे को और भव्य बनाएंगे।
वोल 2 बाबा भगत का दावा है कि वे इस कला से पैसे कमाने नहीं आए, बल्कि उनकी असली सोच है नई पीढ़ी को रामायण और रावण की कहानी से जोड़ना। वे चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ी केवल पुतले देखने का आनंद ही न ले, बल्कि इसके पीछे छिपे इतिहास और संस्कृति को भी समझे। हालांकि, मौजूदा समय में महंगाई ने उनका काम कठिन बना दिया है। कागज़, बांस और रंगों की कीमतें पहले से कहीं ज्यादा बढ़ चुकी हैं। इसके बावजूद बाबा भगत और उनका पूरा परिवार इस परंपरा को जीवित रखने में जुटा है। उनका कहना है कि यह केवल रोजगार नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक सेवा है।
वोल 3 दिलचस्प बात यह है कि बाबा भगत के परिवार के करीब 20 सदस्य इस काम में हाथ बंटाते हैं। कोई बांस और लकड़ी का ढांचा बनाता है, कोई कागज़ चिपकाता है, तो कोई रंग भरने का काम करता है। सभी मिलकर महीनों की मेहनत के बाद इन विशाल पुतलों को तैयार करते हैं। इस बार सिरसा का दशहरा केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक अद्भुत नजारा साबित होगा। जलेबी मूंछ वाला 70 फुट का रावण और उसके साथ कुंभकर्ण का विराट स्वरूप, दर्शकों को रोमांचित करेगा।
बाबा भगत कहते हैं – “रावण बुरा था या नहीं, ये बहस का विषय हो सकता है, लेकिन उससे जुड़ी कहानी हमें अच्छाई और बुराई के बीच फर्क करना सिखाती है। यही सीख हम पुतलों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाते हैं।”
सचमुच, बाबा भगत जैसे कारीगर न केवल दशहरे की रौनक बढ़ाते हैं, बल्कि हमारी संस्कृति और इतिहास को जीवित रखने का भी काम कर रहे हैं। इस भव्य पुतले को तैयार कर रही है — नई दिल्ली के मशहूर कारीगर बाबा भगत की टीम। बाबा भगत और उनकी टीम पिछले कई दशकों से देशभर में रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाते आ रहे हैं, लेकिन सिरसा के इस रावण में कुछ खास बात है। बाबा भगत हर साल कुछ नया करते हैं, लेकिन इस बार पहली बार 40 फुट लंबी मूंछ बनाई है। ये जलेबी की तरह मुड़ी हुई है। सिरसा वालों को कुछ अलग दिखाना था, तो सोचा ये अनोखा प्रयोग किया जाए। इन पुतलों में करीब लाखों रुपये के आतिशबाज़ी वाले पटाखे लगाए जा रहे हैं, जो दशहरे की रात को रंगीन रोशनी से आसमान को जगमग कर देंगे।
बाबा भगत का दावा है कि हर साल कोशिश करते हैं कि कुछ नया किया जाए। इस बार बच्चों के लिए खास आकृति दी है। सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया है और प्रशासन से अनुमति लेकर सभी तैयारियाँ की जा रही हैं।
गौरतलब है कि दशहरे का भव्य आयोजन 2 अक्टूबर को होने वाला है। फिलहाल रावण और कुंभकरण का चेहरा तैयार कर लिया गया है। अब शरीर — यानी धड़ को आकार दिया जा रहा है। पुतले को तैयार करने में करीब 20 से 25 दिन लगते हैं। बच्चे, बुजुर्ग , जवान – सभी में इस अनोखी मूंछ वाले रावण को देखने का उत्साह है। लोग सेल्फी ले रहे हैं, वीडियो बना रहे हैं और सोशल मीडिया पर इस रावण की खूब चर्चा हो रही है। इस बार सिरसा का दशहरा न सिर्फ बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होगा, बल्कि कला, परंपरा और नवाचार का अनोखा संगम भी बनेगा।
वोल 4 वही ग्राहक राज करण का कहना है कि दशहरे के पर्व को लेकर छोटे बच्चों में तो काफी उत्साह देखने को मिल रहा है लेकिन बुजुर्गों में उत्साह कम देखने को मिल रहा है।
वे भी छोटे बच्चे की फरमाइश पर पहली बार ही बच्चों के लिए छोटा पुतला खरीद रहे है। पिछले काफी समय से रामलीला के द्वारा मनाया जाने वाला दशहरे में रावण , कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले देखने ही जाते है। वे अब रावण , कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले खरीद रहे है। उन्होंने कहा कि महंगाई ने भी त्योहारों पर अपने प्रभाव छोड़ दिया है और इस बार पुतले भी काफी महंगे है।
बाइट राजकरण , ग्राहक।
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