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कुल्लू दशहरा: भारी बारिश के बावजूद रथयात्रा ने लंका दहन और देव मिलन सफल किया
MTManish Thakur
Oct 08, 2025 14:48:52
Kullu, Himachal Pradesh
जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर मैदान में 7 दिनों से चल रहे अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव का बुधवार को समापन हो गया है। बुधवार शाम के समय भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह के द्वारा पहले जलेब की परंपरा को निभाया गया और ढालपुर के कला केंद्र से होते हुए खड़की जाच परंपरा को निभाते हुए वे भगवान रघुनाथ के अस्थाई शिविर पहुंचे। जहां पर लंका दहन के लिए भगवान श्री राम को उनके रथ पर सवार किया गया। हालांकि भारी बारिश के चलते मैदान में काफी कीचड़ भरा हुआ था और यहां पर लोगों को भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन भारी बारिश में भी लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ और हजारों की भीड़ भगवान रघुनाथ के रथ को खींचते हुए लंका बेकर ले गई। ऐसे में माता हिडिंबा सहित अन्य देवी देवता भी लंका दहन की रथ यात्रा में विशेष रूप से शामिल हुए और लंका बेकार में अष्टांग बलि की प्रक्रिया को भी पूरा किया गया। उसके बाद माता हिडिंबा सबसे पहले वापस पीछे की ओर लौट आई और उसके बाद भगवान रघुनाथ का रथ भी ढालपुर के रथ मैदान में पहुंचा। जहां से भगवान रघुनाथ, माता सीता और हनुमान की मूर्ति को पालकी में सजाया गया और ढोल नगाड़ों की थाप पर उन्हें रघुनाथपुर के मंदिर में ले जाया गया।
वहीं, माता हिडिंबा कुल्लू दशहरा में सात दिन तक अपने अस्थायी शिविर में ही रहती हैं और लंका दहन के बाद ही अपने देवालय लौटती हैं। ये परंपरा सालों से चली आ रही है। लंका दहन के समय माता हिडिंबा को अष्टांग बलि दी जाती है। लंका दहन के लिए होने वाली रथयात्रा में माता का रथ सबसे आगे चलता है। आगे चलकर माता हिडिंबा पूरा देव महाकुंभ को बखूबी संपन्न करती हैं और समापन पर माता को अष्टांग बलि दी जाती है। अष्टांग बलि के समय माता हिडिंबा का गूर, पुजारी, घंटी, धड़च के साथ जाते हैं। जबकि माता का रथ कुछ दूरी पर रहता है। लेकिन जैसे ही बलि की प्रथा पूरी हो जाती है। माता का रथ स्वत: ही पीछे मुड़कर देवालय की ओर लौट जाता है। इसके साथ ही दशहरा उत्सव का समापन हो जाता है।
वहीं अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव संपन्न होने के साथ ही ढालपुर में आए सैकड़ों देवी देवता भी अपने-अपने अस्थाई शिविर को छोड़कर अपने-अपने देवालय की ओर लौट रहे हैं। ऐसे में सभी देवी देवताओं ने बुधवार को भी आपस में देव मिलन की प्रक्रिया को पूरा किया और अगले साल आने का वादा कर वह वापस अपने मंदिरों की ओर लौट गए। ऐसे में अब ढालपुर का मैदान भी सूना पड़ गया है। अगले साल ही फिर से दशहरा उत्सव में देवी देवताओं का महाकुंभ होगा और सैकड़ों देवी देवताओं के ढालपुर मैदान में ही दर्शन होंगे। देवता कुई कांडा नाग के पुजारी गोविंद शर्मा, देवता कोट भझारी के कारदार भागे राम राणा ने बताया कि देवी देवता अब अपने-अपने देवालय की ओर रवाना हो चुके हैं। ऐसे में अगले साल फिर से देवी देवता ढालपुर मैदान में एकत्र होंगे।
भगवान रघुनाथ के कारदार दानवेंद्र सिंह ने बताया कि 7 दिनों तक भगवान रघालपुर ढालपुर में अपने अस्थाई शिविर में विराजमान रहे और सभी परंपराओं का निर्वाह करने के बाद भगवान रघुनाथ अपने मंदिर पहुंच चुके हैं। ऐसे में भगवान राम के वापस आने की खुशी में यहां पर श्रद्धालुओं के द्वारा भजन कीर्तन भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दशहरा उत्सव में आए देवी देवताओं ने भगवान रघुनाथ के साथ भी देव मिलन किया है और भगवान रघुनाथ के द्वारा उन्हें अगले साल फिर से दशहरा उत्सव में आने का निमंत्रण भी दिया गया है।
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