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अरावली: खनन के खिलाफ आंदोलन तेज, सरकार- विपक्ष और सुप्रीम कोर्ट की नजरें टिकीं
HHHarvinder Harvinder
Dec 27, 2025 13:50:40
Mahendragarh, Haryana
एंकर:
अरावली पर्वत श्रृंखला को लेकर देशभर में बहस तेज है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव अरावली पर सरकार का पक्ष रख रहे हैं, वहीं हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में यह मुद्दा अब सियासी रंग ले चुका है। महेंद्रगढ़ में करीब 17 हजार 700 हेक्टेयर अरावली क्षेत्र मौजूद है, जबकि जिले में सरकार द्वारा लगभग 210 हेक्टेयर क्षेत्र में खनन प्रस्तावित/संचालित बताया जा रहा है। सवाल यह है कि नए नियमों के तहत क्या अरावली में खनन शुरू होगा या पहाड़ियां सुरक्षित रहेंगी?
वीओ:
महेंद्रगढ़ जिले की अरावली को लेकर लोगों में चिंता बढ़ती जा रही है। विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी में है। यूथ कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि यदि अरावली के साथ छेड़छाड़ हुई तो आंदोलन होगा। इसी कड़ी में यूथ कांग्रेस जिला उपायुक्त को ज्ञापन सौंपने की तैयारी कर रही है।
बाइट – संदीप चौधरी (पुत्र विधायक मंजू चौधरी, यूथ कांग्रेस):
“अरावली को बचाने के लिए यूथ कांग्रेस और महेंद्रगढ़ की जनता एकजुट है। हम जिला उपायुक्त को ज्ञापन देंगे और जरूरत पड़ी तो हर स्तर पर लड़ाई लड़ेंगे。”
वीओ-2:
मामले को लेकर हमारी टीम ने वन विभाग से भी बात की। अधिकारियों के अनुसार रिकॉर्ड में महेंद्रगढ़ जिले में करीब 17,700 हेक्टेयर अरावली क्षेत्र दर्ज है, जिसमें से 11,600 हेक्टेयर में अरावली परियोजना के तहत पौधारोपण किया गया है। इस भूमि पर वन विभाग की सभी धाराएं लागू हैं, यानी यहां पौधारोपण के अलावा अन्य गतिविधियां प्रतिबंधित हैं।
बाइट – विजेंदर (वन विभाग अधिकारी, महेंद्रगढ़)
“जिले में अरावली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खनन नहीं हो रहा है। यदि कहीं अवैध खनन की सूचना मिलती है तो खनन व पुलिस विभाग के साथ मिलकर कार्रवाई की जाती है। नए नियमों पर सरकार और माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।”
वीओ-3:
वहीं जिला खनन विभाग का कहना है कि महेंद्रगढ़ में फिलहाल 8 खनन लीज सुचारू रूप से चल रही हैं, जो लगभग 210 हेक्टेयर क्षेत्र में हैं। इनसे सरकार को प्रतिवर्ष करीब 250 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है।
बाइट – अनिल कुमार (AME, खनन विभाग, नारनौल)
“खनन लीज सरकार के नियमों के तहत संचालित हैं। अधिक गहराई तक खनन की कोई सूचना नहीं है। हमारी टीम लगातार निगरानी रखे हुए है।”
एक ओर पर्यावरण संरक्षण की मांग और अरावली बचाने का आंदोलन, दूसरी ओर राजस्व और खनन का दबाव—महेंद्रगढ़ की अरावली अब नीति, कानून और राजनीति के चौराहे पर खड़ी है। आने वाले दिनों में सरकार और सुप्रीम कोर्ट के फैसले तय करेंगे कि अरावली की पहाड़ियां सुरक्षित रहेंगी या खनन की आहट और तेज होगी।
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