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बिहार चुनाव: हिन्दू-मुस्लिम ध्रुवीकरण और बुर्का मुद्दे तेज़ होते हैं
PJPrashant Jha
Oct 27, 2025 10:36:01
Patna, Bihar
बिहार चुनाव में नकदी, जाति और भ्रष्टाचार से हटकर हिन्दू-मुस्लिम, वक्फ बोर्ड, बुर्का और मुस्लिम डिप्टी सीएम जैसे मुद्दों पर ध्रुवीकरण हो रहा है. एनडीए हो या महागठबंधन, सबको लग रहा कि बिना नाम लिए नैया पार नहीं होने वाली है. इसलिए चुनाव से चंद दिन पहले यह खेल खूब खेला जा रहा है. बिहार में पहले चरण की वोटिंग से पहले क्या ध्रुवीकरण के आसार बन रहे हैं? अब तक कैश, कॉस्ट, करप्शन के मुद्दे पर दांव खेल रहे नेता अचानक हिन्दू-मुस्लिम, वक्फ बोर्ड कानून और बुर्का पर उतर आए हैं? कोई ‘नमक हराम’ की बातें कर रहा हैं? तो कोई कह रहा कि सरकार बनी तो वक्फ बोर्ड कानून खत्म कर देंगे. बिहार में लागू ही नहीं होने देंगे. कोई मुस्लिम महिलाओं के लिए अलग से स्कीम लाने की बातें कर रहा हैं? तो कोई घुसपैठियों को ढूंढ ढूंढकर भगाने की बात. मुस्लिम डिप्टी सीएम पर तो खुलकर बयानबाजी हो ही रही है. सवाल ये भी हैं? कि इस ध्रुवीकरण के केंद्र में मुसलमान क्यों अहम हो गए?
बिहार में जातिगत समीकरण और भाई भतीजावाद इस कदर हावी है कि कभी वहां सही मुद्दे चुनाव में ऊपर ही नहीं हुए या पूछे ही नहीं गए. एनडीए अलायंस हर चुनाव में जंगलराज की कहानी लेकर आता है. जनता को बताया जाता है कि अगर वे आ गए तो तबाही आ जाएगी. सड़क पर चलना मुश्किल हो जाएगा. जबकि 20 साल से वही सत्ता में हैं. महागठबंधन के पिछले कर्म उनका पीछा नहीं छोड़ रहे हैं. लोगों को सुरक्षा की चिंता सताने लगती है. हर चुनाव की शुरुआत रोजगार, बिजली, सड़क, पानी जैसे मुद्दों से होती है. लेकिन फिर खींचकर मामला हिन्दू-मुस्लिम पर चला ही जाता है. एक बार फिर वैसा ही हो रहा है.
बुर्का से घुंघट तक की बात
वोट डालने के समय खासकर बुर्का पहनने वाली महिलाओं की पहचान उनके वोटर कार्ड से मिलाई जाए, ताकि सिर्फ असली मतदाता ही मतदान कर सकें. अगर पहचान की जांच ‘घूंघट’ हटाकर की जा سکتی है, तो फिर ‘बुर्का’ हटाकर क्यों नहीं? यह देश सबके लिए समान है.
जब बिहार और यहां के युवा विकास की बात कर रहे हैं, तब कांग्रेस और राजद ‘बुर्का’ के सहारे अपनी जमीन तलाश रहे हैं. क्या इन्हें फर्जी मतदान की इजाजत दी जानी चाहिए? विदेश यात्रा के समय चेहरा दिखाते हैं, लेकिन बिहार में वोट डालते वक्त गरीबों के अधिकार छीनने के लिए चेहरा छिपा लेते हैं, यह गलत है.
मुसलमान क्यों अहम? 18% वोटर, 80 सीटों का खेल
बिहार में मुसलमान 18% हैं. सीमांचल यानी पूर्णिया, किशनगंज, मगध यानी गया, जहानाबाद, कोशी यानी मधुबनी जैसे इलाकों में 30-40% इनकी आबादी है. यहां कुल 80 सीटों का खेल है. 2020 में महागठबंधन को 70% मुस्लिम वोट मिले, जिससे 75 सीटें जीतीं. लेकिन अब एसआईआर से 20 लाख मुस्लिम वोटर कटने का आरोप लग रहा है. एक्सपर्ट कह रहे कि मुस्लिम मतदाता 40-60 स्विंग सीटों पर नतीजे पलट सकते हैं. एआईएमआईएम 10-15 सीटों पर सेंध लगाने की कोशिश में है. अगर ऐसा हुआ तो एनडीए को फायदा होगा.
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