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संघ की सक्रियता से यूपी में भाजपा की जमीन मजबूत करने की योजना
RRRakesh Ranjan
Oct 23, 2025 06:57:57
Noida, Uttar Pradesh
यूपी में भाजपा के लिए चुनावी जमीन तैयार करेगा संघ
यूपी में अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव, शिक्षक चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. भारतीय जनता पार्टी और संघ के साथ मिलकर चलाये जाने वाले कई कार्यक्रम की रूपरेखा तय हो गयी है. सभी स्तरों पर तालमेल बेहतर हो और सामाजिक और शैक्षिक मोर्चे पर संयुक्त प्रयास पर संघ ने होम वर्क शुरू कर दिया है
यूपी में संघ ने अपनी सक्रियता भाजपा के संग बढ़ा देने का प्लान तैयार कर लिया है। भाजपा को संघ की इस सक्रियता से कई फायदे मिल सकते हैं. पहला, जमीनी स्तर पर प्रचारकों के जरिए गांव-कस्बों में पैठ बढ़ेगी. दूसरा, हिंदू सम्मेलन और सामाजिक अभियानों से जातिगत खाई पाटने की कोशिश होगी, जिससे ओबीसी और दलित वोटों पर असर पड़ेगा. तीसरा, शिक्षण संस्थानों में प्रभाव बढ़ाने से युवा मतदाता भाजपा के करीब आएंगे. चौथा, सेवा पखवाड़े जैसी पहलों के जरिए समाज सेवा की छवि बनाकर नए लोगों को जोड़ा जा सकेगा. यूपी में संघ के इन अभियान की वजह से भाजपा की स्थिति जमीनी स्तर पर मजबूत होगी
बाइट — संघ विचारक सौरभ मालवीय; बैक टू बैक; बाइट संजय चौधरी भाजपा प्रवक्ता
1 — सामाजिक समूह और शिक्षा समूह की अलग-अलग बैठकें होंगी. सामाजिक समूह की बैठक में सरकार, संगठन और संघ मिलकर समन्वय के साथ काम करेगा जो 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा को मजबूती प्रदान करेगा. शिक्षा समूह की बैठकों में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की मौजूदा स्थिति, छात्र संगठनों की भूमिका और शिक्षण संस्थानों में माहौल सुधारने पर चर्चा होगी जो शिक्षक और स्नातक चुनाव के लिए माहौल बनाएगी।
2 — विपक्ष ने पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक यानी PDए का नैरेटिव खड़ा कर भाजपा के जातिगत समीकरणों को चुनौती दी है। वर्ष 2019 में भाजपा ने उत्तर प्रदेश से 62 लोकसभा सीटें जीती थीं, लेकिन 2024 में यह संख्या घटकर 33 रह गई। संघ ने संगठनात्मक फेरबदल के जरिए प्रचारकों को ऐसी जगह तैनात किया है जहां वे जातिगत और सामाजिक समीकरणों को बेहतर तरीके से समझकर काम कर सकें ताकि भाजपा के लिए मजबूती हो सके
3 — संगठनात्मक गतिविधियों के साथ-साथ संघ ने बड़े पैमाने पर हिंदू सम्मेलनों की योजना भी बनाई है। इनमें जातिगत मतभेद, सामाजिक असमानता और आंतरिक भ्रांतियों जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी. इस सम्मेलन में भाजपा के कार्यकर्ताओं को भी बुलाया जाएगा। सामाजिक इंजीनियरिंग के फॉर्मूले पर जातिगत भेदभाव और निचली जातियों का सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन पर माहौल बनाया जाएगा; अगर यह प्रयास सफल होते हैं तो भाजपा को सीधे तौर पर फायदा मिलेगा क्योंकि विपक्ष का PDए नैरेटिव कमजोर पड़ जाएगा।
4 — आज का युवा रोजगार, शिक्षा और अवसर जैसे मुद्दों पर ज्यादा ध्यान देता है. वैचारिक मुद्दों का असर सीमित होता है. इसलिए संघ और भाजपा इन बुनियादी सवालों पर गांवों में युवा चौपाल करके इसपर जवाब देंगे
5 — वैचारिक संगठनों को उनसे जुड़े क्षेत्र के लोगों के बीच मोदी-योगी सरकार की उपलब्धियां बताने, सरकार के कार्यकाल में राष्ट्रवाद को मिले महत्व और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से जुड़े मुद्दों पर काम शुरू होने जैसी उपलब्धियां भाजपा और संघ मिलकर बताएगा
6 — संघ की तरफ से चलाये जाने वाले महासम्पर्क अभियान में 80 हजार कार्यकर्ता 20 हजार टोली द्वारा एक महीने तक अनवरत गृह संपर्क के माध्यम से समाज में संघ के विचार, कार्य और उद्देश्य को व्यक्तिगत संवाद द्वारा पहुंचायेंगे. इस अभियान से भाजपा को बहुत मजबूती मिलेगी। उत्तर प्रदेश में संघ के स्वयंसेवक ढाई करोड़ से अधिक घरों में संपर्क करेंगे। संपर्क के दौरान प्रत्येक घर में भाजपा सरकार की नीतियों पर संवाद होगा
7 — यूपी के जिलों में तैनात सरकार के मंत्री जो प्रभारी की भूमिका में हैं वह जिलास्तरीय कोर कमेटी की बैठक करेंगे। मंत्री कोर कमेटी की बैठक में आरएसएस के दो प्रतिनिधियों को भी शामिल करेंगे। जिलों में मंत्री कोर कमेटी की बैठक करेंगे जिसमें बीजेपी संगठन के अलावा आरएसएस के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे। इसके अलावा जिले के वरिष्ठ अफसरों को बिठाया जाएगा जो समस्याओं का निस्तारण कर सुशासन के मंत्र को साकार करने में सहयोग करेंगे।
8 — इसके अलावा किसान चौपाल के दौरान भाजपा के कार्यकर्ता संघ के शाखा प्रमुख के साथ किसानों के बीच जाकर संवाद करेंगे
9 — संघ भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्ष के तमाम मुद्दों पर भी जनता के बीच जाकर उनको ये बताएगा कि विपक्ष के द्वारा फैलाया गया झूठ के एजेंडे में ये शामिल है।
10 — हर 2 महीने पर संघ और संगठन की एक बैठक होगी जिसमें अभियानों को लेकर क्या कुछ फीडबैक आया है उसे पर भी चर्चा होगी
ग्राफिक्स आउट
वीओ — उत्तर प्रदेश भाजपा और संघ दोनों के लिए सबसे अहम राज्य है. यह न केवल लोकसभा में सबसे ज्यादा सीटें देता है बल्कि राष्ट्रीय राजनीति की दिशा भी यहीं से तय होती है। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में सीटों में आई गिरावट के बाद संघ और भाजपा दोनों को एहसास हुआ है कि बिना जमीनी सक्रियता और जातिगत संतुलन के चुनावी सफलता पाना कठिन होगा। पंचायत चुनाव, शिक्षक चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव तक संघ की भूमिका निर्णायक होगी और ऐसे में देखना होगा कि भाजपा को संघ का यह समर्थन क्या वरदान साबित हो सकता है
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