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4-ई मॉडेल से सड़क सुरक्षा माह शुरू, चालान-लाइसेंस नीति कड़ाई से लागू
RRRakesh Ranjan
Dec 20, 2025 15:49:47
Noida, Uttar Pradesh
सड़क सुरक्षा के लिए मुख्यमंत्री का 4-ई मॉडल, शिक्षा, प्रवर्तन, इंजीनियरिंग और इमरजेंसी केयर पर होगा फोकस
01 से 31 जनवरी, 2026 तक चलेगा प्रदेशव्यापी सड़क सुरक्षा अभियान
केवल चालान समाधान नहीं, आदतन नियम तोड़ने वालों के लाइसेंस जब्त और वाहन सीज करने की सख्त नीति लागू करें: मुख्यमंत्री
वर्ष 2025 में 46 हजार से अधिक दुर्घटनाएं और 24 हजार से ज्यादा मौतें गंभीर चेतावनी, एक भी मृत्यु पूरे परिवार के लिए आजीवन पीड़ा है: मुख्यमंत्री
जागरूकता अभियान का केंद्र व्यवहार परिवर्तन, तहसील से जिला मुख्यालय तक प्रचार सामग्री, वास्तविक दुर्घटनाओं के उदाहरण और पब्लिक एड्रेस सिस्टम के उपयोग के निर्देश
एनएसएस, एनसीसी, आपदा मित्र, स्काउट गाइड और सिविल डिफेंस की भागीदारी से युवाओं को जोड़कर अभियान को जनभागीदारी का स्वरूप देने पर बल
ब्लैक स्पॉट सुधार, रोड सेफ्टी ऑडिट, ओवर स्पीडिंग और लेन ड्राइविंग पर नियंत्रण, एक्सप्रेसवे पेट्रोलिंग, क्रेन और एम्बुलेंस बढ़ाने के निर्देश
गोल्डन ऑवर में उपचार सर्वोपरि, निजी ट्रॉमा सेंटरों को जोड़ने, 108 और एएलएस एम्बुलेंस का रिस्पॉन्स टाइम घटाने और स्कूल व भारी वाहनों की फिटनेस जांच के निर्देश
लखनऊ, 20 दिसंबर:- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 01 जनवरी से 31 जनवरी 2026 तक प्रदेशव्यापी “सड़क सुरक्षा माह” आयोजित करने के निर्देश देते हुए कहा है कि नए वर्ष की शुरुआत केवल औपचारिक आयोजनों से नहीं, बल्कि जनजीवन से सीधे जुड़े सड़क सुरक्षा जैसे अत्यंत संवेदनशील विषय पर ठोस संकल्प, व्यापक जनभागीदारी और व्यवहार परिवर्तन के लक्ष्य के साथ होनी चाहिए। शनिवार को शासन स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों, मंडलायुक्तों तथा जनपदों के जिलाधिकारियों के साथ आयोजित उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सड़क सुरक्षा अभियान किसी भी स्थिति में औपचारिकता बनकर न रह जाए, बल्कि यह प्रत्येक नागरिक के जीवन से जुड़ा जन आंदोलन बने।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि सड़क सुरक्षा माह को 4-ई मॉडल के आधार पर संचालित किया जाए, जिसमें शिक्षा, प्रवर्तन, इंजीनियरिंग और इमरजेंसी केयर चारों स्तंभों पर समान रूप से और समन्वित ढंग से कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि लोगों को केवल नियमों की जानकारी देना पर्याप्त नहीं है, बल्कि यह समझाना आवश्यक है कि यातायात नियमों का पालन उनके स्वयं के जीवन, उनके परिवार और समाज की सुरक्षा से सीधे जुड़ा है। शिक्षा के माध्यम से बच्चों, युवाओं और आम नागरिकों में सही सड़क व्यवहार विकसित किया जाए, प्रवर्तन के अंतर्गत नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित हो, इंजीनियरिंग के माध्यम से सड़कों के ब्लैक स्पॉट और क्रिटिकल पॉइंट सुधारे जाएं तथा इमरजेंसी केयर के अंतर्गत त्वरित एम्बुलेंस सेवा और बेहतर ट्रॉमा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन चारों स्तंभों पर संतुलित और एकसाथ काम किए बिना सड़क दुर्घटनाओं में वास्तविक कमी संभव नहीं है।
बैठक में विभागीय अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि वर्ष 2025 में नवंबर तक प्रदेश में कुल 46,223 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिनमें 24,776 लोगों की मृत्यु हुई है। मुख्यमंत्री ने इन आंकड़ों को अत्यंत गंभीर बताते हुए कहा कि सड़क दुर्घटनाएं केवल प्रशासनिक या तकनीकी समस्या नहीं हैं, बल्कि यह एक बड़ी सामाजिक चुनौती है। उन्होंने कहा कि एक भी दुर्घटना में किसी व्यक्ति की मृत्यु पूरे परिवार को जीवन भर का दर्द दे जाती है और इस पीड़ा को वही परिवार समझ सकता है। इसी दृष्टिकोण से सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए संवेदनशीलता के साथ-साथ कठोर निर्णय लेना भी आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि सड़क सुरक्षा माह के अंतर्गत जनवरी के पहले सप्ताह में विशेष रूप से जागरूकता पर फोकस किया जाए और सभी विभाग अपनी-अपनी तैयारियां समय से पूरी करें। प्रदेश की प्रत्येक तहसील, ब्लॉक, जिला और सभी प्रमुख मुख्यालयों पर जागरूकता संबंधी प्रचार सामग्री अनिवार्य रूप से लगाई जाए। उन्होंने कहा कि किसी एक वास्तविक सड़क दुर्घटना के उदाहरण को सामने रखकर आमजन को यह समझाया जाए कि एक छोटी सी लापरवाही किस प्रकार पूरे जीवन की दिशा बदल देती है। पब्लिक एड्रेस सिस्टम का व्यापक और प्रभावी उपयोग किया जाए, ताकि यह संदेश हर व्यक्ति तक पहुंचे कि सड़क सुरक्षा किसी और की नहीं, बल्कि उनके अपने जीवन और परिवार से जुड़ा विषय है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि इस अभियान में राष्ट्रीय सेवा योजना, राष्ट्रीय कैडेट कोर, आपदा मित्र, स्काउट गाइड और सिविल डिफेंस जैसे संगठनों की सक्रिय और प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि युवाओं और स्वयंसेवी संगठनों की सहभागिता से ही यह अभियान वास्तविक अर्थों में जन आंदोलन बन सकेगा। जब तक समाज स्वयं जिम्मेदारी नहीं लेगा, तब तक केवल सरकारी प्रयासों से अपेक्षित परिणाम नहीं मिल सकते।
बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि केवल चालान करना सड़क दुर्घटनाओं का स्थायी समाधान नहीं है। उन्होंने निर्देश दिए कि जो लोग आदतन यातायात नियमों का उल्लंघन करते हैं, उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए। ऐसे मामलों में ड्राइविंग लाइसेंस जब्त करने और वाहन सीज करने की स्पष्ट नियमावली तैयार कर उसका सख्ती से पालन कराया जाए। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा के मामलों में कठोरता अनिवार्य है, क्योंकि यह सीधे तौर पर लोगों की जान से जुड़ा विषय है।
मुख्यमंत्री ने सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारकों पर विस्तार से चर्चा करते हुए ब्लैक स्पॉट और क्रिटिकल पॉइंट की पहचान कर उनके त्वरित और स्थायी सुधार के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सड़क इंजीनियरिंग की कमियां, खराब साइनज, अव्यवस्थित कट, अंधे मोड़ और अनुचित स्पीड ब्रेकर दुर्घटनाओं को बढ़ाते हैं। लोक निर्माण विभाग तथा अन्य रोड ओनिंग एजेंसियां समयबद्ध ढंग से सुधार कार्य सुनिश्चित करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल टेबल टॉप स्पीड ब्रेकर ही बनाए जाएं और सभी सड़कों का नियमित रोड सेफ्टी ऑडिट कराया जाए।
मुख्यमंत्री ने एम्बुलेंस सेवाओं और स्कूल वाहनों की फिटनेस की विशेष जांच कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में अनफिट वाहन सड़क पर न चलें। इसके साथ ही 300 किलोमीटर से अधिक दूरी की यात्रा करने वाले बड़े यात्री वाहनों में एकल चालक की व्यवस्था समाप्त कर अनिवार्य रूप से दो चालकों की तैनाती सुनिश्चित करने के निर्देश दिए, ताकि चालक की थकान से होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सके। उन्होंने ओवर स्पीडिंग रोकने के साथ-साथ लेन ड्राइविंग के प्रति भी आमजन को जागरूक करने पर बल दिया तथा एक्सप्रेसवे पर पेट्रोलिंग, एम्बुलेंस और क्रेन की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं को और सुदृढ़ करने पर विशेष बल देते हुए कहा कि सड़क दुर्घटना में जितनी जल्दी घायल को चिकित्सकीय सहायता मिलती है, क्षति की संभावना उतनी ही कम होती है। उन्होंने गोल्डन ऑवर की महत्ता को रेखांकित करते हुए निर्देश दिए कि ट्रॉमा सेंटर की सुविधा वाले निजी अस्पतालों को भी सड़क दुर्घटना पीड़ितों के उपचार से जोड़ा जाए। गृह, परिवहन, लोक निर्माण, एक्सप्रेसवे प्राधिकरण, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग आपसी समन्वय से ऐसा प्रभावी नेटवर्क तैयार करें, जिससे घायल व्यक्ति को शीघ्र उपचार मिल सके। उन्होंने निर्देश दिए कि 108 और एएलएस एम्बुलेंस सेवाओं का रिस्पॉन्स टाइम और कम किया जाए।
मुख्यमंत्री ने सड़क अनुशासन पर जोर देते हुए कहा कि सड़क आवागमन के लिए होती है, वाहन खड़ा करने के लिए नहीं। उन्होंने निर्देश दिए कि सड़कों के किनारे किसी भी स्थिति में टेम्पो, बस या रिक्शा स्टैंड न बनें। पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए और अव्यवस्थित पार्किंग पर सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि मकान निर्माण की सामग्री सड़क पर बिखरी न रहे और वेंडिंग जोन का निर्माण स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी है, जिसे हर हाल में पूरा किया जाए।
मुख्यमंत्री ने हाइवे और एक्सप्रेसवे के किनारे लंबे समय तक खड़े वाहनों, डग्गामार वाहनों और सड़क किनारे कतारबद्ध खड़े ट्रकों को गंभीर दुर्घटना का कारण बताते हुए इनके विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस तरह की अव्यवस्थाओं को तत्काल दुरुस्त किया जाए।
बैठक में मुख्यमंत्री ने स्टंटबाजी करने वाले युवकों के विरुद्ध भी पूरी सख्ती बरतने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्टंटबाजी न केवल उनकी अपनी जान, बल्कि सड़क पर चल रहे अन्य लोगों के जीवन के लिए भी गंभीर खतरा है। सड़क सुरक्षा के विषय पर किसी भी स्तर पर लापरवाही स्वीकार नहीं की जाएगी और शासन से लेकर स्थानीय स्तर तक सभी अधिकारियों को पूरी निष्ठा और गंभीरता के साथ इस अभियान की सफलता सुनिश्चित करनी होगी।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि नियोजित प्रयासों के परिणामस्वरूप जहरीली मदिरा बनाने और बेचने की अवैध गतिविधियां लगभग समाप्त हो चुकी हैं, फिर भी व्यवस्था को सजग रहना होगा। यह सुनिश्चित किया जाए कि मदिरा की दुकानें स्कूल, कॉलेज अथवा धार्मिक स्थलों के निकट न हों। मदिरा दुकानों के साइनेज केवल संबंधित दुकान पर ही हों और वे भी निर्धारित आकार में हों।
बैठक के अंत में, मुख्यमंत्री ने वर्ष वर्ष में सर्वाधिक सड़क दुर्घटनाओं वाले शीर्ष पांच जनपदों हरदोई, प्रयागराज, आगरा, कानपुर नगर सहित अन्य संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों से संवाद कर दुर्घटनाओं के प्रमुख कारकों और उनके निस्तारण को लेकर विस्तृत चर्चा की तथा निर्देश दिए कि इन जनपदों में विशेष कार्ययोजना बनाकर सख्ती और संवेदनशीलता के साथ लागू की जाए।
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