313324नाथद्वारा के अन्नकूट प्रसाद पर आदिवासी समुदाय का हक, लूट का विवाद
DSdevendra sharma2
Oct 18, 2025 12:19:14
Rajsamand, Mohi, Rajasthan
राजसमंद
यहां पर अन्नकूट प्रसाद बंटता नहीं, जमकर लूटा जाता है... सिर्फ आदिवासी समुदाय के लोग ही लूटते हैं अन्नकूट प्रसाद, सैंकड़ों साल से इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर में चली आ रही परम्परा, दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा के बाद होता है भव्य आयोजन, अन्नकूट वाले दिन प्रभु को लगाया जाता है 56 से ज्यादा व्यंजनों का भोग, बड़ी तादाद में आदिवासी समुदाय के लोग श्रीनाथजी मंदिर में होते हैं एकत्रित, आदिवासी समुदाय के लोग इस प्रसाद को लूटकर ले जाते हैं अपने अपने घर, इनके मानना है, प्रसाद घर में रखने से धन-धान्य बना रहता है, नहीं आता है कष्ट, इसके पूर्व नाथद्वारा के प्रभु श्रीनाथजी मंदिर में खेखरे का भी होता है भव्य आयोजन, गौशाला से गौ माताओं को ग्वालों द्वारा बाहर निकालते हैं और उनके साथ खेलते हैं, ये सभी गायें गौशाला से बाजार के रास्ते से होती हुई मंदिर चौक में प्रवेश करती हैं, दीपावली पर्व के बाद सभी श्रद्धालु अन्नकूट प्रसादी पाने का बेसब्री से इंतजार करते हैं। चलिए आपको दिखाते हैं इस मंदिर की सदियों पुरानी परम्परा जहां आज भी अन्नकूट प्रसाद बांटा नहीं लूटा जाता है। इस प्रसाद को लूटने का हक सिर्फ आदिवासी समुदाय के लोगों को ही है और किसी को भी यह प्रसाद नहीं लूटने दिया जाता है। आदिवासी समुदाय के लोग द्वारा अन्नकूट प्रसाद लूटने का दृश्य देखने के लिए लोग गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित अन्य प्रदेशों से आते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में सैकड़ों साल यानि 300 साल से भी ज्यादा समय से यह परम्परा निभाई जा रही है कि अन्नकूट प्रसाद पर आदिवासी समुदाय के लोगों का हक है। देर रात तक चलने वाले इस भव्य आयोजन को देखते के लिए दूर दराज से भारी तादाद में लोग मंदिर पहुंचे हैं जो कि बाहर खड़े होकर यह पूरा नजारा देखते हैं। अन्नकूट प्रसाद लूटने वाले आदिवासी समुदाय के लोग बताते है कि सदियों से चली आ रही परम्परा को हम निभा रहे हैं। इनका मानना है कि इस प्रसाद को लूटकर हम घर ले जाते हैं तो धन-धान्य बना रहता है और कष्ट आसपास भी नहीं भटकता है। राजसमंद के नाथद्वारा में खेखरा और अन्नकूट महोत्सव कार्यक्रम बेहद प्रसिद्ध है जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। ऐसे में आयोजन से पूर्व जी मीडिया संवाददाता देवेंद्र शर्मा नाथद्वारा के नथुवास गौशाला पहुंचе जो की जिले की सबसे बड़ी गौशाला मानी जाती है। जानकारी मिली कि इस गौशाला में लगभग ढाई हजार से ज्यादा गायें हैं। और इन गायों में से लगभग 200 से 300 गायों को खेखरे के दिन तैयार करके बाहर निकाला जाता है यानि मंदिर लेकर जाते हैं। ग्वाल गोवर्धन पूजा के दिन उनके साथ खेलते हैं। वहीं इन गायों को गौशाला में जाकर देखा तो गायों को मेहंदी लगाई जा रही थी और उनके सिर पर लगने वाला मोर पंख यानी कि जिसे मोर पट्टिका कहते हैं इसे बनाने वालों से भी बात की गई तो ग्वालो ने बताया कि इसे बनाने में 5 से 6 घंटे लगते हैं और एक ही व्यक्ति द्वारा इसे तैयार किया जाता है। खेखरे के आयोजन को लेकर गौशाला में 15 दिन पहले से ही तैयारी शुरू कर दी जाती है। जिला—राजसमंद, जिला संवाददाता—देवेंद्र शर्मा
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