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PHED स्पेशल प्रोजेक्ट में 17 करोड़ के स्टील फर्जी पेमेंट, इंजीनियरों पर चार्जशीट विवाद
ACAshish Chauhan
Oct 12, 2025 10:09:51
Jaipur, Rajasthan
BAG की जांच में बड़ा खुलासा: पानी के स्पेशल प्रोजेक्ट में 17 करोड के स्टील का फर्जी पेमेंट, अब चार्जशीट पर विवाद
आशीष चौहान
जयपुर- PHED में पानी के स्पेशल प्रोजेक्ट में चौकाने वाला खुलासा हुआ. AG की जांच में प्रोजेक्ट में करोडों के स्टील के फर्जी पेमेंट की पोल खुल गई. अब जलदाय विभाग ने आरोपी इंजीनियर्स को 16 सीसी में चार्जशीट थमाई है. आखिरकार PHED में कैसे गढ़ा भ्रष्टाचार का स्टील, देखें इस खास रिपोर्ट में!
सूचकांक बदलकर फर्जीवाड़ा-
PHED इंजीनियर्स ने फर्म पर मेहरबानी दिखाते हुए "स्पेशल प्रोजेक्ट" में 17 करोड के स्टील का फर्जी पेमेंट किया. तारानगर,झुंझुनू,सीकर,खेतडी प्रोजेक्ट में पूरा फर्जीवाड़ा हुआ. इंजीनियरों ने निविदा शर्तों का खुला उल्लंघन करते हुए 17 करोड का फर्जी भुगतान किया. टैंडर शर्तों के मुताबिक HRC का सूचकांक न लेकर स्टील रोड का सूचकांक लिया गया. AG की जांच बैठी तो पानी के स्पेशल प्रोजेक्ट में बड़ा खुलासा हुआ. अब तत्कालीन अधिशाषी अभियंता दिनेश कुमार सैनी, एक्सईएन राजपाल सिंह को 16 सीसी में चार्जशीट मिलेगी. अतिरिक्त मुख्य अभियंता जगत तिवारी ने Chief Engineer Special Project राजसिंह चौधरी को चार्जशीट भेजी, बताया जा रहा है KECS अखिल अरोड़ा ने मंत्री कन्हैयालाल चौधरी को चार्जशीट भेजी. अब विभाग जल्द ही फाइल डीओपी भेजेगा. मंत्री कन्हैयालाल चौधरी के निर्देश पर फर्म और इंजीनियर्स पर गाज गिरेगी.
लेकिन चार्जशीट पर विवाद गरमाया-
एलएनटी कंपनी का 2019 में कार्य पूरा हुआ, जिसके बाद AG की जांच में सूचकांक बदलने की पोल खुली. बताया जा रहा है कि 8 बिलों में स्टील के पेमेंट में गड़बड़ी हुई. पूरे मामले में सत्यापन करने वाले इंजीनियर्स को ही चार्जशीट प्रस्तावित है. फर्म को फर्जी भुगतान करने वाले इंजीनियर्स को चार्जशीट नहीं दी जा रही है. ऐसे में प्रोजेक्ट में चार्जशीट का विवाद गरमा गया है. बड़ा सवाल ये है कि केवल सत्यापन करने वाले इंजीनियर्स पर ही कार्रवाई क्यों की जा रही है, पेमेंट करने वाले अफसरों को क्या बचाने की कोशिश की जा रही है?
इंजीनियर्स पर गाज गिरी, फर्मों पर ब्रेक-
यदि कोई फर्म या कंपनी निविदा की Shर्तें, नियमों का उल्लंघन करता है तो RTPP सेक्शन 11 के तहत कार्रवाई की सकती है. नियमों के तहत फर्म को 3 साल डिबार, बिड सिक्योरिटी जब्त की जानी चाहिए. लेकिन पिछले कुछ समय से PHED की उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर समेत कई कार्रवाईयों में केवल इंजीनियर्स पर गाज गिरी, फर्मों को ना तो डिबार किया और ना ही ब्लैक लिस्टेड. अब बड़ा सवाल ये है कि क्या अबकी बार भी केवल और केवल इंजीनियर्स पर ही गाज गिरेगी?
PTC-आशीष चौहान, जी मीडिया, जयपुर
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