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शाहपुर कंडी डैम बनकर तैयार, रावी पानी अब भारत में, किसानों को मिलेगा फायदा
RVRajat Vohra
Oct 04, 2025 12:02:33
Jammu,
शाहपुर कंडी डैम बना पाकिस्तान के लिए नया झटका, रावी का पानी अब रहेगा भारत में — जम्मू-कश्मीर और पंजाब के किसानों को मिलेगा सीधा लाभ
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान में जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच भारत ने अपने पड़ोसी देश को एक और बड़ा झटका दिया है। जम्मू-कश्मीर के कठुआ–पंजाब बॉर्डर पर रावी नदी पर बन रहा शाहपुर कंडी डैम अब पूरी तरह से तैयार हो चुका है। इस डैम के बनकर तैयार हो जाने के बाद पाकिस्तान को जाने वाला रावी नदी का पानी अब पूरी तरह से रोक दिया गया है। इसका सीधा फायदा जम्मू-कश्मीर और पंजाब के किसानों को मिलेगा, क्योंकि अब तक रावी नदी का 5 प्रतिशत से अधिक पानी हर साल बिना इस्तेमाल पाकिस्तान में बह जाता था, जिसकी अनुमानित कीमत करीब 8 हज़ार करोड़ रुपये थी। अब यह पानी भारत के भीतर सिंचाई और ऊर्जा उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जाएगा。
शाहपुर कंडी डैम पंजाब के पठानकोट ज़िले में रावी नदी पर स्थित है। यह डैम रंजीत सागर डैम से लगभग 11 किलोमीटर नीचे और माधोपुर हेडवर्क्स से करीब 8 किलोमीटर ऊपर बनाया गया है। 55.5 मीटर ऊंचा यह कंक्रीट ग्रेविटी डैम सिंचाई और हाइड्रोपावर दोनों उद्देश्यों के लिए तैयार किया गया है। इस परियोजना की कुल जल भंडारण क्षमता लगभग 4.23 टीएमसीएफ़टी है, जबकि इसकी कुल बिजली उत्पादन क्षमता 206 मेगावाट है। इसमें 7 टरबाइन लगाई गई हैं—6 टरबाइन 33 मेगावाट की और 1 टरबाइन 8 मेगावाट की है। डैम के साथ 7.7 किलोमीटर लंबी हाइडल चैनल और दो पावर हाउस भी बनाए गए हैं।
इस परियोजना से पंजाब में करीब 5,000 हेक्टेयर और जम्मू-कश्मीर के कठुआ तथा सांबा क्षेत्रों में लगभग 32,000 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी। यह क्षेत्र अब तक पानी की कमी से जूझता रहा है, लेकिन अब कृषि के लिए पर्याप्त सिंचाई उपलब्ध होगी जिससे उत्पादन क्षमता में बड़ा इज़ाफा होने की संभावना है।
शाहपुर कंडी परियोजना का विचार वर्ष 1979 में रखा गया था। पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बीच समझौते के बाद वर्ष 2008 में केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित किया। लेकिन कानूनी विवादों, प्रशासनिक रुकावटों और राज्यों के बीच मतभेदों के चलते दशकों तक काम अधर में लटका रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान—“खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते”—के बाद इस परियोजना को युद्धस्तर पर आगे बढ़ाया गया और आखिरकार इसे पूरा कर लिया गया।
यह परियोजना भारत की रणनीतिक और राजनीतिक दृष्टि से भी बेहद अहम मानी जा रही है। शाहपुर कंडी डैम के शुरू होने से भारत ने इंडस वाटर ट्रीटी के तहत अपने हिस्से के पानी के अधिकतम उपयोग को सुनिश्चित किया है। पहले रावी नदी का अनउपयोगित पानी पाकिस्तान पहुंचता था, जिससे उसे सिंचाई और जलविद्युत का लाभ मिलता था। अब यह लाभ भारत के किसानों और लोगों को होगा। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहले से ही बैकफुट पर आया पाकिस्तान अब जल संकट की ओर भी बढ़ता दिख रहा है।
भारत सरकार अब इंडस वाटर ट्रीटी के तहत अन्य नदियों—ब्यास, सतलुज, चेनाब, झेलम और सिंधु—के पानी को रोकने को लेकर भी नई परियोजनाओं पर तेजी से काम कर रही है। शाहपुर कंडी डैम न केवल भारत की जल नीति को मज़बूत करता है, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों की कृषि और ऊर्जा सुरक्षा को भी नई दिशा देता है.
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