
कार्यालयों में मुगलों की शब्दावली आज भी गुगल में खोजनी पड़ती है
प्रदूषित हो रहा पानी मर रही है मछलियां
Bastar - पानी की किल्लत से जूझ रहा जोबा गांव, कुंवारे रह जा रहे युवक, टूटी शादी की उम्मीदें
छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के जोबा गांव में पानी की भयानक किल्लत ने ग्रामीणों का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। 1700 की आबादी वाले इस गांव में एकमात्र कुंआ ही जीवनरेखा बना हुआ है। हालात ऐसे हैं कि लोग चार-चार दिन में एक बार नहा पाते हैं। सुबह होते ही बच्चे, बूढ़े और जवान बर्तन लेकर पानी की तलाश में निकल पड़ते हैं। पानी की कमी का असर युवाओं की शादी पर भी पड़ रहा है — यहां के युवकों को विवाह के लिए दुल्हन नहीं मिल रही। गांव की यह कहानी राजस्थान के बाड़मेर जैसी नहीं, बल्कि कोंडागांव के इस भीषण संकट को बयां करती है। ग्रामीणों ने सरकार से जल संकट के स्थायी समाधान की गुहार लगाई है।
Bastar - छत्तीसगढ़ अस्पतालों में दवाओं की कमी, मरीजों को 2500 रुपये तक खर्च करना पड़ रहा
पिछले पांच महीनों से सीजीएमएससी (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन) द्वारा दवाओं की आपूर्ति न होने से जिला अस्पताल सहित ग्रामीण और शहरी स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति बेहद खराब हो गई है। टीटी और रेबीज जैसे जरूरी इंजेक्शन तक अस्पतालों में उपलब्ध नहीं हैं। हालत यह है कि डॉग बाइट के मरीजों को इलाज के लिए 2 से 2.5 हजार रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं। कभी बेहतर सेवाओं के लिए सम्मानित यह जिला अस्पताल अब मरीजों के इलाज को तरस रहा है। जीवनदीप समिति के फंड से कुछ दवाएं खरीदी जा रही हैं, लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। बाजार से खरीदे गए उपकरणों और दवाओं के 3-4 साल पुराने भुगतान अभी तक नहीं हुए, जिससे व्यापारी उधारी देने से इनकार कर रहे हैं। स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की यह बदहाली मरीजों के लिए गंभीर संकट बन चुकी है।
बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का सपना धूमिल, नक्सल क्षेत्र में छात्रावास की कमी
सुदूर नक्सल प्रभावित क्षेत्र बयानर में बेटियों की शिक्षा पर गंभीर संकट खड़ा हो गया है। यहां की छात्राओं को आधी पढ़ाई के बाद यह बताया जा रहा है कि छात्रावास में अब उनके लिए जगह नहीं है। यह स्थिति सरकार के "बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ" अभियान की असलियत को उजागर कर रही है। बयानर में छात्राओं को 5 से 15 किलोमीटर दूर से पढ़ाई के लिए आना पड़ता है। शासन ने अचानक 9 साल बाद आश्रम से 50 में से 45 बच्चों को बाहर करने का आदेश दिया है, जबकि केवल 5 बच्चों को ही रहने की स्वीकृति दी गई है।