Back
Kamesh Dwivedi
Mountains

चौरी-चौरा कांड की गवाही देता है गोरखपुर में स्थित ये शहीद स्मारक, जानें इसका पूरा इतिहास

Kamesh Dwivedi Kamesh Dwivedi Dec 26, 2024 12:13:53
Jangl Ram Lakhan, Uttar Pradesh:

भारत ने आजादी पाने के लिए बहुत संघर्ष किया है. अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए भारतीयों ने कई यातनाएं झेली लेकिन हार नहीं मानी. इसका परिणाम ये रहा कि भारत 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हो गया. इस लेख के माध्यम से आज हम आपको चौरी-चौरा कांड की उस कहानी को बयां करेंगे, जिसकी वजह से महात्मा गांधी को असहयोग आंदोलन वापस लेना पड़ा. चौरी-चौरा कांड 4 फरवरी 1922 को हुआ जिसमें भारतीयों के बलिदानों की याद में एक चौरी-चौरा शहीद स्मारक गोरखपुर में बनाया गया. आज जानेंगे इस स्मारक की पूरी कहानी.

 

चौरी-चौरा कांड
अंग्रजों के शासन से तंग आकर भारतीयों ने उनके विरोध में कई काम करने शुरू कर दिए थे. जैसे विदेशी सामानों का बहिष्कार, उनके आदेश को ना मानना आदि. 1922 में चौरी-चौरा में चल रहे शांति प्रदर्शन में अंग्रेजी पुलिस ने क्रांतिकारियों पर गोलीबारी शुरू कर दी. जिसके परिणाम में भारतीयों का गुस्सा उबल पड़ा और चौरी-चौरा पुलिस स्टेशन पर क्रांतिकारियों ने आग लगा दी, जिसमे 22 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई.

 

चौरी-चौरा शहीद स्मारक बनाने का कारण और महत्व
1922 में  हुए चौरी-चौरा कांड में अंग्रेजों ने 19 क्रांतिकारियों को इस मामले का दोषी पाकर फांसी के फंदे पर लटका दिया. गोरखपुर में बना ये शहीद स्मारक उन्हीं 19 बलिदानों की याद में बनाया गया है. इस स्मारक को ऊंचा बनाया गया है, जो देश के प्रति कुछ कर गुजरने का संदेश भी देता है.

 

आज के समय में ये शहीद स्मारक गोरखपुर के जंघा में लोगों के लिए आकर्षक का केद्न बना हुआ है. जहां लोगों आते है और अपने देश के प्रति देशभक्ति को भावना को जागृत करते हैं. यह शहीद स्मारक भारत की आजादी की लड़ाई के संघर्ष को आने वाली पीढ़ियों को भी बताता रहेगा और उन्हें प्रेरणा देने का काम करेगा.
 

0
Report