Jan 16, 2025, 05:47 PM IST

"करम कहूं इसे कुदरत का या सितम समझूं..."  पढ़िए जलील किदवई की दिल चीर कर देने वाली गजलें

Kamesh Dwivedi

जलील किदवई साहब का जन्म कलम की धरती नाम से मशहूर उन्नाव में हुआ.

इनकी शिक्षा इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय से हुई, फिर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में उर्दू के प्रवक्ता रहे.

विभाजन के बाद ये पाकिस्तान चले गए, लेकिन अपनी लेखनी की जादूगरी बिखेरते रहे. अपने गजलों के लिए किदवई साहब मशहूर हैं. आइए पढ़ते हैं इनकी गजल...

करम कहूं इसे कुदरत का या सितम समझूं, कि दिल दिया है मगर कोई दिल-नवाज नहीं

लपका है ये इक उम्र का जाएगा न हरगिज, इस गुल से तबीअत न भरेगी न भरी है

आंखों में समाता नहीं अब और जो कोई, क्या जाने बसीरत है कि ये बे-बसरी है

देखने को भी जो वो जुर्म बताते हैं तो हां, देखने का हूं गुनहगार खुदा खैर करे

तू ही बता कि किधर जाएं तेरे दीवाने, हरम में दैर में तेरा कहीं पता न मिला