जानिए एक ऐसी कवि की रचनाएं, जिनकी कविताओं को अटल बिहारी वाजपेयी भी करते थे पसंद
Kamesh Dwivedi
भारत में कई ऐसे साहित्यकार, उपन्यासकार और कवि जन्में जिन्होंने साहित्य को बहुत समृद्ध और प्रभावी बनाने का काम किया.
आइए आज जानते हैं उन्नाव में जन्में एक गीतकार को जिनके गीतों को अक्सर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी गाया करते थे.
इस गीतकार का नाम शिवमंगल सिंह सुमन है. इनकी पढ़ाई-लिखाई काशी के बीएचयू से हुई.
साहित्य में इनके योगदान के कारण इन्हें भारत सरकार ने पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित किया है.
आइए जानते हैं इनके प्रसिद्ध गीतों को, जिन्हें लोग अक्सर गाया करते हैं.
क्या हार में क्या जीत में, किंचित नहीं भयभीत मैं. संघर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही, वरदान मांगूंगा नहीं.
गति मिली मैं चल पड़ा, पथ पर कहीं रुकना मना था. राह अनदेखी, अजाना देश, संगी अनसुना था.
चल रहा हूँ, क्योंकि चलने से थकावट दूर होती, जल रहा हूँ क्योंकि जलने से तमिस्त्रा चूर होती, गल रहा हूँ क्योंकि हल्का बोझ हो जाता हृदय का, ढल रहा हूँ क्योंकि ढलकर साथ पा जाता समय का.