क्या आप जानते हैं कि यूपी का ये जिला हिन्दी साहित्य का रहा है गढ़ !
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हिन्दी साहित्य की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले को इस मामले में हिन्दी साहित्य को गढ़ माना गया है.
गंगा और सई नदी के बीच स्थित यह जिला प्राचीन काल से ही अपने धार्मिक, सांस्कृतिक विरासत के साथ साहित्य की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण रहा है.
बता दें कि उन्नाव की धरती पर हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में कई अनमोल लेखक और कवि जैसे- प्रताप नारायण मिश्र, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, नंद दुलारे बाजपेयी, रामविलास शर्मा आदि पले हैं.
प्रताप नारायण मिश्र इनका जन्म उन्नाव के बैजे नामक गांव में 1856 में हुआ था. इन्होंने ब्राह्मण पत्रिका का संपादन किया था. इनकी प्रमुख रचनाएं बात, भारत-दुर्दशा, हम्मीर हठी आदि हैं.
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला उन्नाव जिला ने सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जैसे हिन्दी के बड़े साहित्यकार को जन्म दिया है, जिन्हे आधुनिक हिन्दी का पितामह कहा जाता है. इनकी प्रमुख रचनाएं राम की शक्ति पूजा, असाध्यवीणा, ककुरमुत्ता, मै अकेला, बादल राग आदि है.
रामविलास शर्मा प्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार और चितंक रामविलास शर्मा का जन्म उन्नाव जिले के ऊंचागांव सानी में हुआ था. इनकी दो कविता संग्रह “रूपतरंग” और “सदियों के सोए जा उठे” है
नंद दुलारे बाजपेयी हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार, संपादक और पत्रकार नंद दुलारे बाजपेयी जी का जन्म उन्नाव के मगरायर नामक गांव में हु था.
इन्हीं कवियों और लेखकों की वजह से आज देशभर में साहित्य को एक नई पहचान मिली हुई है.