धर्म की नगरी में 144 साल बाद बन रहे महाकुंभ के इस संयोग का क्या है कारण!
Kamesh Dwivedi
प्रयागराज की धरती पर महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी से होने वाला है.
जिसे पूरी दुनिया टकटकी लगाए देख रही है और लगभग 40 करोड़ की आबादी प्रयागराज में धर्म की डुबकी लगाने को तैयार है.
इस महाकुंभ में 144 सालों के बाद का एक ऐसा संयोग बन रहा है, जिससे इसकी मान्यता बढ़ गई है.
आज जानेंगे क्या है इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व...
पुराणों के अनुसार असुरों और देवों में हुए संग्राम के बाद जब अमृत निकला, तो इसे पाने के चक्कर में अमृत कलश से चार बूंदे चार जगहों में गिरी. तब से उन जगहों में कुंभ का आयोजन होने लगा.
जिसमें प्रयागराज में सबसे बड़े क्षेत्र में कुंभ लगता है. जिसमें 6 सालों में अर्द्धकुंभ, 12 सालों में पूर्ण कुंभ होता है.
इस वर्ष जो कुंभ लग रहा है वो 144 वर्षों बाद लग रहा है, इसलिए इसे महाकुंभ कहा जाता है.
विज्ञान के अनुसार बृहस्पति सूर्य का एक चक्कर 12 सालों में लगाता है, और 12 चक्कर 144 वर्षों में लगाता है.
इसी कारण यह महाकुंभ 144 सालों में हो रहा है. जिसे संत-महात्मा एक ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन मान रहे हैं.