आध्यात्मिक विरासत का अनूठा प्रमाण देता है यह अलोपी देवी का मंदिर, जानें इसकी धार्मिक वजह
Kamesh Dwivedi
भारत देश में धार्मिक तौर पर कई स्थल मौजूद हैं, जिसमें हिन्दुओं की आराधना और भक्ति के लिए भी दवी-देवताओं के मंदिर स्थापित किए गए हैं.
आज हम आपको उत्तर प्रदेश राज्य के प्रयागराज जिले में स्थित एक मंदिर के बारे में बताएंगे, जो देशभर के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है,
इस मंदिर को अलोपी देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है, जो प्रयागराज जिले के अलोपीबाग में स्थित है. जहां माता सती के अंगों का एक हिस्सा गिरा था.
भारत में कुल शक्तिपीठों की संख्या 51 बताई जाती है, जिसमें माता सती के शरीर का अंतिम अंश प्रयागराज की धरती पर गिरा था.
शक्तिपीठों के बनने के पीछे का इतिहास है कि जब राजा दक्ष द्वारा भगवान शिव का अपमान हुआ, तो माता सती इसे सहन नहीं कर पाई और उन्होंने अपने जीवन को समाप्त करने की ठानी.
अपने पिता के यहां जलते यज्ञ में माता सती ने अपने आप को समर्पित कर दिया, फिर भगवान शिव क्रोध में माता सती के जले हुए शरीर को लेकर चले.
जिसके कारण उनके शरीर के अंगों के जले हुए पवित्र टुकड़े धरती पर अलग-अलग जगहों पर गिरे. फिर उन्हें शक्तिपीठों के रूप में जाना जाने लगा.
प्रयागराज का यह शक्तिपीठ अलोपी देवी मंदिर बहुत प्रसिद्ध माना जाता है, इसके दर्शन के लिए लोग बहुत दूर-दूर से आते हैं.
नवरात्रि के समय यहां भक्तों का जमावड़ा होता है और इसकी नक्काशी, कलाकारी के लोग कायल हो जाया करते हैं.