Jan 16, 2025, 10:54 AM IST

"हम अंजुमन में सबकी तरफ देखते रहे...." पढ़िए मुस्तफा जैदी के चुनिंदा शेर

Kamesh Dwivedi

मुस्तफा जैदी का जन्म महाकुंभ की धरती प्रयागराज में सन् 1930 में हुआ फिर वो 1950 में पाकिस्तान चले गए. 

मुस्तफा जैदी एक सिविल सेवक थे. ये अपने सुंदर गजलों और नज्मों के लिए जाने जाते हैं और ये पाकिस्तान के उर्दू कवियों में शुमार है.

आइए पढ़ते हैं मुस्तफा जैदी के कुछ प्रसिद्ध शेर....

अभी तारों से खेलो चांदनी से दिल बहलाओ, मिलेगी उसके चेहरे की सहर आहिस्ता-आहिस्ता

रूह के इस वीराने में तेरी याद ही सब कुछ थी, आज तो वो भी यूं गुजरी जैसे गरीबों का त्यौहार 

ऐ कि अब भूल गया रंगे-हिना भी तेरा, खत कभी खून से तहरीर हुआ करते थे

इन्हीं पत्थरों से चलकर अगर आ सको तो आओ, मेरे घर के रास्ते में कोई कहकशां नहीं है

हम अंजुमन में सबकी तरफ देखते रहे, अपनी तरह से कोई अकेला नहीं मिला