Jan 3, 2025, 08:05 AM IST
महाकुंभ में शाही स्नान नहीं अब होगा अमृत स्नान, जानें इसका महत्व
Kamesh Dwivedi
प्रयागराज में 12 सालों में एक बार लगने वाला महाकुंभ इस बार 2025 में जनवरी 13 से लग रहा है.
इस मेले में पूरी दुनिया की 40 करोड़ आबादी आने वाली है.
यहां होने वाले शाही स्नान का बड़ा ही महत्व है. कहते हैं कि इस स्नान को करने से शरीर ही नहीं बल्कि आत्मा भी शुद्ध हो जाती है.
इस महाकुंभ में इस शाही स्नान का नाम अमृत स्नान हो गया है. इसकी घोषणा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की है.
शाही स्नान जो अब अमृत स्नान हो गया है, इसमें साधु-संतों को सम्मन पूर्वक स्नान कराया जाता है. जिसमें सभी साधु-संत गाजे बाजे के साथ स्नान करने आते हैं.
इसमें भारत में जितने भी अखाड़े मौजूद है, वह सब अपनी पूरी बारात को सजाकर स्नान के लिए पहुंचते हैं.
शाही स्नान की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इसकी शुरूआत 16वीं शताब्दी के आस-पास हुई है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा गया है कि यह स्नान सबसे पहले साधु संतों के लिए होता है.
महाकुंभ में शाही स्नान या अमृत स्नान करने के बाद दान देने की परंपरा कही जाती है, जिससे पुण्य मिलता है.
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