Jan 22, 2025, 06:23 AM IST

जानिए नागा साधुओं का रहस्य, आखिर कैसे बनते हैं ये नागा साधु?

Kamesh Dwivedi

संगमनगरी प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन 144 सालों बाद हो रहा है, जिसे देखने दुनियाभर से लोग आ रहे हैं.

यहां तमाम प्रकार के साधु-संत, अखाड़े, पहुंच रहे हैं, जिसमें नागा साधु लोगों का केंद्र बने हुए हैं.

आइए जानते हैं आज नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया, जिसे जान चौंक सकते हैं आप!

नागा साधु शैव परंपरा से आते हैं. कहा जाता है कि ये महादेव शंकर के अनुयायी होते हैं, जिनके पास त्रिशूल, तलवार, गदा जैसे हथियार होते हैं.

बताया जाता है कि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में सनातन धर्म की सुरक्षा के लिए शस्त्र और शास्त्रों दोनों में निपुण लोगों के लिए नागा साधुओं की स्थापना की.

महाकुंभ, कुंभ, अर्द्धकुंभ के शाही स्नानों में सबसे पहले नागा साधु स्नान करते हैं. मान्यता है कि इससे गंगा का जल और पवित्र हो जाता है, क्योंकि ये भगवान शिव के अनुयायी होते हैं.

नागा साधु बनने की प्रक्रिया बहुत कठोर होती है. इसके लिए उन्हें 12 सालों की लंबी तपस्या करनी पड़ती है.

जिसमें उन्हें ब्रम्हचारी के आचरणों का पालन करना पड़ता है और इन 12 सालों तक ये सिर्फ एक लंगोट पहनकर रहते हैं.

12 साल बाद लगने वाले कुंभ में लंगोट भी त्याग देते हैं और जीवन भर नागा बनकर जीवन व्यतीत करते हैं. 108 डुबकी लगाने के बाद ये नागा साधुओं में शामिल हो जाते हैं.